इस बार आठ दिनों की होगी चैत्र नवरात्र
बक्सर : शक्ति की अधिष्ठात्री भगवती की आराधना-उपासना का पर्व वासंतिक नवरात्र इस बार आठ दिनों की होगी. यह आठ अप्रैल से शुरू होकर 15 अप्रैल को रामनवमी पर हवनादि के साथ संपन्न होगी. व्रत का पारण छह अप्रैल को किया जायेगा. इस बार पंचमी तिथि की हानि होने से नवरात्र आठ दिनों की है. […]
बक्सर : शक्ति की अधिष्ठात्री भगवती की आराधना-उपासना का पर्व वासंतिक नवरात्र इस बार आठ दिनों की होगी. यह आठ अप्रैल से शुरू होकर 15 अप्रैल को रामनवमी पर हवनादि के साथ संपन्न होगी. व्रत का पारण छह अप्रैल को किया जायेगा. इस बार पंचमी तिथि की हानि होने से नवरात्र आठ दिनों की है. प्रतिपदा सात अप्रैल की शाम 4.52 बजे लग रही है जो आठ अप्रैल की दोपहर 2.26 बजे तक रहेगी. ऐसे में घटनास्थल और प्रथम गौरी दर्शन इसी दिन होगा. दुर्गा अष्टमी व्रत 4 अप्रैल को किया जायेगा. रामनवमी 15 अप्रैल को मनायी जायेगी और नवरात्र का हवनादि भी इसी दिन किया जायेगा.
पूजन विधान : चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को प्रात: स्नानादि नित्य कर्म से निवृत होकर गंध, जल, अक्षत, पुष्प लेकर संकल्प करना चाहिए. सर्व प्रथम ब्रह्मा का आवाहन कर आसन, पाद्य, अर्घ, आचमन, स्नान, वस्त्र, यज्ञोपवीत, गंध, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, आचमन, तांबूल, निराजन, नमस्कार, पुष्पांजलि व प्रार्थना आदि उपचारों से पूजन करना चाहिए, घट स्थापनोपरांत तैलभ्यंग स्नान तथा नवरात्र व्रत का संकल्प कर गणपति व मातृका पूजन करना चाहिए.
नौ गौर को समर्पित चैत्र नवरात्र
ज्योतिषविद् डॉ विजय ओझा की मानें तो वर्ष में पड़नेवाली दो नवरात्रों में शारदीय नवरात्र नौ दुर्गा व वासंतिक नौ गौरी को समर्पित है. दोनों में ही व्रत, पूजन व दर्शन का विधान है. वासंतिक नवरात्र का शुरू हिंदी नववर्ष के प्रथम दिन चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से होता है. अत: इसे चैत्र नवरात्र भी कहा जाता है.
डोली पर आगमन, मुरगे पर विदाई : माता का आगमन शुक्रवार को डोली में तो गमन शनिवार को मुरगे पर हो रहा है. घट स्थापना 11.53 से 12.5 तक : इस बार प्रतिपदा की प्रात: वैद्यति योग के कारण घट स्थापना का मुहूर्त दोपहर 1.53 से 12.25 बजे तक अभीजित नक्षत्र में होगा जो काफी फलदायी साबित होगा.