डुमरांव . मलई बराज परियोजना में हो रही देरी और लगातार जनता की मांग को देखते हुए मंगलवार को स्थानीय विधायक डॉ अजीत कुमार सिंह ने मलई बराज का निरीक्षण किया. विधायक ने इस दरम्यान बताया कि मलई बराज के पूरा नहीं होने की मुख्य वजह सरकारी उदासीनता हैं. बराज का काम लगभग 90 प्रतिशत पूर्ण हो चुका है. बराज को शुरू कराने के लिए डूब क्षेत्र के किसानों की जमीन अधिग्रहण किया जाना है, जिसकी लागत लगभग अब 400 करोड़ के आसपास है. सरकार जमीन अधिग्रहण के लिए राशि नहीं दे रही है, जिसके वजह से पूरी परियोजना का काम रुका पड़ा है. अस्सी के दसक से लेकर अब तक जब भी परियोजना से संबंधित रिपोर्ट सरकार को भेजी गयी है, उन सभी रिपोर्ट में भूमि अधिग्रहण की बात कही गई है. लेकिन सरकार ने अभी तक भूमि अधिग्रहण को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया है. मात्र बराज निर्माण के लिए 34 एकड़ की भूमि का अधिग्रहण किया गया है. तब से लेकर आज तक आगे की कोई कार्रवाई सरकार द्वारा नहीं की गई है. लगातार मेरे द्वारा विधानसभा में सवाल उठाए जाने के कारण सरकार अब पंप लगाने का विचार कर रही है. पंप लगाना पूरी परियोजना के मूल लक्ष्य से भटकना व जैसे तैसे खुद को जिम्मेवारियों से बचाने की कोशिश है. पम्प ही अगर लगाना है तो फिर करोड़ों रूपये खर्च करके बने बराज का कोई मतलब नहीं रह जाता है और ये पूरा पैसा लगभग बर्बाद हो जाएगा. पंप कभी भी बराज के लक्ष्य को पुरा नहीं कर सकता है. जांच से यह पता चला कि सरकार की प्राथमिकता में किसान कहीं है नहीं. इसी बिहार के बक्सर जिला में चौसा थर्मल पावर के लिए सरकार लगभग 1200 एकड़ से ज्यादा जमीन हजारों करोड़ रुपया देकर अधिग्रहण किया है. राज्य में और देश में हाइवे प्रोजेक्ट और कारपोरेट प्रोजेक्ट के लिए सरकारें अरबों -खरबों रुपया खर्च रही है, लेकिन लाखों किसानों की खेतो की सिंचाई के लिए बिहार सरकार मात्र 346 एकड़ जमीन का पैसा नहीं दे रही है. निरीक्षण के दौरान जल संसाधन विभाग के कार्यपालक अभियंता, सहायक अभियंता, भाकपा-माले नेता नीरज कुमार, किसान नेता मंटु पटेल, मंगल महेश, मो नासिर हसन सहित अन्य लोग उपस्थित रहे.
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