8 अप्रैल-बक्सर-ट्रवल शूटर-2

8 अप्रैल-बक्सर-ट्रवल शूटर-2 डॉ भूपेन्द्र नाथ से चिकित्सा से जुड़े सवालों के जवाब फोटो-16-डॉ भूपेंद्र नाथ प्रश्न 1-गरमी के इस मौसम में कौन-कौन सी बीमारी लोगों को परेशान करती है और उसके बचाव के क्या उपाय हैं?-संतोष ठाकुर, बक्सरउत्तर-गरमी के दिनों में लोग लू के शिकार हो जाते हैं जिससे मेडिकल शब्दों में हाइपर, पाइरेक्सिया […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 8, 2016 12:00 AM

8 अप्रैल-बक्सर-ट्रवल शूटर-2 डॉ भूपेन्द्र नाथ से चिकित्सा से जुड़े सवालों के जवाब फोटो-16-डॉ भूपेंद्र नाथ प्रश्न 1-गरमी के इस मौसम में कौन-कौन सी बीमारी लोगों को परेशान करती है और उसके बचाव के क्या उपाय हैं?-संतोष ठाकुर, बक्सरउत्तर-गरमी के दिनों में लोग लू के शिकार हो जाते हैं जिससे मेडिकल शब्दों में हाइपर, पाइरेक्सिया कहते हैं. इस बीमारी से बचाव जितना हो सके. लोगों को करना चाहिए और तेज धूप में निकलने से लोगों को परहेज करना चाहिए.प्रश्न 2-लू लगने के कौन से लक्षण हैं? और इससे क्या पहचान होती है-रवींद्र कुमार, जासो रोडउत्तर-लू लगने से गले में जलन और तेज बुखार होता है. उल्टी-दस्त और अपच जैसी परेशानी हो जाती है. लोगों को गरमी में भी शरीर तपने का आभास होता है. और शरीर में दर्द भी होता है. बुखार 105 डिग्री से 106 डिग्री तक चला जाता है इसके लिए चिकित्सकीय सलाह के बाद ही दवा लेनी की जरूरत होती है. घरेलू नुख्शे आम के पन्ने का सेवन करना लाभकारी होता है. साथ ही अगर पके आम के हिस्से को शरीर में लगा कर स्नान करने से भी राहत मिलती है. साथ ही ठंडे पानी से शरीर को धोने से राहत मिलती है. प्रश्न 3- गरमी के दिनों में बच्चों को किस तरह माताओं को रखना चाहिए? श्वेता सिंह, बक्सरउत्तर-गरमी के समय में बच्चों को मिजिल्स, चिकेन पॉक्स जैसी बीमारियां झेलनी पड़ती है. क्योंकि ऐसी स्थिति में बच्चों को गर्मियों से बचाना ज्यादा जरूरी होता है. इसके लिए जरूरी है कि बच्चों को ढक कर ही गरमियों में निकला जाय. सन स्ट्रोक लगने से बच्चों के नरम चमड़े जलते हैं और उस पर तरह-तरह के खराबी आ सकती है. कै-दस्त, बुखार होने की स्थिति में तुरंत चिकित्सकीय सलाह लेनी चाहिए. प्रश्न 4- बच्चों को और बड़ों को गरमियों में किस तरह करना चाहिए?-राजेश कुमार, चौगाईं उत्तर-गरमी में शरीर के अंदर का पानी तेज से सूखता है. साथ ही बच्चों को भी ज्यादा पानी की आवश्यकता पड़ती है. इसलिए जरूरी है कि बच्चों के साथ-साथ बड़े भी चाहत से अधिक पानी का सेवन करें. अगर संभव हो तो धूप में निकलने से पहले भर पेट पानी पी लें. इससे लू लगने का खतरा भी कम हो जायेगा. प्रश्न 5-गरमियों के मौसम में खानपान में लोगों को क्या बदलाव करना चाहिए?-संतोष सिंह, चक्की उत्तर-गरमियों में खानपान में थोड़ा बदलाव की जरूरत होती है. खानपान के साथ-साथ फलों के रस अथवा अन्य लिक्वियड पेय पदार्थ लिया जाना चाहिए. इससे शरीर में अतिरिक्त पानी चला जाता है. और गरमियों से बचा जा सकता है.प्रश्न 6-किसी व्यक्ति को अगर डी हाइड्रेशन हो जाय तो क्या उस स्थिति में प्रारंभिक इलाज क्या किया जाना चाहिए?-दिनेश कुमार, राजपुरउत्तर- डी हाइड्रेशन के बाद यह जरूरी है कि तुरंत आरओ, ओआरएस का घोल, इलेक्ट्रॉल पाउडर पानी में घोल कर पीना चाहिए. अगर यह उपलब्ध नहीं हो तो वैसी स्थिति में चीनी के शरबत में नमक मिला कर पिया जा सकता है. एक गिलास चीनी के शरबत में दो चुटकी नमक डाल कर पीने से भी डी-हाइड्रेशन को तुरंत चेक किया जा सकता है. उपलब्ध होने पर गन्ने का जूस भी पीने से शरीर को राहत मिलती है. प्रश्न 7-बासी खाना खाने से लोगों को क्या बचना चाहिए? महंगाई के इस समय में लोग अनाज फेंकना नहीं चाहते ऐसे में क्या उपाय है.-रामजी सिंह, राजपुरउत्तर-बासी खाना गरमियों में बिल्कुल नहीं खाना चाहिए. गरमी के दिनों में खाना इन्फेकटेड हो जाता है और उससे कई तरह की बीमारियां जन्म ले सकती है. खाने में तुरंत बना कर गरम खाना खाएं तो यह काफी लाभकारी होगा और गरमियों में होने वाली बीमारियों से बचा जा सकता है.प्रश्न 8-गरमियों में आम तौर पर लोग गरमियों और धूप से आकर तुरंत फ्रिज का पानी पीते हैं इसका क्या असर पड़ता है?-दिलीप यादव, चौसाउत्तर-गरमियों में निकलने के बाद घर लौटने पर कम से कम शरीर को थोड़ी देर के लिए ठंडा होने देना चाहिए. इससे तापमान शरीर का और कमरे का एक समान हो जाता है. इसे एक्लेमेटाइजेशन कहते हैं. इसके बाद अगर ठंडे पेय अथवा फ्रिज का पानी भी पिया जाय तो शरीर को कोई नुकसान नहीं होता. हालांकि तुरंत पानी पीने से गले की खराबी सबसे पहले आती है और फिर दवाओं से ही उसे ठीक किया जा सकता है.प्रश्न 9-नवजात बच्चों के जन्म के बाद इन्क्यूवेटर में बच्चों को रखना काफी खर्चीला होता है क्या इसका और भी विकल्प है.-रोहित रंजन, बक्सरउत्तर-बच्चों में न्यूकोनियम पी लेने की गर्भावस्था की यह खास बीमारी हो गयी है और इसके लिए बच्चों को बचाना काफी खतरनाक हो जाता है. इन्क्यूवेटर में रखने से बच्चों का जीवन सुरक्षित हो जाता है और उसे बचाया जा सकता है. ऐसा न करने से नवजात में निमोनिया की बीमारी हो जाती है और यह काफी खतरनाक होती है और जानलेवा भी होती है. ऐसे में नवजातों की गहन चिकित्सा इन्क्यूवेटर में ही संभव है.प्रश्न 10-शराब के आदी लोगों को अब शराब से दूर करने के लिए क्या कुछ दवाएं हैं? गोपाल प्रसाद, बक्सरउत्तर-शराब पीने वाले लोगों को लक्षण के हिसाब से दो भागों में चिकित्सकीय लाभ दिया जाता है. इसके लिए पहला वर्ग होता है जिसे ज्यादा पीने की आदत होती है और दूसरा वर्ग ऐसा होता है जो पहले शराब पीता था अब शराब छोड़ चुका है. दोनों ही स्थिति के लिए इलाज अलग-अलग है. इसके लिए एंटी-क्रैमिंग एजेंट दिया जाता है. जिससे नशे के सिम्टोमेटिक इलाज संभव हो सके. शराब के आदी लोगों का पल्स रेट भी बढ़ जाता है जिससे सामान्य करना चिकित्सक की पहली प्राथमिकता होती है.हमें भी कुछ कहना हैभोजपुरी गीतों में अश्लीलता के प्रयोग से हुआ बड़ा नुकसान सांस्कृतिक कर्मी और भोजपुरी लोक कलाकारों के संरक्षक मनोज चौबे ने भोजपुरी के विकास के लिए करीब तीन दशक गुजारा है. ऐसे में इन्होंने भोजपुरी के सभी नामी-गिरामी गायकों और कलाकारों को दिशा देने का काम किया है. भरत शर्मा व्यास, मुन्ना सिंह, गोपाल राय, विष्णु ओझा, रवींद्र कुमार राजू, ओमप्रकाश सिंह यादव, कमलवांस कुंवर, गायत्री ठाकुर, राधा किशुन व्यास, अरविंद अकेला कल्लू समेत कई अन्य कलाकारों को ऊंचाइयों तक ले जाने वाले मनोज चौबे कहते हैं कि जब से भोजपुरी गीतों में अश्लीलता घुसी है इस भोजपुरी संस्कृति का विनाश शुरू हो गया है.पूर्व के दिनों में भोजपुरी गीत न सिर्फ भोजपुरी संस्कृति और संस्कार से जुड़े होते थे. लेकिन नयी पीढ़ी के प्रवेश के बाद भोजपुरी गीतों में अश्लीलता घुस गयी और यह इस संस्कृति को बरबादी की राह पर ले जा रही है. भोजपुरी गीत पूर्व के दिनों में लोकगीत,विरहा, रामायण गायन जैसे कई लोक संस्कृति से जुड़े हुए हैं.बॉलीवुड की जगह पालीवुड, भोजपुरी नहीं ले पाया इसका भी सबसे बड़ा कारण पुराने लोगों को तरजीह और मान सम्मान नहीं मिलना है. सम्मान नहीं मिलने से भोजपुरी के विकास की मन में बात रखने वाले लोगों की हर स्तर पर उपेक्षा हुई जिसके कारण भोजपुरी का समुचित विकास नहीं हो पाया.कैरियर काउंसिलिंग को लेकर एमवी कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ श्यामजी मिश्र से बातचीत प्रश्न 1-कैरियर निर्माण के लिए 12वीं कक्षा के बाद छात्र-छात्राओं को क्या करना चाहिए?-रोहित सिंह, बक्सरउत्तर-चरित्र निर्माण के लिए 12वीं कक्षा उत्तीर्ण होने के बाद अथवा 12वीं कक्षा की पढ़ाई के समय ही प्रयास शुरू कर देना चाहिए. और दिशा तय कर लेनी चाहिए कि उन्हें इंजीनियरिंग में जाना है या मेडिकल में.विज्ञान पढ़ने वाले बच्चों को इंजीनियरिंग की तरफ झुकाव होनी चाहिए.साथ ही बायोलॉजी पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को मेडिकल में जाना ही विकल्प होता है. प्रश्न 2-कैरियर के लिए शोध क्या है? और शोध में छात्र-छात्राओं को कैसे आगे बढ़ना चाहिए-मंजीत कुमार,बक्सरउत्तर-कैरियर के लिए शोध भी एक अच्छा होता है. इसके लिए स्नातक की डिग्री के बाद तैयारियां शुरू हो जाती है. प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में उच्च शिक्षा ग्रहण करके एवं शोध में लगने से बेहतर कैरियर मिल सकता है. साथ ही नये-नये आविष्कारों में शोध की बड़ी संभावना है.

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