बक्सर लोकसभा में भाजपा को मोदी फैक्टर पर भरोसा, तो राजद को तेजस्वी के खटाखट पर

लोकसभा चुनाव के आखिरी चरण में एक जून को बक्सर संसदीय क्षेत्र में मैदान होना है. उससे पहले इलाके में चुनावी माहौल कैसा है जानने पहुंचे प्रभात खबर बिहार के राजनीतिक संपादक मिथिलेश. पढिए ग्राउंड रिपोर्ट...

By Anand Shekhar | May 29, 2024 10:36 PM

मुरार/चौंगाई, बक्सर से लौटकर मिथिलेश

बक्सर लोकसभा क्षेत्र के डुमरांव इलाके मे मुरार गांव बसा है. कहने के लिए तो यह बिहार निर्माता और संविधान सभा के अध्यक्ष रहे सच्चिदानंद सिन्हा का गांव है, पर यहां उनका कोई नामलेवा नहीं दिखता. गांव में एक प्लसटू स्कूल है, जिसके परिसर में सच्चिदानंद सिन्हा की मूर्ति तो लगी है लेकिन स्कूल उनके नाम पर नहीं है. गावं के एक बुजुर्ग ने कहा, सच्चिदा बाबू की पुरखों की जमीन पर ही स्कूल चल रहा है. 

थोड़ी दूर आगे बढ़ने पर एक खंडहर नुमा दीवार दिखता है. उसे देखकर किसी पूर्व की हवेली की संभावना दिखती है. सामने खाली जमीन है. उसके निकट रहने वाले युवा उज्जवल कुमार कहते हैं, शत्रुघ्न सिन्हा की जमीन है. यह पूछने पर कि सच्चिदानंद सिन्हा का घर कौन है, वो कहता है, उनके न इ घर दूरा बा. सड़क के उस पर सच्चिदा बाबू के परिवार यानी गोतिया का घर है. इसी मुरार के मुख्य सड़क पर राजद नेता तेजस्वी यादव की सभा हुइ है. 

मुरार में 65 वर्षीय मोनू चौधरी मिलते हैं. वोट देने के सवाल पर कहते हैं, दियाई. बाकी केकरा के उ तय कईल जाइ. जाति के कुर्मी मोनू चौधरी कहते हैं, सारे नेता एक ही जैसे होते हैं. मुफ्त अनाज और पेंशन उन्हें मिलती है. गांव में तेजस्वी यादव की सभा की चहल पहल है. 

मुरार से थोड़ा हट कर राजपूतों की बड़ी बस्ती चौगांई है. यहां से राज्य सरकार के पूर्व मंत्री बसंत सिंह हुआ करते थे. गांव में प्रवेश के लिए दो बड़ा प्रवेश द्वार बना है. तेजस्वी यादव की सभा में बड़ी संख्या युवा यादव लड़कों की जुटी है. चौगांई बाजार में भी चहल पहल है. बक्सर लोकसभा सीट से भाजपा ने मिथिलेश तिवारी को अपना उम्मीदवार बनाया है.

महागठबंधन से राजद के विधायक सुधाकर सिंह मैदान में हैं. यहां दोनों ही गठबंधन में एक विभीषण की इंट्री हो चुकी है, जो दोनों गठबंधनों को अलग-अलग नुकसान पहुंचाता दिख रहा है. आइपीएस की नौकरी से रिटायरमेंट लेकर निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे आनंद मिश्रा की माैजूदगी भाजपा के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है. वहीं निर्दलीय खड़े पूर्व मंत्री ददन पहलवान की उम्मीदवारी महागठबंधन की कोर वोट में सेंधमारी करता दिख रहा है.

युवाओं में तेजस्वी का खटाखट, फटाफट और टनाटन हो रहा लोकप्रिय

तेजस्वी यादव को सुनकर आये युवाओं के चेहरे पर मुस्कान है. वो खटाखट नोट, फटाफट वोट और टनाटन रुपये की चर्चा करते हैं. चौगांई गांव में एक ही उम्मीदवार को वोट देने पर सहमति नहीं है. कुछ लोगोें को पीएम मोदी की बातें अच्छी लगती है. कुछ तेजस्वी यादव की बात से भले ही सहमत नहीं दिखते, पर वोट महागठबंधन उम्मीदवार को देने की बात करते हैं. 

रेवटियां के पचीस वर्षीय मुकेश यादव कहते हैं. बेरोजगार बानी जी. वो सरकार बदलने के लिए वोट करेंगे. लालू परिवार पर भ्रष्टाचार के आरोप से उन्हें कोई परवाह नहीं है. उनके साथ तेजस्वी यादव की भाषण सुनने गये राकेश कुमार यादव कहते हैं, आरोप त सही बा, पर उ त बाप पर बा, बेटवा सही बा. उनके तेजस्वी इतनी सारी नाैकरी देने की बात कह रहे हैं, उस समय नहीं मिली, मुकेश कहते हैं, अप्लाइ रहे, बाकी ना मिलल. 

रामपुर गांव के रवींद्र कुमार यादव कहते हैं, नहर में पानी नहीं है. वोट केकरा मिली ,पूछने पर कोरान सराय के आकाश यादव, सोनू यादव कहते हैं, हरियर गमछा बंधले ही बानी. यादव वोटर महागठबंधन में जाइ. लेकिन, ददन यादव भी तो खड़े हैं, आकश कहते हैं, टूटी त ज्यादा ले ज्यादा 10 प्रतिशत. सब गांव में कुछ लोग अलगा मन मिजाज के रहे ला. बाकी 90 प्रतिशत एकजूट रही.

लड़ाई भाजपा के मिथिलेश तिवारी और राजद के सुधाकर के ही बीच

नचाब गांव के संजय श्रीवास्तव कहते हैं, मुख्यत: लडाई भाजपा के मिथिलेश तिवारी और राजद के सुधाकर सिंह के बीच में ही होने वाला है. बाकी के दोनों उम्मीदवार को मतदाता सुन नहीं रहे हैं. वे कहते हैं, शहरी मतदाता फिक्स हैं, ज्यादा बदलाव नहीं है. हम आगे बढ़ते हैं. आरा से बक्सर जाने वाली मुख्य सड़क के किनारे दुलहपुर बलिहार के भोला सिंह मिलते हैं. वो कहते हैं, जिस दिन प्रधानमंत्री की सभा हुइ, उसी दिन से माहौल बदल गया. वो कहते हैं हमलोग देश को देख रहे हैं. ब्रह्मपुर में बाबा ब्रह्मेश्वर स्थान के आगे चौक पर रामेश्वर पांडे मिलते हैं.वो कहते हैं, वोट त गिरी. तय बा जहां पहले गिरत रहे, ओहिजे जाइ. अनंद मिश्रा के बारे में पूछने पर कहते हैं, के बा हम नइखे जानी.

शहर में बढ़ी चुनावी पहल पहल

बक्सर शहर में थोड़ी बहुत चुनाव की चहल पहल दिखती है. उम्मीदवारों के समर्थक अब वोटर पर्ची मतदाताओं के घर -घर पहुंचाने में लगे हैं. बक्सर गोलंबर से पहले परड़ी में भाजपा के नेता संजय सहाय मिलते हैं. उनकी जिम्मेवारी मतदाताओं तक परची पहुंचाने की है. चुनाव का मूड कैसा है, वो कहते हैं, सब ठीक है. हम पिछली दफा से भी अधिक मतों से जीत हासिल करेंगे. महागठबंधन के पक्ष में भाकपा माले और सीपीआइ के झंडा उठाकर चलने वाले भी दिख जाते हैं. हार्वर्ड विवि छात्र संघ के अध्यक्ष रहे शाश्वत गौतम कहते हैं, वो पिछले ढाई महीने से बक्सर लोकसभा क्षेत्र में लोगों के बीच घुम रहे हैं. लोग बदलाव चाहते हैं.

दूर-दूर तक खाली खेत

राजद बुद्धिजीवी प्रकोष्ठ की टीम के संजय कुमार वर्मा कहते हैं, बक्सर के शहरी मतदाताओं में और दिनारा के इलाके में वैश्य समाज के लोगों के बीच तेजस्वी यादव को लेकर सकारात्मक माहौल बना है.

आरा से बक्सर के बीच का रास्ता हो या डुमराव से चौंगाइ होते हुए ब्रह्मपुर का रास्ता, गांव कहीं-कहीं बीच में दिखती है. सड़क के दोनों ओर दूर-दूर तक खाली-खाली खेत ही खेत नजर आता है.खेतों से फसल कट चुकी है. किसान निश्चिंत दिखते हैं.

सभी छह विधानसभा क्षेत्र में है महागठबंधन का कब्जा

बक्सर लोकसभा सीट के तहत छह विधानसभा क्षेत्र आते हैं. इनमें सभी पर महागटबंधन के घटक दलों का कब्जा है. ब्रह्मपुर (राजद), बक्सर (कांग्रेस), डुमरांव (भाकपा माले), राजपुर (कांग्रेस), दिनारा (राजद) और रामगढ़ (राजद) में सुधाकर सिंह विधायक हैं. सुधाकर सिंह को ही राजद ने इसबार बक्सर सीट से महागठबंधन का उम्मीदवार बनाया है. इसका एक और पक्ष यह भी है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में इन सभी छह विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा को लीड मिली थी.

1996 के बाद एक बार 2009 में हुआ सिर्फ राजद का कब्जा

बक्सर लोकसभा सीट पर पिछले सात चुनावों में एकमात्र 2009 के आम चुनाव में राजद को सफलता मिली. राजद के जगदानंद सिंह यहां से चुनाव जीतकर सांसद बने. उनके पहले 1996 में भाजपा के लालमुनि चौबे पहली बार सांसद निर्वाचित हुए. इसके बाद 1998, 1999 और 2004 में लालमुनि चौबे की ही जीत हाेती रही. 2009 के चुनाव में जगदानंद सिंह को जीत मिली. 2014 में भाजपा एक बार फिर काबिज हो गयी और यहां से अश्विनी कुमार चौबे सांसद निर्वाचित हुए. 2019 के चुनाव में भी श्री चौबे को जीत हासिल हुई. इस बार भाजपा ने अश्विनी चौबे की जगह अपेक्षाकृत युवा और गोपालगंज जिले के बैकुंठपुर के पूर्व विधायक मिथिलेश तिवारी को अपना उम्मीदवार बनाया है.

1977 में रामानंद तिवारी को मिली थी जीत

इसके पहले जेपी आंदोलन के बाद 1977 में हुए आम चुनाव में बक्सर लोकसभा सीट से जनतापार्टी की टिकट पर समाजवादी नेता रामानंद तिवारी की जीत हुई थी. रामानंद तिवारी के बाद यहां से 1980 और 1984 के चुनाव में कांग्रेस के कमलाकांत तिवारी सांसद हुए. 1989 और 1991 में दो बार सीपीआइ से तेजनारायण सिंह यहां से सांसद हुए.

पूर्व आइपीएस अधिकारी आनंद मिश्रा ने भी दी है दस्तक

बक्सर लोकसभा सीट से आइपीएस की नौकरी छोड़ चुनाव में उतरे आनंद मिश्रा सक्रिय हैं. वो खुद भी मतदाताओं से संपर्क साध रहे हैं. बक्सर-डुमराव सड़क पर उनके पक्ष में मोटर सासइकिल सवार युवाओं की टोली आनंद मिश्रा जिंदाबाद का नारा लगाते घुमती रही. आनंद मिश्रा असम कैडर के आनंद मिश्रा 2011 बैच के आइपीएस अधिकारी रहे हैं.राजनीति में इंट्री से पहले वे सम के लखीमपुर में एसपी के रूप में तैनात थे. पिछले दिनों मणिपुर में हुई हिंसा की जांच के लिए गठित एसआईटी के सदस्य भी रहे हैं. युवाओं में उनकी चर्चा है.

ददन पहलवान भी मैदान में

पूर्व मंत्री ददन पहलवान का बतौर निर्दलीय उम्मीदवार बक्सर में सक्रिय होना राजद के लिए भारी पड़ सकता है. ददन पहलवान इसके पूर्व भी चुनाव मैदान में उतर चुके हैं. ददन के समर्थक कहते हैं, नेता जी को बहुत समर्थन मिल रहा है. शहर में इक्का-दुक्का गाड़ी उनका प्रचार करते दिख जाती है.

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