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यात्री आफत में,पीने को गरम पानी

20 हजार यात्री करते हैं रोज बक्सर से सफर, वेंडरों की खूब हो रही कमाई बक्सर : रेलवे की उदासीनता के कारण इन दिनों बक्सर प्लेटफॉर्म स्थित वेंडरों की चांदी है. दरअसल रेलवे इतनी भीषण गरमी में भी शीतल पेयजल की व्यवस्था अब तक कराने में नाकाम रहा है, जिसका फायदा वेंडर पूरा-पूरा उठा रहे […]

20 हजार यात्री करते हैं रोज बक्सर से सफर, वेंडरों की खूब हो रही कमाई
बक्सर : रेलवे की उदासीनता के कारण इन दिनों बक्सर प्लेटफॉर्म स्थित वेंडरों की चांदी है. दरअसल रेलवे इतनी भीषण गरमी में भी शीतल पेयजल की व्यवस्था अब तक कराने में नाकाम रहा है, जिसका फायदा वेंडर पूरा-पूरा उठा रहे हैं.
जानकारी के मुताबिक हर रोज ढाई हजार से अधिक सील बंद पानी की बोतलों की बिक्री विभिन्न स्टेशनों पर हो रही है. साथ ही ठंडा पानी के लिए यात्रियों से मनमाने दर पर बोतल की बिक्री कर रहे हैं. यात्री उमेश कुमार ने बताया कि बक्सर प्लेटफॉर्म संख्या दो पर ट्रेन के इंतजार करते समय उन्हें प्यास लगी, तो प्लेटफॉर्म पर ठंडा पानी की व्यवस्था नहीं होने से अंतत: उन्हें वेंडर से बीस रुपये देकर एक सील बंद पानी की बोतल खरीदनी पड़ी, जिससे उनकी प्यास बूझ सकी.
हालांकि, प्लेटफॉर्म संख्या दो पर ठंडा पानी की मशीन लगायी गयी है, लेकिन देखरेख के अभाव में मशीन से ठंडा पानी नहीं मिलता है. गरमी के दिनों में नलों से पीने योग्य नहीं आपूर्ति होती है.
हर वर्ष विभाग करता है ठंडा पानी देने का दावा : गरमी की शुरुआत होते ही ठंडा पानी की व्यवस्था करने के लिए रेलवे के अधिकारी बड़ी-बड़ी बातें करने लगते हैं, लेकिन धरातल पर यह व्यवस्था बस दो से चार दिनों तक ही सीमित रहती है.
पिछले वर्ष विभाग ने प्लेटफॉर्म संख्या दो पर एक ठंडा पानी की मशीन लगाया था, लेकिन कुछ ही दिनों बाद मशीन खराब हो गयी. सूत्रों के मुताबिक मशीन खराब होने के पीछे तथाकथित वेंडरों का हाथ माना जाता है. तथाकथित वेंडर मशीन को इसलिए खराब कर देते हैं, ताकि सील बंद बोतलों की बिक्री ज्यादा हो सके.
45 हजार रुपये का रोजाना यात्री पी जाते हैं पानी : आंकड़ों के मुताबिक बक्सर रेलवे स्टेशन के तीनों प्लेटफॉर्मो पर दर्जन भर से अधिक सील बंद ठंडा पानी की दुकानें हैं. रोजाना 20 हजार के करीब रेल सफर के लिए यात्री यहां आते हैं. ऐसे में रोजाना कम-से-कम दो हजार यात्री सील बंद पानी की बोतल को खरीद कर अपनी प्यास बुझाते हैं. ऐसे में रोजाना लगभग 36 हजार रुपये का अतिरिक्त खर्च पानी पर यात्रियों को करना पड़ता है.
नलों से निकलता है गरम पानी : यात्रियों ने बताया कि भीषण गरमी के दिनों में नलों से गरम पानी निकलता है, जो पीने योग्य नहीं रह जाता है. यात्रियों ने बताया कि समस्या तब और बढ़ जाती है जब घंटों ट्रेनों के इंतजार में प्लेटफॉर्म पर पानी के लिए तरसना पड़ जाता है.
जहां नहीं है पानी की व्यवस्था, वहीं हैं वेंडरों की दुकानें
यात्री सुरेश कुमार वर्मा ने बताया कि वे अक्सर अपने व्यवसाय को लेकर दिल्ली आना-जाना करते हैं. उन्होंने बताया कि टिकट हॉल में रोजाना हजारों यात्री कतार में खड़े होकर टिकट लेते हैं.
ऐसे में जब यात्री को प्यास लगती है, तो आसपास पानी की व्यवस्था नहीं रहने के कारण उन्हें मौजूद वेंडरों से पैसा देकर पानी की खरीदारी करनी पड़ती है. चूंकि यात्री कतार में खड़ा होता है. इसलिए वह दूर स्थित नल या चापाकल का प्रयोग नहीं कर पाता है. यात्रियों ने टिकट हॉल में पानी की व्यवस्था करने की मांग की है.

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