डुमरांव अनुमंडल की गन्ने की मिठास अन्य राज्यों तक थी

डुमरांव़ : गन्ना, गुड़ व चीनी गन्ना की खेती पर आधारित है़ कभी क्षेत्र गन्ना फसल को लेकर चर्चित था़ तभी तो टुड़ीगंज में ईख खरीदारी करने के लिए कार्यालय खुला था़ यहां से गन्ना सीधे बिहटा चीनी मिल में पहुंचता था़ तब इधर के किसान काफी खुशहाल थे, लेकिन पानी का लेयर नीचे जाने, […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 30, 2015 5:09 AM

डुमरांव़ : गन्ना, गुड़ व चीनी गन्ना की खेती पर आधारित है़ कभी क्षेत्र गन्ना फसल को लेकर चर्चित था़ तभी तो टुड़ीगंज में ईख खरीदारी करने के लिए कार्यालय खुला था़ यहां से गन्ना सीधे बिहटा चीनी मिल में पहुंचता था़ तब इधर के किसान काफी खुशहाल थे, लेकिन पानी का लेयर नीचे जाने,

बारिश व नहराें में पानी समय से नहीं आने से किसानों का बुरा हाल हो गया है़ भले ही सरकार किसानों को डीजल अनुदान के अलावे सहायता राशि दे, लेकिन किसान खेती करने से कतराने लगे हैं. गन्ने की खेती करनेवाले कहते हैं, धान की फसल को बचाये या गन्ने की़ इसको लेकर किसान काफी परेशान हैं. गन्ने की खेती करनेवाले किसानों को बिहार सरकार अनुदान देने की बात कहती है, लेकिन अनुदान नहीं मिल पाता है़

कभी टुड़ीगंज स्टेशन पर चीनी मील बिहटा द्वारा कांटा लगा गन्ने की फसल की खरीदारी होती थी, लेकिन आज हालात ठीक उलटा है़ अनुमंडल क्षेत्र स्थित ग्रामीण इलाके की मिट्टी गन्ने की उपज के लिए लाभदायक है, लेकिन आज गन्ने की खेती से इलाके के किसान भागने लगे हैं. क्षेत्र के दर्जनों गांवों में गन्ने की खेती किसानों के लिए फायदेमंद था़ अनुमंडल क्षेत्र के किसानों के गन्ने की खेती बाधित होने लगी है, जिससे गन्ने की पैदावार कम हो गयी.

अब किसान उतनी ही उपज करते हैं, जितना खपत हो जाये़ किसान खुद गन्ने से बने गुड़ को बाजार में बेचते हैं. मंडी में पहुंचे गुड़ की मिठास दूसरे राज्यों में भी धाक जमाये हुए है़ इस इलाके के दो सौ किलोमीटर के दयारे में एक भी चीनी मिल उपलब्ध नहीं है़ ऐसे में किसान चाह कर भी गन्ने की खेती से परहेज कर रहे है़ं

अनुमंडल क्षेत्र के नंदन, लाखन डिहरा, छतनवार, सोवां, अरियांव, खेवली, अमसारी, केसठ, चौगाई, मंझवारी, धनहा, गोपालपुर, चना, नावाडेरा, नावानगर, केसठ, धरहरा के इलाके में एक दशक पूर्व गन्ने का उत्पादन बड़े पैमाने पर होता था़ इन इलाकों के गन्ने से तैयार गुड़ अन्य राज्यों में भी खुशबू फैलाया था़ अपनी मिठास के लिए पहचान बनानेवाला यह इलाका गन्ने का उत्पादन में काफी पिछड़ रहा है़ कृषि पर आधारित मिले न होने से पैदावार में काफी गिरावट आयी है़

गन्ने की खेती में क्रप कटिंग में प्रथम पुरस्कृत बिहारी सिंह (छतनवार निवासी) कहते हैं कि क्षेत्र में पानी की समस्या है, जिससे गन्ने की फसल बरबाद होने लगा है़ रेहियां निवासी कृष्णानंद सिंह कहते हैं कि चीनी की बढ़ती कीमतों के लिए सरकार गन्ना के कम पैदावार का बहाना बनाती है़ क्षेत्र में कभी किसान बढ़-चढ़ कर गन्ने की खेती करते थे,

लेकिन आज किसान गन्ने की खेती से कतराने लगे हैं, लेकिन आज गन्ने की खेती के बाद किसान अपनी फसल को कहां पहुंचाये यह प्रश्न पहले उठता है़ सरकार की नीति गन्ने के किसानों पर भारी पड़ रही है़ आज भी टुड़ीगंज गन्ना क्रय केंद्र बदहाल व खंडहरनुमा खड़ा है़

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