बक्सर सेंट्रल जेल से पांच कैदी दीवार फांद फरार

सुरक्षा में सेंध. तीन वार्डन सस्पेंड, जांच के िलए कमेटी गठित बक्सर : जिले के सेंट्रल जेल से शनिवार सुबह पांच खतरनाक और हार्डकोर सजायाफ्ता कैदी फरार हो गये.बंदियों के फरार होने की सूचना से जेल प्रशासन के होश उड़ गये. बंदियों के भागने के 24 घंटे पहले ही बक्सर प्रशासन ने जेल में छापेमारी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 1, 2017 3:47 AM

सुरक्षा में सेंध. तीन वार्डन सस्पेंड, जांच के िलए कमेटी गठित

बक्सर : जिले के सेंट्रल जेल से शनिवार सुबह पांच खतरनाक और हार्डकोर सजायाफ्ता कैदी फरार हो गये.बंदियों के फरार होने की सूचना से जेल प्रशासन के होश उड़ गये. बंदियों के भागने के 24 घंटे पहले ही बक्सर प्रशासन ने जेल में छापेमारी की थी. पुलिस ने जिले में हाइ अलर्ट जारी कर दिया है. सभी बंदी खिड़की तोड़ कर फरार हुए हैं. घटनास्थल से पुलिस को लोहे की छड़, पाइप और धोती मिली है. घटना की सूचना मिलते ही डीएम रमण कुमार, एसपी उपेंद्र शर्मा सहित जिले के आलाधिकारी जेल पहुंचे. छापेमारी के 24 घंटे के अंदर ही पांच खतरनाक बंदियों के भाग जाने से जेल की सुरक्षा व्यवस्था की पोल खुल गयी . फरार कैदियों में छपरा निवासी देवधारी राय, बक्सर का सोनू सिंह, आरा निवासी सोनू पांडे व उपेंद्र शाह और मोतिहारी का प्रांजीत सिंह
शामिल हैं. मोतिहारी के प्रांजीत सिंह को आजीवन कारावास की सजा मिली है. सोनू और उपेंद्र हत्या व अपहरण, देवधारी बलत्कार व हत्या और प्रांजीत को हत्या के मामले में सजा मिली है. जेल डीआइजी राजीव वर्मा और डायरेक्टर शिवेंद्र प्रियदर्शी ने घटना का जायजा लिया. इसके साथ ही घटना को लेकर एक टीम गठित की गयी है जो प्रधान सचिव को 72 घंटे के अंदर अपनी रिपोर्ट देगी. इस मामले में दोषी पाये गये तीन वार्डन को सस्पेंड कर दिया गया है. फरार कैदियों के संभावित ठिकानों पर छापेमारी की जा रही है. हालांकि अब तक फरार हुए बंदियों का कोई सुराग नहीं मिला है. इस संबंध में डीएम ने बताया कि जहां से दीवार फांद कर बंदी फरार हुए हैं,
वहां से लोहे की छड़ पाइप और धोती मिली है. ऐसा लग रहा है कि छड़ के सहारे ही बंदियों ने खिड़की को तोड़ा होगा. पुलिस अधीक्षक उपेंद्र शर्मा ने कहा कि फरार हुए कैदियों में मोतिहारी का प्रांजीत सिंह, छपरा का गिरिधर राय, आरा का सोनू पांडे और उपेंद्र साह हैं. चारों उम्रकैद की सजा काट रहे थे, जबकि बक्सर के ब्रह्म्पुर निवासी सोनू सिंह को 10 साल की कैद की सजा मिली थी. पुलिस अधीक्षक ने माना कि सुरक्षा में सेंध लगी है और घने कोहरे की वजह से दोषियों को फरार होने में मदद मिली होगी.
भागने वाले में उम्रकैद की सजा पाये खूंखार कैदी
केंद्रीय कारा की जांच के बाद बाहर निकलते एसडीएम.
24 घंटे में रिपोर्ट देने का आदेश
पटना. बक्सर जेल ब्रेक मामले में जेल आइजी आनंद किशोर ने पूरे मामले की जांच के लिए एक विशेष कमेटी का गठन किया गया है. इस दो सदस्यीय कमेटी में निदेशक प्रशासन सह संयुक्त सचिव राजीव कुमार वर्मा और कारा उप-महानिरीक्षक शिवेन्द्र प्रियदर्शी को शामिल किया गया है. इस कमेटी को शनिवार को ही जांच के लिए बक्सर रवाना कर दिया गया है. इस कमेटी को 24 घंटे के अंदर अपनी जांच रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया गया है. इस जांच कमेटी को जेल की सुरक्षा से जुड़े सभी पहलुओं की बारीकी से पड़ताल करने के लिए कहा गया है. रिपोर्ट में तमाम कमियों का भी उल्लेख करने के लिए कहा गया है, जिसकी वजह से इस घटना को अंजाम दिया गया है.
इसके अलावा इस घटना के तुरंत बाद जेल आइजी ने तीन कक्षपालों को निलंबित करने का आदेश जारी कर दिया है. इसमें बक्सर जेल के मुख्य उच्च कक्षपाल कामेश्वर पासवान, कक्षपाल उपेन्द्र दास और राजकुमार राम शामिल हैं. पहली नजर में इन तीनों को इस घटना के लिए दोषी पाया गया है, जिसके बाद यह कार्रवाई की गयी है.
जेल डीआइजी और निदेशक ने जेल का किया निरीक्षण, माना सुरक्षा में हुई चूक
पांचों कैदियों को हत्या के मामले में मिली थी सजा
ये कैदी फरार
देवधारी राय (छपरा)
सोनू सिंह ( बक्सर )
सोनू पांडे ( आरा )
उपेंद्र शाह ( आरा )
प्रांजीत सिंह ( मोतिहारी)
केंद्रीय कारा में यह पहली घटना
पटना. बिहार में किसी केंद्रीय कारा को तोड़कर कैदियों के भागने की यह पहली घटना हुई है. इससे पहले जितनी भी घटनाएं हुए हैं, वह मंडल कारा या उप-कारा में ही हुई है. हालांकि पिछले पांच-छह सालों में कोई बड़ी जेल ब्रेक की घटना राज्य में नहीं हुई है.
वर्ष 2005 में जहानाबाद मंडल कारा की घटना हुई थी, जो बड़ी घटनाओं में एक है. इस घटना में करीब आधा दर्जन माओवादी भागे थे, लेकिन बाद में सभी पकड़े गये. इससे पहले 2002 में छपरा जेल पर कुछ नक्सलियों और कैदियों ने जेल पर ही कब्जा कर लिया था. बिहार के जेल ब्रेक के इतिहास में यह अपनी तरह का एकमात्र बड़ा मामला है और सबसे बड़ी घटना है. इस दौरान तत्कालीन सारण एसपी कुंदन कृष्णन ने मोरचा संभालते हुए कई घंटों तक अपराधियों के साथ मुठभेड़ करके छह मुख्य कैदियों को मार गिराया था. पूरी घटना में एक भी कैदी नहीं भाग पाया था.

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