डुमरांव पीएनबी से करोड़ों का घपला करनेवाला अब भी गिरफ्त से बाहर
डुमरांव पीएनबी से करोड़ों का घपला करनेवाला अब भी गिरफ्त से बाहर सुस्ती. 1995 में हुए घपले से क्षेत्र के लोगों में मचा था हड़कंप अब तक नहीं पकड़े गये घपलेबाज बैंक प्रबंधक ने दर्ज करायी थी प्राथमिकी पुलिस पकड़ में अभी तक नहीं आया कोई अभियुक्त बक्सर, कोर्ट : वर्ष 1995 तब डुमरांव अभी […]
डुमरांव पीएनबी से करोड़ों का घपला करनेवाला अब भी गिरफ्त से बाहर
सुस्ती. 1995 में हुए घपले से क्षेत्र के लोगों में मचा था हड़कंप
अब तक नहीं पकड़े गये घपलेबाज
बैंक प्रबंधक ने दर्ज करायी थी प्राथमिकी
पुलिस पकड़ में अभी तक नहीं आया कोई अभियुक्त
बक्सर, कोर्ट : वर्ष 1995 तब डुमरांव अभी मुख्य रूप से एक प्रखंड ही था. ऐसे में पंजाब नेशनल बैंक की शाखा में हुए करोड़ों के घपले ने पूरे क्षेत्र में हड़कंप मचा दिया था. घपलेबाजी करनेवाला कोई और नहीं, बल्कि विशेष सहायक एवं पावर ऑफ ॲटनरी होल्डर लाल बहादुर सिंह उर्फ लाल जी सिंह था.
वर्षों-वर्षों से एक ही शाखा में कार्य करने के कारण स्थानीय लोगों से उसके मधुर संबंध हो गये थे, जिसके चलते उसके घर तक ग्राहकों का आना-जाना होता था. बैंक में एक ही काउंटर पर कई वर्षों से काबिज होने के कारण उसने आसानी से करोड़ों रुपये की घपलेबाजी कर डाली. तत्कालीन शाखा प्रबंधक एमपी सिंह ने डुमरांव थाने में कांड संख्या 150/95 दर्ज कराया था. पुलिस तब से उसकी तलाश रही है.
लेकिन, दो दशक बीत जाने के बाद भी डुमरांव का नटवर लाल अभी तक पुलिस पकड़ से बाहर है.
एक के बाद एक कई खुले थे प्राइवेट बैंक : 90 के दशक में प्राइवेट बैंक खोलने की बाढ़ देखी गयी. सहस्त्र फाइनेंस, जेबीजी, शाहाबाद बैंक, डुमरांव कमर्शियल बैंक, आरा बैंक आदि कई बैंक नगर में खोले गये थे. सभी बैंकों ने अपना कार्यालय सुचारु ढंग से खोल रखा था तथा उन पर किसी तरह की कोई अंकुश सरकारी स्तर पर नहीं लगायी गयी थी. इन बैंकों के एजेंट लोगों को जल्द ही राशि दुगुनी करने का झांसा दे पैसे जमा कराते गये.तब जेबीजी ने ढाई वर्षों में ही जमा राशि को दुगुना करने का स्कीम छलावा के रूप में लोगों के समक्ष पेश किया. एक के बाद एक करके सभी बैंक धीरे-धीरे पैसे ले चंपत होते चले गये.
अभी तक नहीं पकड़ा गया लाल जी :पंजाब नेशनल बैंक में हुआ घपला अन्य बैंकों से पूरी तरह अलग था. क्योंकि उक्त बैंक सरकारी था तथा घपलेबाजी बैंक के सहायक प्रबंधक द्वारा की गयी थी. उक्त घपलेबाजी के बाद पूरे शहर के उपभोक्ताओं ने अपना आक्रोश दिखाया था तथा अभियुक्त को पकड़ने के लिए धरना एवं प्रदर्शन भी किये गये थे. ऐसा कई लोगों ने देखा था कि पंजाब नेशनल बैंक घपलेबाजी का सरगना अपने खास लोगों से मिलता जुलता रहा, लेकिन पुलिस को उसकी आज तक आहट नहीं मिली.
कई लोगों की डूब गयी थी उनके जीवन की कमाई : पंजाब नेशनल बैंक एवं अन्य बैंकों में जमा राशि के बाद कई घरों की आर्थिक स्थिति काफी दयनीय हो गयी. सक्षम लोगों ने न्यायालय का दरवाजा खटखटा कर न्याय की उम्मीद लगायी, लेकिन ऐसे बहुत लोग थे जो आर्थिक कारणों के चलते पैसे के इंतजार में अपना दम तोड़ दिये. बताते चलें कि जवाहर राम, वीरेंद्र कुमार, शंभूनाथ, अकबर हुसैन आदि उपभोक्ताओं की राशि गबन के मजझार में डूब गयी. डुमरांव पंजाब नेशनल बैंक के घपले की प्राथमिकी के बाद अभी भी मामला एसडीजेएम के न्यायालय में लंबित है. लेकिन, पुलिस द्वारा यह अब तक स्पष्ट नहीं किया गया कि लाल जी सिंह जिंदा हैं या नहीं.
आरोपित गया जेल : इटाढ़ी. स्थानीय थाना क्षेत्र के बसुधर निवासी यशवंत सिंह को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. थानाध्यक्ष शमीम अहमद ने बताया कि कांड संख्या-88/ 15 का सरकारी धान के मिलिंगम मामले में लगभग एक करोड़ गबन का अभियुक्त था, जिसका पुलिस को बहुत दिनों से इंतजार था. आरोपित को थानाध्यक्ष शमीम अहमद व एएसआइ सुरेश चंद्र कैथल दोनों ने संयुक्त रूप से छापेमारी कर गिरफ्तार कर जेल भेज दिया.
कई बैंकों में की गयी थी घपलेबाजी
पुराना मामला है, अब संज्ञान में आया है
डुमरांव के डीएसपी कमलापति सिंह ने इस संबंध में बताया कि घोटालेबाज लाल बहादुर सिंह उर्फ लाल जी सिंह का मामला वर्ष 1995 का है. अभी यह मामला मेरे संज्ञान में आया है, तो मामले को फिर से छानबीन कर अभियुक्त को पकड़ने की कोशिश की जायेगी.
उन्होंने बताया कि यह पुराना मामला होने के कारण उनके कार्यकाल का नहीं है. जिसके कारण मामले के बारे में उन्हें विस्तृत जानकारी नहीं है. उन्होंने बताया कि इस संबंध में बैंक ने भी कोई रिवाइंडर नहीं किया है, जिसके कारण पुलिस की सक्रियता नहीं बन पाई.पूर्व के दिनों में इस मामले में दर्ज कांड को फिर से देखा जायेगा, ताकि दोषी को सलाखों के पीछे लाया जा सके.