जमीन सर्वे में वंशावली के लिए संरपच या कोर्ट से शपथ पत्र की नहीं है जरूरत
Buxar News : जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में चल रही भूमि सर्वेक्षण प्रक्रिया के दौरान वंशावली को लेकर लोगों में काफी भ्रम की स्थिति बनी हुई है.
बक्सर. जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में चल रही भूमि सर्वेक्षण प्रक्रिया के दौरान वंशावली को लेकर लोगों में काफी भ्रम की स्थिति बनी हुई है. इसे लेकर विशेष सर्वेक्षण सदर अंचल प्रभारी सीमा कुमारी ने कहा है कि सर्वेक्षण के दौरान वंशावली को स्वयं ही फॉर्म 3 (1) में स्वघोषणा के माध्यम से भरना होगा. यानि वंशावली को पंचायत या कोर्ट से तैयार करवाने की कोई अनिवार्यता नहीं है. इसके बावजूद कई जगहों पर सर्वेक्षण कर्मी आवेदकों से कोर्ट और पंचायत द्वारा तैयार की गई वंशावली का हलफनामा संलग्न करने को कह रहे हैं. ऐसे में भू-स्वामी कोर्ट और दफ्तरों का चक्कर लगाकर वंशावली तैयार करवा रहे हैं. इसके लिए उन्हें समय के साथ-साथ पैसे भी खर्च करने पड़ रहे हैं. सूत्रों के अनुसार बिचौलिए वंशावली तैयार करवाने के लिए पांच सौ रुपये तक वसूल रहे हैं. विशेष भूमि सर्वेक्षण के दौरान किसानों से उनकी वंशावली की जानकारी मांगी जा रही है. खासकर उन जमीनों के लिए जो पुश्तैनी हैं, फॉर्म-3 भरना अनिवार्य किया गया है. यदि कोई जमीन दादा या परदादा के नाम पर थी और समय के साथ उनकी मृत्यु हो चुकी है, तो ऐसी स्थिति में वंशावली के आधार पर उस जमीन के वास्तविक मालिकों का नाम सर्वे में दर्ज किया जाएगा. इस संबंध में कानूनगो यशवंत कुमार ने बताया कि जमीन सर्वे के लिए किसानों द्वारा दी गई वंशावली में कोर्ट का हलफनामा संलग्न करने की आवश्यकता नहीं है. वंशावली की जानकारी उस फॉर्म में बिल्कुल सही देनी चाहिए. जिसके बाद सर्वे अधिकारी ग्राम सभा के माध्यम से आपके द्वारा दी गई वंशावली की जानकारी का सत्यापन करेंगे. उन्होंने बताया कि इसके लिए लोगों को अलग से किसी कार्यालय या पंचायत का चक्कर लगाने की जरूरत नहीं है.
बिहार में विशेष भूमि सर्वेक्षण के नाम पर दलालों ने लोगों को शुरू कर दिया है ठगना
ये लोग लोगों से वंशावली बनाने के नाम पर दो हजार से दस हजार रुपये तक वसूल रहे हैं. हालांकि जिला बंदोबस्त अधिकारी ने स्पष्ट किया है कि विशेष भूमि सर्वेक्षण के लिए वंशावली बनाने की प्रक्रिया पूरी तरह से निशुल्क है. लोग इस तरह से झांसा में न आएं. विशेष भूमि सर्वे का कार्य शुरू होते ही अंचल, रजिस्ट्री और भूमि संबंधी अन्य कार्यालयों में सक्रिय रहने वाले दलालों की चांदी हो गई है. भूमि सर्वेक्षण में लोगों को स्वघोषित वंशावली देनी है, लेकिन ठग इधर-उधर की बातों के जरिए लोगों को बरगलाकर वंशावली बनाने के पर किसी से दो हजार तो किसी से 10 हजार रुपये तक ठग रहे हैं. ऐसी शिकायतें पीड़ित लाेग आपस में बातचीत के दौरान तो कर रहे हैं, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी तक नहीं पहुंचा रहे हैं. बंटवारे और भूमि संबंधी अन्य प्रक्रियाओं की तरह जिम्मेदार प्राधिकार से वंशावली बनाने की समस्या विशेष भूमि सर्वे के संबंध में नहीं है. विशेष भूमि सर्वे के लिए वंशावली संबंधित रैयत को प्रपत्र तीन में देनी है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है