बक्सर के अवैध बूचड़खानों से यूपी तक हो रही मांस की तस्करी

निबंधन के बिना चल रहे हैं बक्सर में 30 से अधिक बूचड़खाने ‘मैनेज’ संस्कृति से हो रहा तस्करी का खेल बक्सर : यूपी में अवैध बूचड़खानों पर बैन के बाद बिहार बॉर्डर के इलाके से बीफ की तस्करी बढ़ गयी है. बक्सर के कई इलाकों में यह कारोबार काफी फल-फूल रहा है. पशुओं के मांस […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 28, 2017 4:17 AM

निबंधन के बिना चल रहे हैं बक्सर में 30 से अधिक बूचड़खाने

‘मैनेज’ संस्कृति से हो रहा तस्करी का खेल
बक्सर : यूपी में अवैध बूचड़खानों पर बैन के बाद बिहार बॉर्डर के इलाके से बीफ की तस्करी बढ़ गयी है. बक्सर के कई इलाकों में यह कारोबार काफी फल-फूल रहा है. पशुओं के मांस कारोबार की बड़ी जरूरत यही से पूरी हो रही है. दरअसल, जिले से यूपी और पश्चिम बंगाल में पशु तस्करी का धंधा जोरों पर है. दिखावे के लिए कभी-कभार छापेमारी होती है, लेकिन आमतौर पर पूरा धंधा हर स्तर पर सेटिंग की बदौलत बेरोकटोक चल रहा है. जिले की भौगोलिक स्थिति के
कारण यह कारोबार उछाल पर है. धंधे से जुड़े एक शख्स ने बताया कि यूपी के फैजाबाद, आजमगढ़ व बाराबंकी आदि क्षेत्रों से यहां पशु मेले के नाम पर लाये जाते हैं. चौसा में प्रत्येक बुधवार को लगनेवाले पशु मेले व ब्रह्मपुर में पशुओं का सौदा करने के लिए बंगाल से कारोबारी आते हैं. चौसा के अलावा ब्रह्मपुर में नैनीजोर के बिहार घाट से गायों को ट्रक पर लाद बलिया के दियारा के रास्ते छपरा होते हुए बंगाल रवाना किया जाता है. यहां से भेजे गये पशुओं की वहां दोगुनी कीमत मिलती है.यूपी में बैन के बाद इस कारोबार में बक्सर में फिलहाल बढ़ गया है.
सोना उगलता है कन्ना किताब
दरअसल, यहां बूचड़खाने की आड़ में मवेशी के शरीर में पाये जाने वाले पौरुषवर्धक तत्व का भी व्यापार होता है. इसे कन्ना किताब के नाम से जाना जाता है. इसके उपयोग से पौरुषशक्ति बढ़ती है. यही नहीं खूबसूरती निखारने के लिए महिलाएं भी इसका उपयोग करती हैं. कन्ना को सुखा कर सासाराम, गया, मुजफ्फरपुर, कोलकाता के रास्ते चीन और अरब देशों में भेजा जाता है. अरब देशों में इसकी मांग बहुत अधिक है.
चोरों के तहखाने बने हैं बूचड़खाने
अगर कोई चोर किसी मवेशी या उसके बच्चे को बूचड़खाने तक पहुंचा देता है, तो उसे इसकी रकम बिना किसी झंझट के मुहैया करा दी जाती है. इस बात का खुलासा हाल ही राजपुर में एक चोर को पकड़े जाने के बाद हुआ था. स्थानीय लोगों ने चोर की जम कर धुनाई की थी. हालांकि इस मामले को रफा दफा कर दिया गया.
गांव से गायब हो रहे सांढ़ व भैंसा : राजपुर थाना क्षेत्र के मंगरांव, संगरांव, कजरिया, पीपरा, कठजा, नागपुर, गैधरा सहित अन्य गांवों में सांढ़ व भैसों के गायब होने का मामला काफी चर्चा का विषय बना हुआ है. इस संबंध में किसी अनजान व्यक्ति से मंगरांव निवासी पर आरोप लगाते हुए आसपास के गांवों में परचा बंटवा दिया था. परचा लिखनेवाले व्यक्ति ने आरोप लगाया था कि विगत सात वर्ष से क्षेत्र के सभी गांवों में काली माता की पूजा के बाद छोड़े जानेवाले सांढ़, भैंसे, बकरे को चोरी-छिपे बेचा जा रहा है. राजपुर थानाध्यक्ष राकेश कुमार से पूछे जाने पर बताया कि इस मामले की सूचना उन्हें मिली है.
शहर में भी संचालित हैं अवैध बूचड़खाने
खुलेआम चल रहे इस अवैध बूचड़खाने से आसपास के लोग परेशान हैं. सड़क किनारे यह कारोबार फल फूल रहा है. एक साल नगर पर्षद की नल से अचानक खून निकलना शुरू हो गया था. तब पुलिस ने इस कारोबार पर कुछ समय के लिए लगाम लगा दिया था, लेकिन ‘मैनेज’ संस्कृति ने सबकुछ यथावत कर दिया.
होगी कार्रवाई
जिले में एक भी बूचड़खाना रजिस्टर्ड नहीं है. कुछ लोगों ने जरूर नगर पर्षद से इसका लाइसेंस लिया है, फिर भी अगर जो भी अवैध रूप से बूचड़खाने चल रहे हैं उनके खिलाफ कार्रवाई की जायेगी.
डॉ जयप्रकाश नारायण , जिला पशुपालन पदाधिकारी

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