गंदगी में शहर को मिली 327 वीं रेटिंग
बक्सर : शहर में नगर पर्षद की स्थापना के करीब 15 वर्ष हो गये. लेकिन, शहर में गंदगी की स्थिति जस की तस है. अतिक्रमण व गंदगी की समस्या से अमूमन सभी वार्ड के लोग परेशान हैं. सड़क किनारे डंप किये गये कचरे से शहर की शान में बट्टा लग रहा है. इस समस्या से […]
By Prabhat Khabar Digital Desk |
May 7, 2017 6:27 AM
बक्सर : शहर में नगर पर्षद की स्थापना के करीब 15 वर्ष हो गये. लेकिन, शहर में गंदगी की स्थिति जस की तस है. अतिक्रमण व गंदगी की समस्या से अमूमन सभी वार्ड के लोग परेशान हैं. सड़क किनारे डंप किये गये कचरे से शहर की शान में बट्टा लग रहा है. इस समस्या से लोग लंबे समय से जूझ रहे हैं. हाल ही में देश के 434 शहरों में हुए सफाई सर्वेक्षण में बक्सर नगर को 327वां स्थान मिला है. नगर पर्षद से मिले आंकड़ों के अनुसार शहर में प्रतिदिन 40 टन कचरा उत्पन्न होता है.
जबकि परिषद में कार्यरत सफाई कर्मियों की संख्या 200 हैं. एक आंकड़े के अनुसार सफाई कर्मियों के वेतन आदि के मद में करीब 14 लाख रुपये प्रतिमाह खर्च होते हैं. इसके अलावा सफाई के लिए नगर पर्षद एक आउट सोर्सिंग एजेंसी की मदद लेता है. इस एजेंसी पर प्रति महीने 4 लाख 49 हजार रुपये खर्च आता है. नगर पर्षद के अंतर्गत आने वालें कुल 34 वार्डों की बात की जाये तो प्रत्येक वार्ड में सफाई के लिए औसतन 4 सफाई कर्मी हैं. इस तरह करीब 136 सफाई कर्मी शहर की साफ सफाई का जिम्मा संभाले हैं. सफाई कर्मियों की कमी के कारण नगर पर्षद के स्वच्छ बक्सर और सुंदर बक्सर का सपना साकार नहीं हो रहा है.
शहरवासियों की प्रवृति में सुधार हो, तभी सफाई संभव: वार्डवार सफाई के लिए नप ने 3 सफाईकर्मी और एनजीओ ने एक सफाईकर्मी रखा है. रोस्टर के अनुसार हर रोज कूड़े का उठाव करने का दावा किया जा रहा है. शहर को साफ रखने के लिए नप के तरफ से लगातार प्रयास हो रहे हैं. इसके बावजूद शहर को साफ रखने की कवायद कारगर हो पा रही है. इसके पीछे नप के सफाई प्रभारी इशरत हुसैन खां का मानना है कि शहरवासियों के सोच में परिवर्तन जरूरी है. सभी मुहल्लों में रोस्टर वाइज सफाई की जानकारी माइक से अनाउंस कर दी गयी है. सुबह 8 बजे तक शहर की सफाई कर ली जाती है. लेकिन, सफाई के बाद घरों और दुकानों से कचरा निकाल कर लोग सड़क पर फेंक देते हैं. इसलिए सफाई के हालात में परिवर्तन नहीं हो पाता है.
शहर में कई जगह हैं अनधिकृत डंपिंग सेंटर
वैसे तो अधिकारिक रूप से शहर में कचरे का कोई डंपिंग सेंटर नहीं है. लेकिन, सफाई कर्मी अपनी मरजी से कहीं भी कचरा डंप कर देते हैं. कहने को तो डोर-टू-डोर कचरे उठाने की योजना भी चल रही है. लेकिन, आये दिन लोगों की ऐसी शिकायतें आती है कि उनके घर के आसपास सफाई कर्मी कचरा गिरा देते हैं. शहर के पुराना बस स्टैंड के पास जवाहर मध्य विद्यालय के ठीक पीछे, बाइपास रोड स्थित आदर्श मध्य विद्यालय के बगल में शहर के बंगाली टोला पानी टंकी के पास वार्ड नंबर 24 में, बीबी हाइ स्कूल गेट पर सिविल लाइन स्थित वीर कुंवर सिंह मध्य विद्यालय, खलासी मुहल्ला समेत स्टेशन रोड में भी कूड़े का डंपिंग किया जाता है.
क्या कहते हैं कार्यपालक पदाधिकारी
स्थायी सफाई कर्मियों की संख्या कम है. नये कर्मियों की बहाली की प्रक्रिया सन 1970 से ही रुकी है. ऐसे में लगातार कर्मियों की संख्या कम हो रही है. आउटसोर्सिंग एजेंसियों की मदद से सफाई का काम किया जा रहा है. एनजीओ को सफाई के लिए हर महीने 4 लाख 49 हजार रुपये दिया जाता है. शहर में कचरा रह जाने की बात सही है. सफाई होने के बाद कचरा सड़क पर फैला देते हैं.
अनिल कुमार ,कार्यपालक पदाधिकारी