डॉक्टरों की लिखी दवाओं का ऑडिट करेगा सॉफ्टवेयर
ड्रग मैनेजमेंट के लिए इ-औषधि सॉफ्टवेयर का होगा इस्तेमाल डॉक्टर की लिखी प्रत्येक दवा पर होगी सॉफ्टवेयर की नजर मरीजों में नहीं बांटी जा सकेंगी अमानक एक्सपायरी व प्रतिबंधित दवाएं बक्सर : सभी सरकारी अस्पतालों में अब दवाइयों का हिसाब और मरीजों के इलाज पर नजर रखने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने इ-औषधि नाम का […]
ड्रग मैनेजमेंट के लिए इ-औषधि सॉफ्टवेयर का होगा इस्तेमाल
डॉक्टर की लिखी प्रत्येक दवा पर होगी सॉफ्टवेयर की नजर
मरीजों में नहीं बांटी जा सकेंगी अमानक एक्सपायरी व प्रतिबंधित दवाएं
बक्सर : सभी सरकारी अस्पतालों में अब दवाइयों का हिसाब और मरीजों के इलाज पर नजर रखने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने इ-औषधि नाम का सॉफ्टवेयर तैयार करवाया है. इस सॉफ्टवेयर सिस्टम में मरीज की मेडिकल हिस्ट्री और उन्हें दी जानेवाली एक-एक दवाई की पूरी जानकारी रहेगी. इसके लिए दवा परची में मरीज का नाम, उम्र और डॉक्टर की सील भी जरूरी होगी. इस योजना को लेकर विभाग की ओर से तैयारियां की जा रही हैं. यह सिस्टम इसी माह से लागू कर दिया जायेगा.
इ-औषधि सॉफ्टवेयर सिस्टम लागू करने के पीछे स्वास्थ्य विभाग का मुख्य उद्देश्य दवाइयों का हिसाब रखना है. पिछले दो साल में यह सामने आया है कि डॉक्टर मरीजों को जरूरत से ज्यादा दवाइयां लिख रहे हैं और अस्पताल में आनेवाले मरीजों के अनुपात में दवाइयों की खपत ज्यादा बता रहे हैं. मौजूदा व्यवस्था में यह तो पता चल जाता है कि मरीजों को दवाइयां दी जा रही हैं या नहीं, लेकिन किस मरीज को कितनी दवाइयां दी गईं, इसकी जानकारी नहीं मिल पाती.
इसके चलते दवाइयों का सही हिसाब नहीं मिल पाता. इसी के मद्देनजर विभाग इ-औषधि सॉफ्टवेयर सिस्टम लागू कर रहा है, जिससे एक-एक दवाई का हिसाब मिल सके. इससे दवाइयों की धांधली पर अंकुश लगेगा.
दवा खरीदी व वितरण में आयेगी पारदर्शिता : इ-औषधि सॉफ्टवेयर से दवाइओं की खरीदी और उनके डिस्ट्रीब्यूशन के काम में पारदर्शिता आयेगी. इसके अलावा वरिष्ठ अधिकारी भी इस व्यवस्था पर सीधी नजर रख सकेंगे. योजना को लेकर तैयारी चल रही है. विभाग ने इसे लेकर पत्र जारी किया है.जारी पत्र में लिखा है कि जिले के सरकारी अस्पतालों के दवा भंडार का डाटा ऑनलाइन किया जाये. जरूरत के अनुसार कंप्यूटर व आउटसोर्सिंग पर कंप्यूटर ऑपरेटर भी नियुक्त करने का आदेश दिया है.
अभी है यह व्यवस्था : राज्य के सरकारी अस्पतालों में अभी स्टेट ड्रग मैनेजमेंट इंफॉर्मेशन सिस्टम सॉफ्टवेयर इस्तेमाल हो रहा है. नयी इ-औषधि सॉफ्टवेयर के जरिये अब मरीज की इलाज संबंधी सभी जानकारी अपडेट की जायेगी. इसके लिए स्वास्थ्य विभाग ने जिले के मेडिकल अफसर व अस्पताल प्रबंधक को आवश्यक ट्रेनिंग भी दी है. दवा भंडार में कार्यरत सभी कर्मियों को सॉफ्टवेयर के संबंध में प्रशिक्षित किया जायेगा.
दवाओं के स्टॉक की मिलेगी जानकारी : अस्पतालों में इस्तेमाल हो रही दवाओं की जानकारी सॉफ्टवेयर के जरिये सभी अधिकारियों को मिल सकेगी. इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि अस्पतालों में दवाओं की कमी नहीं होगी. हर पल दवाओं के स्टाॅक की निगरानी हो सकेगी. मरीज को दवा मिलते ही इसकी सॉफ्टवेयर में इंट्री होगी.
इसी के साथ स्टोर से दवा की उतनी मात्रा कम हो जायेगी. इसी तरह से स्टोर में दवाओं की आवक होने पर सॉफ्टवेयर में ये दर्ज हो जायेंगी. इसमें एक-एक डॉक्टर के परचे की निगरानी की जा सकेगी. मसलन, अगर यह पता लगाना है अस्पताल के अमुक डॉक्टर ने कितने मरीज देखे और उसने कौन-कौन सी दवा लिखी. अगर दवाएं ज्यादा लिखी जा रही हैं या बेवजह दी जा रही हैं, तो इसका पता आसानी से लग जायेगा. इसके बाद उस डॉक्टर को चेतावनी भी दी जा सकती है.
नया सिस्टम लागू होने से यह होगा फायदा
एक्सपायरी के नजदीक दवाओं की सूची अलग से आ जायेगी. इससे उनकी खपत जल्द की जा सकेगी. अगर किसी जिले में ज्यादा दवाएं हैं, तो उन्हें दूसरे जिले में पहुंचा दिया जायेगा.
इस सॉफ्टवेयर का उपयोग प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों तक किया जायेगा. इससे यह पता लग जायेगा कि हर दिन प्रदेश में कितने मरीज देखे जा रहे हैं.
किस बीमारी के मरीज ज्यादा आ रहे हैं, यह पता लगाने में आसानी होगी.
किस डॉक्टर ने किस दिन कितने मरीज देखे. पहला और आखिरी मरीज उसने कितने बजे देखा यह पता चल सकेगा.
इस सॉफ्टवेयर का उपयोग जिला अस्पताल, सिविल अस्पताल, सीएचसी और पीएचसी स्तर तक किया जायेगा. बाद में आयुष, गैस राहत और अन्य विभागों में इसका इस्तेमाल करने की तैयारी है.
मिल गया है यूजर पासवर्ड जल्द शुरू होगी व्यवस्था
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और जिला अस्पतालों में इस माह से इ-औषधि सॉफ्टवेयर सिस्टम लागू हो जायेगा. विभाग ने कंप्यूटर का यूजर पासवर्ड मुहैया करा दिया है. जल्द ही यह व्यवस्था लागू हो जायेगी. इससे कोई भी डॉक्टर मरीज को जरूरत से ज्यादा दवाएं नहीं लिख पायेगा.
डॉ बीके सिंह, सिविल सर्जन बक्सर