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सदस्य की कमी से नहीं मिल रहा त्वरित न्याय

लालफीताशाही के चलते नहीं हो रही नियुक्ति, मामला, जिला उपभोक्ता फोरम का बक्सर, कोर्ट : 90 दिनों के अंदर फैसला सुनानेवाला उपभोक्ता फोरम सूना पड़ा हुआ है. उपभोक्ता न्यायालय में जज उपस्थित हैं. न्यायिक प्रक्रिया को पूरा करने के लिए अधिवक्ताओं का समूह भी तैनात है, लेकिन हस्ताक्षर करनेवाला एक सदस्य की कमी के कारण […]

लालफीताशाही के चलते नहीं हो रही नियुक्ति, मामला, जिला उपभोक्ता फोरम का

बक्सर, कोर्ट : 90 दिनों के अंदर फैसला सुनानेवाला उपभोक्ता फोरम सूना पड़ा हुआ है. उपभोक्ता न्यायालय में जज उपस्थित हैं. न्यायिक प्रक्रिया को पूरा करने के लिए अधिवक्ताओं का समूह भी तैनात है, लेकिन हस्ताक्षर करनेवाला एक सदस्य की कमी के कारण फैसला पारित नहीं हो रहा है. उपभोक्ता फोरम में एक न्यायाधीश के अलावे दो सदस्यों की नियुक्ति का प्रावधान है, जिसमें से एक महिला सदस्य तथा दूसरा पुरुष सदस्य की नियुक्ति की जाती है.
सदस्यों के चुनाव के लिए सामाजिक सेवा के अनुभव को प्राथमिकता दी जाती है. गौरतलब हो कि उपभोक्ता फोरम की महिला सदस्या आशा देवी अगस्त 2015 को सेवानिवृत्त हुईं थीं, जिसके बाद लगभग एक वर्ष की अवधि पूरा हो जाने के बाद भी महिला सदस्य की नियुक्ति नहीं की गयी. बावजूद इसके पुरुष सदस्य एवं अध्यक्ष की उपस्थिति में आदेश पारित होता रहा, लेकिन फोरम के सदस्य सुरेश ठाकुर द्वारा दिये गये त्याग पत्र के बाद अब फोरम में कोरम की कमी हो गयी है, जिसके चलते जज की
उपस्थिति के बावजूद फैसला सुनाने में फोरम अक्षम हो गया है. अन्य अदालतों से अलग उपभोक्ता न्यायालय में सजा की जगह क्षतिपूर्ति राशि दिलायी जाती है. जिला फोरम में 20 लाख रुपये तक के हर्जाने की राशि दिलायी जा सकती है. ऐसे में पीड़ित उपभोक्ता न्याय की आस में उपभोक्ता फोरम का दरवाजा खटखटाते हैं.
फोरम में लगभग 150 मामले पड़े हैं लंबित : फोरम में लगभग 150 मामले लंबित हैं, जिसमें एक तिहाई मामले विद्युत विभाग से संबंधित हैं. इस संबंध में उपभोक्ता अरुण कुमार सिंह का कहना है कि प्रत्येक महीने विपत्र जमा करने के बाद भी विद्युत विभाग ने हजारों रुपये का गलत विपत्र थमा दिया था. इसे लेकर उन्होंने उपभोक्ता न्यायालय में परिवाद दाखिल किया था. लेकिन सदस्य के नहीं रहने के कारण मामले की सुनवाई नहीं हो रही है.
हाइकोर्ट ने किया सचिव को तलब
राज्य के कई उपभोक्ता न्यायालयों में कामकाज ठप हो जाने को लेकर पटना उच्च न्यायालय ने खाद्य आपूर्ति विभाग के सचिव को तलब किया है. बताते चलें कि बिहार के कई उपभोक्ता न्यायालयों में सदस्य की कमी के कारण न्यायिक कार्य बाधित है. इसको लेकर पटना उच्च न्यायालय में एक याचिका दाखिल किया गया था. जिस पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने संबंधित विभाग के सचिव को हलफनामा के साथ तलब किया है.

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