गेहूं की खरीदारी में लक्ष्य से कोसों दूर बक्सर जिला
गेहूं खरीदारी को लेकर सभी तरह के प्रशासनिक हथकंडे फेल साबित हो रहे हैं. आलम यह है कि तमाम प्रयास के बावजूद गेहूं खरीद में तेजी नहीं आ रही है
बक्सर. गेहूं खरीदारी को लेकर सभी तरह के प्रशासनिक हथकंडे फेल साबित हो रहे हैं. आलम यह है कि तमाम प्रयास के बावजूद गेहूं खरीद में तेजी नहीं आ रही है. खुले बाजार में भाव अधिक होने से किसान अपना गेहूं खेत-खलिहानों से ही खाद्यान्न व्यापरियों को बेच दे रहे हैं. इसके चलते सरकारी क्रय केन्द्रों पर सन्नाटा पसरा रहता है. सहकारी समितियों के माध्यम से गेहूं की सरकारी खरीद निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य 2,275 रुपये प्रति क्विंटल के भाव से करनी है. जबकि खाद्यान्न व्यापारी किसानों के खेत-खलिहानों से 2,300 से 2,350 रुपये प्रति क्विंटल के भाव से खरीद रहे हैं. जिले में गेहूं खरीद की हालत खराब चालू रबी विपणन मौसम में राज्य में 15 मार्च से 15 जून तक गेहूं की खरीद की जानी है. इस अवधि में जिले के लिए 20 हजार 143 एमटी गेहूं खरीदारी का लक्ष्य तय किया गया है. इसके लिए कुल 135 समितियों को चयन कर गेहूं खरीद की जिम्मेवारी दी गई है. जिसमें 128 पैक्स एवं 07 व्यापार मंडल शामिल हैं. लेकिन 4 मई तक बक्सर जिला में कुल 41 किसानों से मात्र 130.1500 मीट्रिक टन सरकारी खरीद हुई थी. जो लक्ष्य से कोसों दूर है. नहीं काम आ रहा कोई दबाव गेहूं खरीदारी का लक्ष्य पूरा करने के लिए सहकारिता विभाग द्वारा पैक्स प्रबंधनों पर दबाव बनाया जा रहा है. इसके तहत पैक्सों व व्यापार मंडलों को साप्ताहिक लक्ष्य निर्धारित किया गया है. बावजूद समिति प्रबंधन द्वारा गेहूं खरीदारी में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई जा रही है. जाहिर सी बात है कि घाटा का सौदा कर किसान सरकारी एजेंसी को गेहूं बेचने को तैयार नहीं हो रहे हैं. विभागीय पदाधिकारियों को माने तो न्यूनतम समर्थन मूल्य से बाजार भाव अधिक होने से किसान व्यापारियों अथवा अढ़तियों को अपना गेहूं बेच रहे हैं. जबकि एमएसपी पर गेहूं खरीद के बाद पैक्सों द्वारा 48 घंटे के अंदर उनके बैंक खाता में पूरी राशि भेजी जा रही है.
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