कोर्ट की सुरक्षा भगवान भरोसे

पूर्व में घट चुकी हैं कई बड़ी घटनाएं बक्सर, कोर्ट : बक्सर कोर्ट की सुरक्षा भगवान के भरोसे है. कोर्ट की चहारदीवारी ऐसी है कि कोई भी आसानी से कोर्ट परिसर में फांद कर दाखिल हो सकता है. कोर्ट परिसर में जाने के लिए लोगों को मुख्य द्वार से ही प्रवेश करना होता है, लेकिन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 18, 2016 3:17 AM

पूर्व में घट चुकी हैं कई बड़ी घटनाएं

बक्सर, कोर्ट : बक्सर कोर्ट की सुरक्षा भगवान के भरोसे है. कोर्ट की चहारदीवारी ऐसी है कि कोई भी आसानी से कोर्ट परिसर में फांद कर दाखिल हो सकता है. कोर्ट परिसर में जाने के लिए लोगों को मुख्य द्वार से ही प्रवेश करना होता है, लेकिन चहारदीवारी ऊंची नहीं होने के कारण परिसर में लोग फांद कर भी आसानी से आ जाते हैं.
मुख्य द्वार से आने जानेवाले लोगों की जांच की जाती है, लेकिन पहचान पत्र के अभाव में प्रतिदिन सुरक्षा कर्मियों के साथ तू-तू-मैं-मैं होती है. बताते चलें कि माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के बाद बिहार के न्यायालयों में आने जानेवाले अधिवक्ताओं के अलावा न्यायालय के कर्मचारियों के साथ-साथ सभी मुवक्किलों का पहचान पत्र अनिवार्य कर दिया गया है.
पूर्व में भी हो चुकी हैं कई घटनाएं : 104 वर्ष पुराने हो चुके बक्सर व्यवहार न्यायालय में कई बड़ी घटनाओं पूर्व में हो चुकी हैं. वर्ष 2014 में कैदी कमलेश यादव को अपराधियों ने उस समय परिसर में गोलियों से भून डाला, जब पेशी के बाद उसे हाजत पहुंचाया जा रहा था. इसके अलावा कुख्यात अपराधी शेरू सिंह ने हवलदार को गोली मार कर फरार हो गया था. बक्सर न्यायालय में ऐसे कई कुख्यात अपराधियों की पेशी की जाती है, जो काफी खतरनाक किस्म के हैं तथा इन्हें सेंट्रल जेल के सेल में रखा गया है. न्यायालय परिसर में पुलिस पेट्रोलिंग की व्यवस्था नहीं है. जब ऐसे अपराधी परिसर में लाये जाते हैं, तो इनसे नजदीकी रखनेवाले बड़े आसानी से इनके पास पहुंच जाते हैं.
कोर्ट परिसर में बनी हाजत की नहीं है बेहतर व्यवस्था : पेशी के दौरान बंदियों को सेंट्रल जेल से कोर्ट परिसर लाया जाता है, जहां कोर्ट परिसर में बने हाजत में उन्हें रखा जाता है.वहां भी सुरक्षा का बेहतर व्यवस्था नहीं है, जिस कारण एक बार बंदी फरार भी हो गया है. यही नहीं बड़े आराम से सामान भी बंदियों तक पहुंच जाता है.

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