त्रिपुर सुंदरी मंदिर में नवरात्र में नहीं होता कलश स्थापित
डुमरांव के बाद गया और पटना में प्रसिद्ध तांत्रिक ने की थी स्थापना डुमरांव : शाहाबाद का एकलौता मंदिर जहां नवरात्र में बिना कलश स्थापना के श्रद्धालु दुर्गा सप्तशी का पाठ करते हैं. डुमरांव नगर के लाला टोली रोड स्थित महामाया महाविधा दक्षिणेश्वरी राज राजेश्वरी त्रिपुर सुंदरी का मंदिर पूर्णत: तांत्रिक मंदिर है. पूर्वजों की […]
डुमरांव के बाद गया और पटना में प्रसिद्ध तांत्रिक ने की थी स्थापना
डुमरांव : शाहाबाद का एकलौता मंदिर जहां नवरात्र में बिना कलश स्थापना के श्रद्धालु दुर्गा सप्तशी का पाठ करते हैं. डुमरांव नगर के लाला टोली रोड स्थित महामाया महाविधा दक्षिणेश्वरी राज राजेश्वरी त्रिपुर सुंदरी का मंदिर पूर्णत: तांत्रिक मंदिर है. पूर्वजों की माने, तो स्तब्ध निशा रात्रि में जब आम लोग इस रास्ते से गुजरते हैं और मंदिर के पास आते हैं तो सहसा ही उनके कदम ठिठक जाते हैं. ऐसा लगता है कि जैसे मूर्तियां आपस में बातें कर रही हों. फिर लोग तेज कदमों से आगे बढ़ जाते हैं.
यह भ्रम नहीं, बल्कि सच्चाई है. माता राज राजेश्वरी त्रिपुर सुंदरी के अलावा मनुष्य के प्रत्येक विपत्ति नाश करनेवाली बंगलामुंखी माता व मनुष्य के अहंकार को नाश करनेवाली तारा माता यहां विराजमान हैं. इनके साथ ही पांच भैरव जिसमें दत्तात्रेय, बटूक, अन्नपूर्णा, काल भैरव और मातंगी भैरव विद्यमान हैं.
यहां कि ऐसी मान्यता है कि सच्चे दिल से मांगी हर मनोकामना पूरी होती है. पंडित किरण मिश्रा बताते हैं कि इस सिद्धि पीठ मंदिर की स्थापना पूर्वज प्रसिद्ध तांत्रिक भवानी मिश्रा ने लगभग आदि काल पहले की थी. उन्होंने माता रानी के चरणों की मिट्टी ले जाकर गया स्थित बंगलामुंखी मंदिर तथा पटना के गुड़ मंडी बाजार में बंगलामुंखी माता का प्राण-प्रतिष्ठा की थी. साल में होनेवाले तीन नवरात्राें में श्रद्धालु मंदिर परिसर में बैठ पाठ करते हैं. सबसे खास बात यह है कि नवरात्र में इस मंदिर में कलश की स्थापना नहीं होता. भक्त इसी तरह माता की पूजा-अर्चना करते हैं़