बक्सर. फाइलेरिया उन्मूलन अभियान के तहत केंद्रीय कारा, बक्सर में संचालित सर्वजन दवा सेवन (एमडीए) अभियान चलाया गया. जिसके तहत जेल में निरुद्ध सभी बंदियों को दवाओं का सेवन कराया जाएगा. ताकि, इन बंदियों को फाइलेरिया से सुरक्षित किया जा सके. इस दौरान केंद्रीय कारा के सहायक जेलर ने फाइलेरिया दवाओं का सेवन कर कार्यक्रम की शुरुआत की. मौके पर अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी सह डीएमओ डॉ. शैलेन्द्र कुमार, वीबीडीसीओ पंकज कुमार, एफएलए रजनीश राय, सदर स्वास्थ्य प्रबंधक प्रिंस कुमार सिंह व अन्य मौजूद रहे. डीएमओ डॉ. शैलेन्द्र कुमार ने बंदियों को फाइलेरिया और एमडीए के संबंध में बंदियों को विस्तृत जानकारी दी. ताकि, बंदियों को जागरूक और उन्हें दवाओं का सेवन करने के लिए प्रेरित किया जा सके. उन्होंने बताया कि फाइलेरिया रोधी दवाओं का साल में एक बार लगातार पांच वर्ष तक करने से लोगों के फाइलेरिया की चपेट में आने की संभावना पूरी तरह से खत्म हो जाती है. इसलिए अनिवार्य रूप से सभी अभियान में शामिल हो और दवाओं का सेवन करें.
फाइलेरिया एक गंभीर कष्टकारी रोग :
बीएचएम प्रिंस कुमार ने बंदियों को फाइलेरिया रोग व एमडीए के महत्व से अवगत कराया. साथ ही, रोग के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि फाइलेरिया एक गंभीर कष्टकारी रोग है. फाइलेरिया की वजह से हाथी पांव होने की स्थिति में इसका कोई इलाज नहीं है. संक्रमण के खतरों से बचाव के लिये सरकार द्वारा हर साल सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम संचालित किया जाता है. इस साल 10 अगस्त से बक्सर समेत राज्य के 13 जिलों में इस कार्यक्रम का संचालन किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि 28 अगस्त के बाद छूटे हुए लाभुकों को फाइलेरिया की दवाइयां खिलाई जाएंगी. ताकि, कोई भी इस अभियान का लाभ लेने से न चुके.
मच्छरों से फैलती है फाइलेरिया की बीमारी :
वीबीडीसीओ पंकज कुमार ने बताया कि फाइलेरिया एक ऐसी बीमारी है जो मच्छरों से फैलती है. जेल परिसर में और आस-पास जल जमाव वाले क्षेत्र व गंदे स्थानों पर पनपने वाले कई मच्छर कई गंभीर रोग के कारक होते हैं. इसलिये हमें आवासीय स्थान को स्वच्छ बनाये रखने का प्रयास करना चाहिये. आप सभी अपने परिवार के लोगों को भी इसके लिए जागरूक करें. जिससे उन्हें भी गंभीर बीमारियों की चपेट में आने से बचा सकें. साथ ही, सभी को मच्छरों से बचाव करते हुए मच्छरदानी में सोना चाहिए. उन्होंने कहा कि स्वस्थ समाज के लिए फाइलेरिया उन्मूलन आवश्यक है. समय पर इलाज नहीं होने से यह बीमारी मरीज को दिव्यांग बना सकती है. हम या हमारे परिजन इसकी चपेट में न आए इसलिए दवाओं का सेवन भी जरूरी है.
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