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पूर्व में भी नक्सली गतिविधियों का गवाह रहा है यह इलाका

डायनामाइट से नक्सलियों ने उड़ाया था बरुणा स्टेशन को बक्सर : दानापुर रेल मंडल के आरा-बक्सर रेलखंड पर नदांव हाॅल्ट के पास वाराणसी-सियालदह एक्सप्रेस को बम विस्फोट कर उड़ाने की साजिश की खबर ने 17 वर्ष पूर्व की यादों को ताजा कर दिया. तब बरुणा स्टेशन पर बने कार्यालय को नक्सलियों ने विस्फोट कर उड़ा […]

डायनामाइट से नक्सलियों ने उड़ाया था बरुणा स्टेशन को

बक्सर : दानापुर रेल मंडल के आरा-बक्सर रेलखंड पर नदांव हाॅल्ट के पास वाराणसी-सियालदह एक्सप्रेस को बम विस्फोट कर उड़ाने की साजिश की खबर ने 17 वर्ष पूर्व की यादों को ताजा कर दिया. तब बरुणा स्टेशन पर बने कार्यालय को नक्सलियों ने विस्फोट कर उड़ा दिया था तथा पोस्टर के माध्यम से अपनी संलिप्तता भी स्वीकार की थी. बीते नवंबर माह में बरुणा स्टेशन के पास हावड़ा-अमृतसर मेल डीरेल हुई थी. लगभग एक दशक पूर्व 1997-98 में भी हावड़ा से नयी दिल्ली को जानेवाली पूर्वा सुपरफास्ट एक्सप्रेस के कई बोगी बरुणा स्टेशन से पहले ही पटरी से उतर गये थे, जिसमें दर्जनों लोगों को गंभीर चोटें आयी थीं.
जांच के दौरान इस घटना को एक साजिश बताया गया था. गौरतलब हो कि पूर्वा एक्सप्रेस में सीबीआइ के डायरेक्टर को पटना से दिल्ली जाना था, जो एक बहुचर्चित केस की जांच के लिए पटना आये हुए थे. उनके साथ केस से संबंधित कई महत्वपूर्ण फाइलें भी थीं, लेकिन ऐन वक्त पर सीबीआइ डायरेक्टर ने अपने ट्रेन का सफर छोड़ चुपके से हवाई मार्ग से दिल्ली प्रस्थान कर गये थे. हालांकि, संयोग ही था कि इस घटना में कोई हताहत नहीं हुआ. सूचना के तत्काल बाद डुमरांव से कई डाॅक्टर घटनास्थल पर पहुंच जख्मी लोगों का इलाज किये थे. बार-बार डुमरांव एवं बक्सर के बीच होनेवाली इन घटनाओं से भले ही रेलवे कोई सबक न ले, लेकिन लोगों के दिलों में एक खौफ जरूर देखने को मिल रहा है. इस संबंध में रेल एसपी जितेंद्र मिश्रा ने बताया कि घटना की व्यापक जांच की जा रही है. हालांकि उन्होंने घटना में नक्सलियों की संलिप्तता से इनकार भी नहीं किया है.
डायनामाइट से उड़ाया था स्टेशन
सियालदह-वाराणसी एक्सप्रेस को उड़ाने के लिए विस्फोट के बाद एक बार फिर से यह इलाका सुर्खियों में आ गया है. बरुणा स्टेशन पर नक्सलियों की सक्रियता पूर्व में भी रही है. 1990 के दशक में इस स्टेशन को नक्सलियों ने दो बार डायनामाइट व डेटोनेटर से उड़ाया था, जिससे स्टेशन के भवन को काफी बड़ी क्षति हुई थी. एक घटना में तो बरुणा स्टेशन का भवन पूरी तरह से उड़ गया था. घटना को अंजाम देने के बाद नक्सलियों ने पोस्टर चस्पा कर अपनी संलिप्तता स्वीकार की थी.
अति नक्सल प्रभावित घोषित हुआ था इलाका, चलाया गया था पायलट इंजन
बरुणा तथा आसपास के इलाके में नक्सलियों की सक्रियता के कारण इस इलाके को करीब छह वर्ष पूर्व अति नक्सल प्रभावित घोषित किया गया था. इस इलाके से ट्रेनों के गुजरने के दौरान रेल प्रशासन हर समय सकते में रहता है. इस दौरान महत्वपूर्ण ट्रेनों के आवागमन के समय रेल प्रशासन के बड़े पदाधिकारी भी सकुशल ट्रेनों के गुजर जाने की सूचना का इंतजार करते हैं.गौरतलब हो कि दानापुर-मुगलसराय के बीच होनेवाली बड़ी घटनाओं के बाद रेलवे ने कई महत्वपूर्ण गाड़ियों के आगे पायलट इंजन को दौड़ाया था. धीरे-धीरे इसे कम करते हुए सिर्फ राजधानी एक्सप्रेस तक सीमित कर दिया गया. बाद में इसे पूरी तरह हटा दिया गया.
डुमरांव में पंजाब मेल के बेपटरी होने से हुआ था हादसा
दानापुर रेल मंडल के अच्छी ट्रेनों में शुमार हावड़ा-अमृतसर पंजाब मेल ट्रेन 26 जुलाई, 1962 को बेपटरी हुई थी. उस वक्त डुमरांव में तेज रफ्तार में दौड़ रही पंजाब मेल प्लेटफाॅर्म पार करने के दौरान ही दुर्घटना की शिकार हुई थी. इस दुर्घटना में भारी जान-माल की क्षति संसाधनों की कमी के कारण कई लोगों को चाह कर भी नहीं बचाया जा सका था. सैकड़ों लोगों ने अपनी जान गंवा दी थी. बावजूद, इसके डुमरांव तथा आसपास के लोगों ने घायल रेलयात्रियों की मदद में आगे आये तथा जो भी संभव था किये.
हालांकि उन दिनों पंजाब मेल का ठहराव डुमरांव में नहीं था. बाद में स्थानीय लोगों के अथक प्रयास से वर्ष 1984 में उसका ठहराव शुरू हुआ.

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