16 जून- फ़ोटो -2- सूखा पड़ा मंगराव का प्राचीन पोखरा राजपुर. प्रखंड के विभिन्न गांव में लू का कहर जारी है.भीषण गर्मी के प्रकोप से भूमिगत जल स्तर लगातार नीचे हो रहा है. ग्रामीण क्षेत्रों में भूमिगत जल स्तर नीचे हो जाने से सादा चापाकल पानी देना बंद कर दिया है. ऐसे में ग्रामीणों की समस्या बढ़ गयी है. वर्ष 2010- 11 में भूमिगत जल स्तर नीचे होने पर सरकार के तरफ से दर्जनों चापाकल एक पंचायत में लगाया गया है. इन्हीं चापाकल में से कुछ जगहों पर चापाकल चल रहा है.शेष अन्य जगहों पर चापाकल बेकार पड़ा हुआ है. जिलाधिकारी अंशुल अग्रवाल के फरमान पर चलंत दास्ता गांव-गांव में पहुंचकर इन बेकार पड़े चापाकल की मरम्मति कर रहा है. जनप्रतिनिधियों की सूचना पर कुछ जगहों पर चापाकल को दुरुस्त भी कर दिया गया है. फिर भी अभी अधिकतर जगहों पर पेयजल की समस्या बरकरार है. पेयजल की बढ़ती समस्या से ग्रामीण काफी परेशान है.जिसको लेकर प्रशासन के तरफ से जारी किए गए हेल्पलाइन नंबर पर भी फोन किया जा रहा है. हताश एवं निराश ग्रामीण अपनी समस्या का समाधान खुद ढूंढ रहे हैं. चलंत केंद्र भी समय पर नहीं पहुंच रहे हैं. ऐसे में अभी भी दर्जनों चापाकल बेकार पड़े हुए हैं. इस समस्या से क्षेत्र के पलियां, सौरी, महावीर स्थान, खरगपुरा, मंगरॉव, संगरॉव, बुढाडीह, पिठारी के अलावा अन्य जगहों पर बरकरार है. जिसको लेकर बुढाडीह गांव निवासी जोखन कुशवाहा, सौरी गांव निवासी गुड्डू नट, फुलझरिया देवी, रमाशंकर सिंह ,पलिया गांव निवासी घूरन कुर्मी,गोसाईपुर निवासी उमेश पांडेय ने बताया कि भले ही जिलाधिकारी ने फरमान जारी कर दिया है.फिर भी समस्या ज्यों की त्यों बरकरार है.अधिकारी भी स्थिति का आकलन करने के लिए गांव भ्रमण नहीं कर रहे हैं. गांव के बाहर तालाब पोखर सूख जाने से जीवो पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं.यह पानी की तलाश में गांव तक पहुंच रहे हैं. अधिकतर हिरण एवं नील गायों का झुंड नदियों के किनारे पहुंच गया है. मनरेगा योजना के तहत खोदे गए बड़े तालाबों का पानी पूरी तरह से सूख गया है.
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