अनदेखी. 87 हजार एमटी के विरुद्ध 12 हजार एमटी हुई धान की खरीद

अधिप्राप्ति में मात्र 13 फीसदी खरीदारी धान की धीमी खरीद प्रक्रिया पर सरकार एवं खरीद एजेंसी द्वारा एक-दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाया जा रहा है. इसमें किसान बीच में ही पिस रहे हैं. वहीं अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए सूदखोरों के चंगुल में फंस गये हैं. बक्सर : जिले में धान अधिप्राप्ति को […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 26, 2016 1:39 AM

अधिप्राप्ति में मात्र 13 फीसदी खरीदारी

धान की धीमी खरीद प्रक्रिया पर सरकार एवं खरीद एजेंसी द्वारा एक-दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाया जा रहा है. इसमें किसान बीच में ही पिस रहे हैं. वहीं अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए सूदखोरों के चंगुल में फंस गये हैं.
बक्सर : जिले में धान अधिप्राप्ति को लेकर चल रही प्रक्रिया काफी धीमी है. जिले में सरकार की खरीद लक्ष्य 87 हजार मीटरिक टन रखा गया है, जिसके विपरीत 24 फरवरी तक महज 12 हजार 114 मीटरिक टन की खरीदारी ही संभव हो सकी है. इस धीमी खरीद प्रक्रिया पर सरकार एवं खरीद एजेंसी द्वारा एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाया जा रहा है.
इसमें किसान बीच में ही पिस रहे हैं. अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए सूदखोरों के चंगुल में फंस गये हैं. बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रहा है. सरकार की अदूरदर्शिता का परिणाम है, जिसका खामियाजा किसान भुगतने को मजबूर हैं. समितियों द्वारा प्राप्त कैश क्रेडिट के अनुपात में खरीद कर लिया गया है. एसएफसी द्वारा चावल उठाव के बाद प्राप्त राशि से पुन: खरीदारी होगी.
समितियों को हो रही आर्थिक हानि : धान अधिप्राप्ति के बाद समितियों द्वारा धान मिलिंग कराने के बाद जब एसएफसी गोदामों पर लाते हैं तो उन्हें नमी ज्यादा का हवाला दे चावल लेने से इनकार कर दिया जाता है. इससे गाड़ी को हाल्टिंग चार्ज साथ ही मजदूरों द्वारा लोडिंग अनलोडिंग चार्ज देना पड़ता है.गाडि़यों के हाल्टिंग से आर्थिक हानि होती है.
नहीं हो पाता कैश क्रेडिट का रोटेशन : समितियों के पास कैश क्रेडिट का लिमिट है. लिमिट के अनुसार धान की खरीद की जा चुकी है. जब एसएफसी द्वारा एजेंसियों के चावल लिया जायेगा तो उससे प्राप्त पैसे से पुन: खरीद की जायेगी. यह कैश क्रेडिट राशि एसएफसी द्वारा खरीद में व्यवधान से फंस गया है. कैश क्रेडिट की राशि इससे रोटेट नहीं हो पा रहा है.
अब तक चावल की खरीद : जिले में एजेंसियों द्वारा खरीदी गयी धान 12 हजार 114 मीटरिक टन में 13 सौ 11 मीटरिक टन चावल तैयार हो चुका है. जिसे एसएफसी द्वारा 14 प्रतिशत से ज्यादा नमी का हवाला दे लेने से इनकार कर दिया. एसएफसी द्वारा 25 फरवरी तक 161 मीटरिक टन चावल की खरीद की गयी है.
किसान परेशान : औने-पौने दाम में बेच रहे धान
कहते हैं किसान
महिला गांव निवासी रामाकांत ओझा ने बताया कि पैसे के अभाव में बच्चों की शिक्षा भी प्रभावित हो गया है. पैसे के अभाव में बच्चों का फी भी जमा नहीं हो सका है. अब अंतत: परेशान होकर हमें अपनी फसल व्यवसायियों के हाथों औने-पौने दामों पर बेचना पड़ रहा है.
रामाकांत ओझा
चौगाईं से जिला पार्षद व किसान अरविंद सिंह उर्फ बंटी शाही ने कहा कि किसानों के धान की खरीद नहीं होना सरकार की अदूरदर्शिता का परिणाम है. सरकार एवं खरीद एजेंसी एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं. बीच में निरीह किसान पिसे जा रहे हैं. और किसान अपना धान बाजार में बेचने को विवश हो रहे हैं. यह सरकार की किसानों के फसल की खरीद नहीं करने का अप्रत्यक्ष पहल है.
अरविंद सिंह उर्फ बंटी शाही
कुछ समितियों का खरीद शून्य
जिले में कुल 104 समितियां खरीद के प्रति सक्रिय है. जबकि जिले के 19 समितियां धान खरीद की कार्य नहीं कर रही है. ब्रह्मपुर के बैरिया, ब्रह्मपुर, एकरासी, गायघाट, हरनाथपुर, निमेज, ब्रह्मपुर व्यापार मंडल, बक्सर के बोक्सा, उमरपुर, चक्की के चक्की व जवही दीयर, सिमरी के बलिहार, ढकाईच, कठार, मझवारी, सिमरी, व्यापार मंडल सिमरी की समितियां धान क्षेत्र की कमी की वजह से धान खरीद शुरू नहीं कर सकी है.
अब तक हुई खरीद
जिले में 1485 किसानों से 104 खरीद समितियों के माध्यम से 24 फरवरी 16 तक महज 12 हजार 114 मिट्रिक टन धान की खरीद संभव हो सकी है. जिले में धान खरीद का लक्ष्य 87 हजार मिट्रिक टन निर्धारित है. खरीदारी की तिथि 31 मार्च तक सरकार द्वारा निर्धारित किया गया है. खरीद के आगामी अवधि में निर्धारित लक्ष्य प्राप्त करना तो दूर उसके निकट पहुंचना भी मुश्किल कार्य है.
यहां है समस्या
खरीद समितियों द्वारा अपनी कैश क्रेडिट के अनुसार धान की खरीद कर उसे मिलिंग करा लिया है. मिलिंग चावल को एसएफसी द्वारा लेने में आनाकानी किया जा रहा है. जिसके कारण एजेंसियों की गाड़ी एसएफसी गोदाम पर चार दिनों में भी खाली नहीं हो सका. नमी की आड़ में एसएफसी गोदामों पर गाडि़यां चार-चार दिन तक खड़ी रह जाती है.
बेटी की शादी में सूद पर लिया पैसा नहीं कर पाये वापस
जिले के इटाढ़ी प्रखंड के महिला गांव निवासी समृद्ध किसान व मां काल रात्रि किसान संघ के अध्यक्ष गुड्डू ओझा ने बताया कि हमारे घर में बेटी की शादी थी. शादी के लिए जरूरत है पैसे हमें अपने उत्पादित फसलों को बेच कर ही पूरा करना था.पैक्स द्वारा हमारे धान की खरीदारी नहीं किये गये. हमें अपना धान व्यवसायियों को औने-पौने दामों पर बेचना पड़ा. कम पड़े पैसों की पूर्ति 10 प्रतिशत सूद पर साहूकारों से लेना पड़ा है.
इस भारी भरकम सूद को अगले साल फसल बेच कर पूरा करना पड़ेगा. सरकारी एजेंसियों को धान बेचने के लिए तीन बार जिलाधिकारी के पास आवेदन दिया. बेटी के शादी के लिए पैसे की आवश्यकता होने की बात भी जतायी. पर जिलाधिकारी के आश्वासन के बाद भी गुड्डू ओझा के धान की खरीद नहीं हो सकी और उन्हें सूदखोर व्यवसायियों के चंगुल में फंसना पड़ गया.

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