Buxar News: किसानों की दैनिक समस्याओं का तत्काल हो समाधान : डीएओ
Buxar News: किसानों को वैज्ञानिकों का साथ मिले तो हरित क्रांति का सपना खेतों में अवश्य दिखेगा
बक्सर
. किसानों को वैज्ञानिकों का साथ मिले तो हरित क्रांति का सपना खेतों में अवश्य दिखेगा. आत्मा के बैनर तले संयुक्त कृषि भवन, बक्सर के सभागार में सोमवार को दो दिवसीय कृषक वैज्ञानिक वार्तालाप कार्यक्रम का आयोजन किया गया.दो दिवसीय वार्तालाप कार्यक्रम का हुआ आयोजन
जिला कृषि पदाधिकारी-सह-आत्मा के परियोजना निदेशक अविनाश शंकर ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि वार्तालाप के माध्यम से किसानों की दैनिक समस्याओं का तत्काल समाधान एवं नई तकनीकों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना है. मौसम के अनुकूल कृषि की मांग है.इसलिए किसान बंधु बीज की किस्म का चयन करते समय इसका विशेष ध्यान दे.मिट्टी की जांच कराकर बेहतर खेती के लिए किसान बंधु बर्मी कंपोस्ट का प्रयोग कर जैविक खेती की ओर अग्रसर हो.किसानों के समस्याओं के समाधान हेतु मैं सतत प्रयासरत रहूॅंगा.आगे उन्होंने कहा कि इस वार्तालाप का मुख्य उदेश्य एक मंच के माध्यम से कृषक एवं वैज्ञानिक के बीच संवाद कराना है, ताकि संवाद के दौरान रबी मौसम में उगाई जाने वाली फसलों में हो रहे समस्याओं का समाधान किया जा सके.कृषि विभाग द्वारा संचालित योजनाओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अब सभी योजनाओं का कार्यान्वयन आनलाईन मोड में कर दिया गया है.इसका लाभ लेने हेतु कृषि विभाग के वेबसाईट www.dbtagriculture.gov.in पर जानकारी हासिल कर सकते हैं.योजनाओं से संबंधित अधिक जानकारी हेतु अपने सम्बंधित पंचायत के कृषि समन्वयक, किसान सलाहकार, बीटीएम,एटीएम से संपर्क कर सकते हैं. इस दो दिवसीय कार्यक्रम के दौरान किसानों ने रबी मौसम सम्बंधित समस्याओं से वैज्ञानिकों को अवगत कराया.
कृषि विज्ञान केन्द्र,बक्सर के विशेषज्ञ श्री रामकेवल ने बताया कि फसलों का ससमय प्रबंधन न होने से उत्पादन प्रभावित होता है.आगे उन्होंने रबी मौसम में लगने वाले कीट के प्रबंधन पर विस्तारपूर्वक जानकारी दी.उन्होंने बीज उपचार के महत्व से किसानों को अवगत कराया.केवीके के विशेषज्ञ हरगोविंद जायसवाल ने किसानों की समस्याओं का मौके पर समाधान किया.उन्होंने बीज उत्पादन के तरीके को किसानों के बीच साझा किया.आत्मा की उप परियोजना निदेशक बेबी कुमारी ने कहा कि समयानुसार फसल प्रबंधन बेहद जरुरी है.उन्होंने पोषक तत्वों के महत्व पर चर्चा की, जिसमें अधिकतर कृषक चार पोषक तत्वों नाइट्रोजन, फाॅस्फोरस, पोटाश तथा जिंक के व्यवहार से अवगत हैं, शेष पोषक तत्वों के महत्व को जानने की आवश्यक्ता है ताकि उसकी ससमय भरपाई की जा सके.उन्होंने फसलों में रोग की पहचान कर कृषि वैज्ञानिक या प्रशिक्षित डीलर के सलाह से अनुशंसित मात्रा में कीटनाशक दवा प्रयोग करने की सलाह दी. रघुकुल तिलक, विकास कुमार राय , अनुमंडल कृषि पदाधिकारी शेखर कुमार व शेखर किशोर,आत्माकर्मी सत्येन्द्र राम, दीपक कुमार, त्रिपुरारी शरण सिन्हा शामिल रहे.
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