राजधानी के ठहराव की आश
जगह-जगह चर्चा. रेल बजट से बक्सर के यात्रियों को हैं इस बार बड़ी उम्मीदें बक्सर जितना एक ऐतिहासिक शहर है, उससे कहीं ज्यादा यह धार्मिक शहर भी है, लेकिन यहां के लोग अभी भी रेलवे की ओर से अपने को उपेक्षित महसूस करते हैं़ सरकारी आंकड़े के मुताबिक प्रत्येक साल रेलवे को बक्सर स्टेशन से […]
जगह-जगह चर्चा. रेल बजट से बक्सर के यात्रियों को हैं इस बार बड़ी उम्मीदें
बक्सर जितना एक ऐतिहासिक शहर है, उससे कहीं ज्यादा यह धार्मिक शहर भी है, लेकिन यहां के लोग अभी भी रेलवे की ओर से अपने को उपेक्षित महसूस करते हैं़ सरकारी आंकड़े के मुताबिक प्रत्येक साल रेलवे को बक्सर स्टेशन से लगभग 35 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होता है, लेकिन यहां पर कई यात्री सुविधाओं की घोर कमी है़ जिसमें शुद्ध पेयजल, जरूरत के हिसाब से शौचालय आदि़ सबसे ज्यादा यहां के लोगों की परेशानी जो है वह महत्वपूर्ण ट्रेनों का ठहराव नहीं होने से है़
बक्सर : रेल बजट का समय नजदीक आते ही इसे लेकर यात्रियों व बक्सरवासियों में चर्चा शुरू हो गयी है. रेल बजट से इस बार यात्रियों को काफी उम्मीदें हैं. हालांकि पिछले साल रेल बजट में कोई खास राहत बक्सर को नहीं मिल पायी थी, लेकिन इस बार यात्रियों की उम्मीद सकारात्मक दिख रही है.
ट्रेनों की संख्या बढ़ने की जगी है उम्मीद
बक्सर के यात्रियों में इस बार मूलभूत सुविधाअों के साथ-साथ ट्रेनों की संख्या बढ़ने की उम्मीद जगी है. वर्तमान स्थिति यह है कि बक्सर से पटना जाने-आने में काफी परेशानी होती है.क्योकि ज्यादतर ट्रेनों का ठहराव बक्सर में नहीं है. इसे लेकर लंबे समय से मांग चल रही है, लेकिन हर साल रेल बजट पास हो जाता है और इसे लेकर कोई राहत नहीं मिल पायी है.
रेलवे को बक्सर से प्रति वर्ष 35 करोड़ का राजस्व
रेलवे को बक्सर स्टेशन से हर साल लगभग 35 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होता है. लेकिन अनुपात में स्टेशन पर यात्री सुविधाओं की घोर कमी है. पर्याप्त बैठन की व्यवस्था, आरोयुक्त पेयजल, कोच इंडिकेटर, सुरक्षा व्यवस्था, रैंप, यात्री शेड, शवगृह समेत कई ऐसी समस्याएं हैं, जिससे अब तक लोगों को निजात नहीं मिल पायी है.
मरीजों को प्लेटफॉर्म बदलने में है जान का खतरा
राजस्व में बेहतर होने के बाद भी बक्सर के मरीजोें के प्रति रेलवे के अधिकारियों की संवेदना न के बराबर है.इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि हर माह बक्सर, बलिया, प्रताप सागर, गाजीपुर, उजियार समेत अन्य शहरों से सैकड़ों मरीज बक्सर से दिल्ली, कोलकता, बनारस, पटना समेत अन्य शहरों में बेहतर इलाज के लिए रेल सफर करने आते हैं,लेकिन अफसोस की बात यह है कि स्टेशन पर रैंप की व्यवस्था नहीं की गयी है, जिससे मरीजों को प्लेटफाॅर्म बदलने में काफी परेशानी होती है. व्हील चेयर पर चलनेवाले मरीजों को उनके घरवाले जान जोखिम में डाल कर ट्रैक पार करते हैं.
इन महत्वपूर्ण ट्रेनों के ठहराव की मांग
बक्सर रेलवे स्टेशन से हर दिन लगभग बारह हजार यात्री रेल सफर करने आते हैं, लेकिन फिर भी कई महत्वपूर्ण ट्रेनों का ठहराव नहीं किया गया है,जिससे यात्रियों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. बिक्रमशिला एक्सप्रेस, संपूर्णक्रांति एक्सप्रेस, राजधानी एक्सप्रेस, बागमती एक्सप्रेस, पटना-हरिद्वार एक्सप्रेस ट्रेन समेत कई अन्य ट्रेनों के ठहराव को लेकर लंबे समय से मांग उठ रही है.
शवगृह की नहीं है सुविधा
एक अनुमान के मुताबिक हर पांचवें दिन किसी-न-किसी कारण से रेल दुर्घटना में एक यात्री की मौत हो जाती है, जिसके बाद शव को नियम के अनुसार तीन दिन तक रखना है. ऐसे में शवगृह नहीं होने के कारण शवों के साथ अमानवीय व्यवहार होता है.शवों को प्लेटफार्म पर, तो कभी शौचालय में रखा जाता है. लेकिन, आज तक रेलवे ने शवगृह का निर्माण नहीं कराया, जिससे लगातार शवों के साथ अमानवीय व्यवहार किया जा रहा है.
क्या कहते हैं यात्री
निजी बैंक कर्मी पप्पू कुमार ने बताया कि पटना के लिए लोकल ट्रेनों की संख्या यात्रियों की संख्या के अनुपात में कम है, जिससे यात्रियों को एक्सप्रेस ट्रेनों में सवार होना पड़ता है, जिससे उन्हें ट्रेन में पकड़े जाने की स्थिति में जुर्माना भरना पड़ता है. यात्री मनोज कुमार गुप्ता ने बताया कि बक्सर का विकास जिस रफ्तार से होना चाहिए, वह नहीं हो पा रहा है. राजस्व के मामले में बेहतर रहने के बावजूद रेलवे ने बक्सर के साथ भेदभाव किया है.
क्या कहते हैं प्रबंधक
स्टेशन प्रबंधक एमके पांडेय ने बताया कि यात्री सुविधा को लेकर समय-समय पर उच्च अधिकारियों को सूचना दी जाती है. आगे का काम करना अब उन्हीं लोगों के हाथों में है़
क्या कहते हैं सांसद
सांसद अश्विनी कुमार चौबे कहते हैं कि बक्सर में पिट प्वाइंट बनाने का उनका पुरानी मांग है, जिसको लेकर वे संसद में कई बार आवाज उठा चुके हैं. साथ ही बक्सर जिले के विभिन्न स्थानों पर ट्रेनों की ठहराव के मामले पर फिलहाल रेल मंत्रालय गंभीर नहीं, मगर उससे हट कर कई सुविधाएं बक्सर जिले के स्टेशनों को दिलाने की मांग वे रेल बजट में रखवाने की कोशिश कर चुके हैं. उन्होंने बताया कि फिलहाल रेल मंत्रालय की प्राथमिकता ट्रैक बनाने में है, जिससे जनता को पूरे देश में लाभ मिलेगा.
बजट से लोगों को उम्मीद
नन-स्टॉप एक्सप्रेस ट्रेनों की ठहराव हो
पैसेंजर ट्रेनों की संख्या बढ़ाई जाये
शवगृह का निर्माण हो
राजधानी का हो ठहराव
मरीजों के लिए रैंप बने
आरोयुक्त पेयजल की व्यवस्था हो
कुछ महत्वपूर्ण जानकारी
रेलवे को साल में लगभग 35 करोड़ का मिलता है राजस्व
हर रोज लगभग बारह हजार यात्री करते सफर
ओवरब्रिज की संख्या दो है
प्लेटफार्मो की संख्या तीन है
पटना व मुगलसराय की ओर चलनेवाली लोकल ट्रेनों की संख्या लगभग 15 है
बुकिंग सेवा है बंद