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हत्यारोपित को आजीवन कारावास की हुई सजा

आधा दर्जन गवाहों की गवाही सुनने के बाद एडीजे पांच की कोर्ट ने सुनाया फैसला शराब दुकान को लेकर उत्पन्न विवाद में राजपुर के रंग बहादुर सिंह की हुई थी हत्या बक्सर कोर्ट : राजपुर थाना क्षेत्र के राजपुर गांव निवासी रंग बहादुर सिंह की हत्या में प्रमोद साह को एडीजे पांच की कोर्ट ने […]

आधा दर्जन गवाहों की गवाही सुनने के बाद एडीजे पांच की कोर्ट ने सुनाया फैसला

शराब दुकान को लेकर उत्पन्न विवाद में राजपुर के रंग बहादुर सिंह की हुई थी हत्या
बक्सर कोर्ट : राजपुर थाना क्षेत्र के राजपुर गांव निवासी रंग बहादुर सिंह की हत्या में प्रमोद साह को एडीजे पांच की कोर्ट ने दोषी पाते हुए शनिवार को आजीवन कारावास की सजा सुनायी है. इसके साथ ही 10 हजार का अर्थदंड भी लगाया गया है. एडीजे पांच के अपर व सत्र न्यायाधीश अरुण कुमार श्रीवास्तव ने आधा दर्जन गवाहों की गवाही सुनने के बाद यह फैसला सुनाया.वहीं, इस मामले में नामजद सुरेंद्र पासवान के खिलाफ साक्ष्य नहीं मिलने पर उन्हें कोर्ट ने बरी कर दिया .
सरकार की तरफ से लोक अभियोजक हरसु दयाल सिंह तथा बचाव पक्ष की ओर से शिवपूजन दयाल ने बहस में हिस्सा लिया .बहस की सभी बिंदुओं पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने प्रमोद साह को दोषी पाते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनायी. इस कांड में पूरे आधा दर्जन लोगों की गवाही हुई .घटना को लेकर मृतक के परिजन व केस के सूचक अनिल कुमार सिंह के बयान पर राजपुर थाना कांड संख्या 120\\96 दर्ज कराया गया था ,जिसमें 10 लोगों के विरुद्ध नामजद प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी.
जानिए क्या था पूरा मामला : घटना के पूरे बीस साल हो गये. 21 अक्तूबर, 1996 को राजपुर में शराब की दुकान को लेकर रंग बहादुर सिंह और प्रमोद साह में विवाद हुआ, जिसके बाद रंग बहादुर सिंह की हत्या कर दी गयी . हत्या के बाद मृतक के परिजन अनिल कुमार सिंह ने इस मामले में प्रमोद साह ,सुरेंद्र पासवान समेत 10 लोगों पर प्राथमिकी दर्ज करायी थी. पुलिस के अनुसंधान में ही कुछ लोगों के नाम हट गये थे . सुरेंद्र पासवान और प्रमोद साह के खिलाफ ट्रायल चला, लेकिन सुरेंद्र के खिलाफ घटना से संबंधित कोई साक्ष्य नहीं मिलने पर उन्हें कोर्ट ने बरी कर दिया .इस मामले में कुल आधा दर्जन गवाहों की गवाही हुई .
एक साथ प्रमोद पर चला हत्या और आर्म्स एक्ट का मामला : प्रमोद को जहां हत्या के मामले में दोषी पाते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनायी गयी. वहीं, 27 आर्म्स एक्ट के मामले में भी तीन साल की सजा सुनायी गयी. इसके साथ ही एक हजार रुपये का अर्थ दंड भी लगाया गया है. इधर जुर्माना नहीं देने पर राजस्व बकाया के रूप में वसूला जायेगा.
बीस साल बाद मिला पीड़ित परिवार को न्याय : इस मामले में पीड़ित परिवार को पूरे बीस वर्ष का इंतजार करना पड़ा. देर से ही कोर्ट द्वारा सुनाये गये. इस फैसले से पीड़ित परिवार काफी संतुष्ट है. वहीं, सुरेंद्र पासवान ने भी न्यायपालिका पर पूरा भरोषा जताया .

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