बक्सर में चेहलुम पर निकला मातमी अखाड़ा
बक्सर : जिले भर में मुसलिम भाइयों ने चेहलुम पर्व को शांतिपूर्ण मनाया. इस अवसर पर सोमवार को शिया समुदाय की ओर से मातमी आखाड़ा निकाला गया. हजरत इमाम हुसैन और उनके 72 अंसारों की शहादत पर शहर में आखाड़ा निकाला गया. घरों में फातिया पढ़ा गया और खाना बनाकर गरीबों को खिलाया गया. शहर […]
बक्सर : जिले भर में मुसलिम भाइयों ने चेहलुम पर्व को शांतिपूर्ण मनाया. इस अवसर पर सोमवार को शिया समुदाय की ओर से मातमी आखाड़ा निकाला गया. हजरत इमाम हुसैन और उनके 72 अंसारों की शहादत पर शहर में आखाड़ा निकाला गया. घरों में फातिया पढ़ा गया और खाना बनाकर गरीबों को खिलाया गया. शहर के हनुमान फाटक, नालबंद टोली, दर्जी मुहल्ला,
सोहनी पट्टी एवं सारिमपुर में इस पर्व को मनाते देखा गया. उल्लेखनीय है कि इस पर्व को मुसलिम समुदाय के लोग ताजिया के 40 वें दिन पर मनाते हैं. पर्व को लेकर प्रशासन पूरे जिले में एलर्ट था. लोग शांतिपूर्ण नामाज अदा किये और पर्व को मनाये. इजादारी या ताजियादारी रीतिगत रूप से कोई खुशियों और उल्लास का त्योहार नहीं है. इसका आयोजन निस्संदेह इस्लाम धर्म के लिए हजरत मुहम्मद के निवासे इमाम हुसैन की सेवाओं और उनके बलिदानों को स्वीकार करना है. इमाम हुसैन का व्यक्तित्व हमेशा से बलिदान का आदर्श रहा है. उससे बड़ा बलिदान इस नश्वर संसार में विरले ही मिलेगा.
इमाम हुसैन का युग इस्लामी इतिहास में ऐसा युग था, जिसमें इस्लाम के विरुद्ध ऐसी शक्तियां उठ खड़ी हुई थीं, जो सीधे-साधे मुसलमानों को अपना निशाना बनाती थीं. ऐसे में हजरत हुसैन ने इस्लाम की खोई हुई गरिमा को वापस लाने और उसे सुदृढ़ करने का प्रयास किया.