रात 11:30 तक स्थापित होगा कलश
बक्सर/डुमरांव : शारदीय नवरात्र आज से शुरू हो गया है. नवरात्र के पहले दिन लोग मां दुर्गा की पूजा-अर्चना के लिए कलश स्थापना करेंगे. जानकारों के अनुसार इस वर्ष वैधृति योग प्रतिपदा के नहीं रहने से कलश स्थापन का कार्य रात 11:30 तक हस्त नक्षत्र में हो सकेगा. उसके बाद चित्रा नक्षत्र आयेगा, जिसमें कलश […]
बक्सर/डुमरांव : शारदीय नवरात्र आज से शुरू हो गया है. नवरात्र के पहले दिन लोग मां दुर्गा की पूजा-अर्चना के लिए कलश स्थापना करेंगे. जानकारों के अनुसार इस वर्ष वैधृति योग प्रतिपदा के नहीं रहने से कलश स्थापन का कार्य रात 11:30 तक हस्त नक्षत्र में हो सकेगा. उसके बाद चित्रा नक्षत्र आयेगा, जिसमें कलश स्थापन वर्जित है. वहीं, नवरात्र में देवी व्रत में नव कुआरियों का पूजन परम आवश्यक माना गया है. इसको लेकर जिला मुख्यालय समेत सभी प्रखंडों में तैयारी शुरू हो गयी है़ वहीं, शुक्रवार को शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना को लेकर बाजारों में खरीदारी को लेकर महिला व पुरुषों की भीड़ से बाजार में चहल पहल था.
इस दौरान कलश स्थापना के साथ ही मां की आराधना आज से शुरू हो जायेगी. प्रथम शैलपुत्री के आगमन को ले काफी ख्ुशी है़ वहीं, दूसरी ओर शक्ति की देवी दुर्गा की आराधना को लेकर विभिन्न पूजा पंडालों में मां की प्रतिमा को अंतिम रूप दिया जा रहा है. पूजा समिति के सदस्य पंडालों के निर्माण में दिन रात लगे हैं. कई पंडालों में मूर्ति की पेंटिग व झांकियों का स्वरूप काे अंतिम रूप देने में मूर्तिकार लगे हुए हैं. इंद्रियों पर रखें नियंत्रण : नवरात्र को लेकर पंडित मुक्तेश्वर नाथ शस्त्री ने बताया कि इस वर्ष 10 दिन के उपवास में प्रत्येक दिन विभिन्न इंद्रियों पर नियंत्रण रखने की शिक्षा नवरात्र में व्रतियों को दी जाती है.
इसमें शैलपुत्री का रूप वाणी पर नियंत्रण, ब्रह्मचारिणी का रूप ब्रह्मचर्य का पालन करना, चंद्रघंटा का रूप सच्ची स्वच्छ बातों का श्रवण करना, कुष्मांडा का रूप भोजन आदि पर नियंत्रण, स्कंदमाता का रूप नेत्र पर नियंत्रण, कात्यायनी का रूप विचारों में नियंत्रण करना सिखलाता है. इस तरह छह रूपों में अलग-अलग चीजों पर नियंत्रण से कालरात्रि के रूप में माता अपने भक्त को काल पर नियंत्रण करना, महागौरी व्रती के अहंकार की प्रवृत्ति समाप्त करना तथा सिद्धिदात्री के रूप में माता हर कार्य सिद्ध करने का आशीर्वाद देती हैं.