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उपभोक्ताओं के डूबे दो करोड़ रुपये

बक्सर : शहर से चिट-फंड कंपनी विश्वामात्रि इंडिया परिवार उपभोक्ताओं के करीब दो करोड़ों से अधिक की रकम लेकर ग्यारह माह से फरार है. इसके कारण उपभोक्ताओं की छाती फट रही है. बावजूद इसके जिला पुलिस प्रशासन अब तक न तो कंपनी की जांच करायी और न ही इसके कर्मचारियों की गिरफ्तारी के लिए कोई […]

बक्सर : शहर से चिट-फंड कंपनी विश्वामात्रि इंडिया परिवार उपभोक्ताओं के करीब दो करोड़ों से अधिक की रकम लेकर ग्यारह माह से फरार है. इसके कारण उपभोक्ताओं की छाती फट रही है.
बावजूद इसके जिला पुलिस प्रशासन अब तक न तो कंपनी की जांच करायी और न ही इसके कर्मचारियों की गिरफ्तारी के लिए कोई कदम ही उठायी. इस मामले में नगर थाने में एक उपभोक्ता ने कंपनी के मैनेजर और एजेंट के विरुद्ध प्राथमिक दर्ज करायी है. उल्लेखनीय है कि बक्सर जिले में करीब चार साल से कंपनी चल रही थी, जिसका ब्रांच इन चार सालों में कई बार अलग-अलग जगहों पर चले. हाल फिलहाल में यह शहर के अांबेडकर चौक पर कंपनी संचालित होती थी, पर अब यहां नहीं है. जिस किराये के मकान में यह बैंक चलता था, वहां अब कोई दूसरी दुकान चल रही है. आज कंपनी के न तो पदाधिकारियों का कोई पता है और न ही उसके एजेंटों का, पर पुलिस अब तक न तो इस कंपनी के फरार होने की कोई जांच-पड़ताल की और न ही मैनेजर और एजेंटों की गिरफ्तारी. ऐसे में हैरान-परेशान उपभोक्ताओं को अब यह सूझ नहीं रहा है कि उन्हें यह पैसा कैसे मिलेगा. जिला पुलिस प्रशासन कंपनी की जांच करने के प्रति बिल्कुल ही सुस्त और लापरवाह है, जिसके कारण गरीबों की खून-पसीने की कमाई अब कंपनी से वापस मिलने का कोई रास्ता नहीं सूझ रहा.
दस हजार से अधिक हैं उपभोक्ता
इस कंपनी में जिले के दस हजार से अधिक उपभोक्ताओं ने अपने पैसे को निवेश किया है. लोग बताते हैं कि कंपनी के एजेंट ज्यादा ब्याज देने के नाम पर जिले के लोगों से पैसे का निवेश कराते थे. कंपनी के लिए काम करनेवाले एजेंटों की संख्या भी 50 से अधिक थी. कंपनी में मैनेजर और कई लिपिक भी काम करते थे. इन कर्मचारियों के सहयोग से कंपनी ने इन पांच वर्षों में दस हजार से अधिक लोगों के पैसे को निवेश कर चुकी थी. एक अनुमान के मुताबिक उपभोक्ताओं के करीब दो करोड़ रुपये कंपनी लेकर फरार हो चुकी है.
कंपनी पर झारखंड में भी है मामला दर्ज
विश्वामित्र इंडिया परिवार बिहार के कई जिले में अभी चल रही है. वहीं, बक्सर में इसके खिलाफ मामला दर्ज भी हुआ है. कंपनी के उपभोक्ता मो. नसीम ने नगर थाना में कांड संख्या 9, 2016 के तहत कंपनी के मैनेजर सिमरी निवासी कमलदेव पाठक और एजेंट अजीत कुमार के खिलाफ मामला दर्ज कराया है. वहीं, बिहार के अलावा झारखंड में भी मामला दर्ज हैं. यहां के कई जिलों में भी हजारों उपभोक्ताओं की कमाई को कंपनी लूट कर फरार हो चुकी है. यहां भारतीय दंड विधान की धारा 406/420/ 467/468/ 471/120बी/34 के तहत मामला दर्ज किया गया है.
क्या है चिट-फंड
‘चिट फंड’ एक बचत योजना है, जिसमें निवेशक पैसों के अलावे अन्य रूपों जैसे अनाज,सोना या अन्य एसेट्स में भी निवेश कर सकते हैं. भारत में यह चिट फंड एक्ट,1982 के अंतर्गत चलाया जाता है. चिट फंड एक्ट, 1982 की धारा 2 के अनुसार,चिट का अर्थ है ट्रांजैक्शन जो चिट,चिट फंड,चिट्टी आदि कहलाते हैं, जिसमें एक सीमित संख्या में निवेशक एक निर्धारित राशि या उसके बराबर अन्य एसेट्स जैसे अनाज,सोना आदि में निवेश एक निर्धारित समय के लिए करते हैं. इसमें एग्रीमेंट के अनुसार निवेशकों को उनके निवेश की राशि से दोगुनी,तिगुनी या और भी ज्यादा अधिक राशि रिटर्न के तौर पर मिलती है. इसमें ज्यादातर छोटे निवेशक या किसान निवेश करते हैं.
कर्मचारी देते हैं झांसा
कुछ उपभोक्ताओं की मानें, तो कंपनी के कुछ कर्मचारियों से उनकी मुलाकात शहर में होती है, जो इन्हें कंपनी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज नहीं करने की सलाह देते हैं. कर्मचारी अक्सर यह कहते हैं कि यदि प्राथमिकी दर्ज कराइयेगा, तो आपका पैसा भविष्य में किसी भी माध्यम से नहीं मिलेगा.
इस झांसे में आकर अब तक सैकड़ों उपभोक्ताओं ने कंपनी के खिलाफ कोई सामूहिक प्राथमिकी दर्ज नहीं करायी है. हालांकि शहर के नालबंद टोली के एक उपभोक्ता मो. नसीम ने कंपनी के कर्मचारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी है, पर महीनों बीत जाने के बाद भी पुलिस इस मामले की कोई जांच नहीं की और न ही कर्मचारियों की.

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