जिले के सभी पंचायताें में स्थापित किये जायेंगे कस्टम हायरिंग सेंटर

जिले में कृषि को आधुनिकीकरण की ओर ले जाने व कृषि यंत्रों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए कई योजनाएं धरालत पर उतारी गयी है.

By Prabhat Khabar News Desk | January 22, 2025 10:10 PM

बक्सर.

जिले में कृषि को आधुनिकीकरण की ओर ले जाने व कृषि यंत्रों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए कई योजनाएं धरालत पर उतारी गयी है. उसी के तहत जिले के सभी पंचायत में एक – एक कस्टम हायरिंग सेंटर खोलने को लेकर कृषि विभाग की पहल पर सभी पंचायत में चार लाख से लेकर 12 लाख तक अनुदान पर दिया जा रहा है. इसके तहत प्रगतिशील कृषक, कृषि उद्यमी व समूह के लिए दस लाख के प्रोजेक्ट कॉस्ट पर कस्टम हायरिंग सेंटर की भी स्थापना की जा रही है. कस्टम हायरिंग के लिए 40 प्रतिशत या अधिकतम चार लाख रुपये अनुदान के रूप में दिये जाते हैं. जिले में वित्तीय वर्ष 2024-25 में जिले में कस्टम हायरिंग सेंटर 15 का लक्ष्य था लेकिन 14 पंचायत में स्थापित किया गया है. राजपुर प्रखंड में 07, सिमरी प्रखंड में दो, डुमरांव प्रखंड में एक, नवानगर प्रखंड में एक, चौसा प्रखंड में दो, बक्सर प्रखंड में एक, वहीं इटाढ़ी प्रखंड में एक अनुदान पर दिया गया है और पूर्व से जिले में 40 पंचायतों में है. बाकी शेष पंचायत में कृषि विभाग प्रयास कर रहा है कि इस वित्तीय वर्ष में जिले के सभी पंचायत में एक-एक किसानों को अनुदान पर देने का लक्ष्य किया. कृषि कार्यों में भाग ले रहे जीविका स्वयं सहायता समूहों से जुड़े परिवार को, जीविका स्वयं सहायता समूहों को प्राथमिकता दी जाती है. वहीं कस्टम हायरिंग से किसान पहले आओ पहले पाओ के सिद्धांत पर अन्य किसान भी सहायता ले सकते हैं. कस्टम हायरिंग सेंटर से किसानों को सहूलियत से कृषि मशीनरी व उपकरण किराये पर मिलते हैं. इसका उद्देश्य छोटे और सीमांत किसानों को को आधुनिक कृषि उपकरण खरीदने में मदद करना है. कस्टम हायरिंग सेंटर की स्थापना के लिए अनुदान दिये जाते हैं. कस्टम हायरिंग सेंटर में काम करने वाले कैडर की जिम्मेवारी कृषि यंत्रों के रखरखाव, मरम्मत, किराया और बीमा करवाना है. कैडर को इसके बदले मानदेय भी दिया जाता है. कस्टम हायरिंग सेंटर में रखे गये यंत्रों की मासिक समीक्षा भी होती है. इतना ही नहीं कस्टम हायरिंग सेंटर में रखे गये यंत्रों की पुस्तिका और पंजी भी संधारित की जाती है. कस्टम हायरिंग सेन्टर में इन यंत्रों की होनी है उपलब्धतता कस्टम हायरिंग सेन्टर में आम तौर पर 35 से 45 एचपी का ट्रैक्टर, जुताई एवं मिट्टी पलटने के लिए एमबी व डिस्क प्लाउ, कल्टीवेटर, रोटावेटर, खेत में बीज एवं खाद डालने के लिये सीड कम फर्टीलाइजर, सेल्फ प्रोपेल्ड कम फर्टिलाइजर ड्रील, फसल कटाई के लिये ट्रैक्टर चालित रीपर, सेल्फ प्रोपेल्ड रीपर, फसल की कटाई व गट्ठर बनाने के लिए सेल्फ प्रोपेल्ड रीपर कम बाईंडर, पौधे से दाना निकालने के लिये थ्रेसर, दवा छिड़काव के लिये पावर स्प्रेयर, नेपसेक स्प्रेरयर, दानों से नमी की मात्रा निकालने के लिए डीजिटल नमी मापक यंत्र, दानों की सफाई एवं छटाई के लिए एयर क्लीनर कम ग्रेडर, मक्का की बाली से दाना निकालने के लिए मक्का डिहस्कर कम सेलर, आलू रोपाई यंत्र, बिना जुताई के खेत में बीज एवं खाद डालने के लिये मल्टीक्रॉप जीरो टिल सीड कम फर्टिलाइजर ड्रील, छोटे आकार के खेत में खेती के लिए पावर ट्रिलर, धान की खेत की तैयारी के समय ट्रैक्टर के चक्के के साथ लगाने के लिए केज व्हील, बड़े फसल अवशेषों वाले खेत में बीज एवं खाद डालने के लिए हैप्पी सीडर, मेड़ बनाने के लिए रीजर बड़े क्षेत्र या फलदार वृक्षों में दवा का छिड़काव करने के लिए मिस्ट ब्लोअर कम डस्टर तथा सिंचाई के लिए पंप सेट जैसे उपकरण रखे जाते हैं. क्या हैं फायदे जिले में 80 प्रतिशत परिवार प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से अपनी आजीविका के लिए खेती से जुड़े हैं.ऐसी स्थिति में कृषि की उन्नत तकनीकी को अपना जरूरी है. कृषि में गरीब परिवार की महिलाओं की भूमिका भी एक मजदूर की तरह होती है. महिलाओं को भी कृषि से संबंधित कार्य सौंपे जाते हैं. ऐसी स्थिति में उन्हें भी कृषि के कठिन कार्यों को करना पड़ता है. उन्हें भी कड़ी धूप में खेतों में परिश्रम करना पड़ता है, लेकिन कृषि की आधुनिक पद्धति को अपनाकर और कृषि यंत्रों का अधिकाधिक उपयोग कर कठिन परिश्रम व लागत को कम किया जा सकता है. ऐसे में कस्टम हायरिंग सेंटर के जरिये उचित किराये पर कृषि यंत्र मिलने से कृषि कार्य में सहूलियत होती है. लागत भी कम होता है, लिहाजा बचत भी अधिक होती है. प्राय: छोटे किसानों के पास कृषि यंत्र उपलब्ध नहीं होते हैं. ऐसी स्थिति में उन्हें कस्टम हायरिंग सेन्टर के जरिये कृषि यंत्र उपलब्ध हो जाते हैं.

कस्टम हायरिंग सेंटर का उद्देश्य :

छोटे, सीमांत और गरीब किसानों को रियायती दरों पर कृषि उपकरण किराए पर उपलब्ध कराता है. सीएचसी छोटे और सीमांत किसानों को समय पर कृषि कार्य करने में सक्षम बनाता है. कृषि मशीनरी का उपयोग प्रतिकूल जलवायु परिस्थितियों के दौरान भी किया जा सकता है. छोटे किसान जो कि खेती में उपयोग कृषि यंत्र महंगे कीमत वाले नहीं खरीद सकते हैं जिसको लेकर कृषि विभाग के द्वारा चार से बारह लाख के अनुदान देकर कस्टम हायरिंग सेन्टर बना रही है ताकि किसानों को समस्या न हो.या तो इस योजना का लाभ निजी किसान या समूह बनाकर अपने पंचायत में कस्टम हायरिंग सेन्टर खोल सकते हैं. इस योजना का लाभ पहले आवो पहले पाओ के आधार पर दिया जाता है .

पांच कृषि यंत्र लेना है अनिवार्य :

कस्टम हायरिंग सेन्टर में जो किसान इस लाभ लेना चाहते हैं. उनको कम से कम पांच कृषि यंत्र लेना अनिवार्य है पांच यंत्र में से फसल अवशेष प्रबंधन यंत्र लेना अनिवार्य है. अनुदान कि राशि यंत्र खरीदने के व सत्यापन होने एक सप्ताह के अंदर किसान के खाते में कृषि विभाग के द्वारा दे दिया जाता है.कया कहते हैं अधिकारीवित्तीय वर्ष 25-26 जिन पंचायत में कस्टम हायरिंग सेंटर नहीं उन सभी पंचायत में कृषि विभाग के द्वारा अनुदान देकर खोलने का प्रयास किया जा रहा. ताकि जो फसल अवशेष किसानों के द्वारा जलाया जा रहा है उसपर काबू पाया जा सके.आशीष कुमार, सहायक निदेशक-सह-उप निदेशक, कृषि विभाग

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