मशरूम की खेती कर संवारी जिंदगी : आशुतोष

बक्सर : छोटे स्तर पर मशरूम की खेती की शुरुआत करनेवाले जिले के नया भोजपुर निवासी आशुतोष ने मशरूम के बीज उत्पादन तक शुरू कर दिया है. 2005 में महज कुछ बैग के सहारे शुरू मशरूम की खेती वर्तमान में दो हजार से ढाई हजार बैग तक पहुंचा दिया है. बीज उत्पादन के साथ मशरूम […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 6, 2015 8:25 AM
बक्सर : छोटे स्तर पर मशरूम की खेती की शुरुआत करनेवाले जिले के नया भोजपुर निवासी आशुतोष ने मशरूम के बीज उत्पादन तक शुरू कर दिया है. 2005 में महज कुछ बैग के सहारे शुरू मशरूम की खेती वर्तमान में दो हजार से ढाई हजार बैग तक पहुंचा दिया है. बीज उत्पादन के साथ मशरूम के प्रोसेसिंग का कार्य भी शुरू कर अपने जीवन स्तर एवं रहन-सहन को बदल दिया है. इनकी गिनती समाज के प्रतिष्ठित प्रगतिशील किसानों में होती है.
कब से करते हैं खेती : सरकार द्वारा कृषि के विकास के लिए कई योजनाएं चलायी गयीं. किसानों को मशरूम के खेती के प्रति प्रेरित करने के लिए अनुदान दिया गया. इससे प्रेरित होकर आशुतोष पांडेय ने खेती शुरू की और आज विगत दस सालों में यह मुकाम हासिल किया है. समाज में प्रगतिशील किसान के साथ अपना एक अलग पहचान बना लिये हैं. 2005 में मशरूम की खेती कुछ बैगों से शुरू कर आज ढाई हजार बैग तक पहुंचा दिये हैं.
कैसा है इसका बाजार : बाजार के सवाल पर श्री पांडेय ने बताया कि शुरुआत में बेचने में परेशानी हुई थी. लोग जानते नहीं थे. अब ऑर्डर मिलता है. उत्पादन से ज्यादा खपत होने से माल बचता ही नहीं है. जिले में वाइस्टर बटन एवं मिल्की हवाइट वेराइटी का उत्पादन होता है. बटन के उत्पादन में ज्यादा समय लगता है, पर उससे आमदनी ज्यादा होती है.
श्री पांडेय जिला मुख्यालय स्थित कृषि विज्ञान केंद्र एवं आत्मा के सहयोग से जिला समेत देश के अन्य हिस्से में जाकर ट्रेनिंग ली है.श्री पांडेय के साथ परिवार में उनकी पत्नी अहम भूमिका निभा रही है. उन्होंने भी कृषि विज्ञान केंद्र एवं आत्मा के सहयोग से फूड प्रोसेसिंग की ट्रेनिंग लेकर मशरूम का प्रोसेसिंग का कार्य करतीं हैं. पत्नी मशरूम का प्रोसेसिंग करतीं हैं, जिसके तहत सास, अचार वगैरह का निर्माण करतीं हैं. इससे जब कभी उत्पादन ज्यादा हो जाता है, या अन्य जिले का किसान जिनका उत्पादित मशरूम नहीं बिकता उसे खरीद पत्नी द्वारा प्रोसेसिंग की जाती है.

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