महात्मा गांधी बड़ा बाजार नगर परिषद को लाखों राजस्व देने के बाद भी है उपेक्षित
यह दिखाई देने वाला दृश्य जिले की किसी तालाब का नहीं बल्कि लाखों का राजस्व देने वाला नगर का एकमात्र थोक व खुदरा बाजार महात्मा गांधी बड़ा बाजार का नजारा है
बक्सर. यह दिखाई देने वाला दृश्य जिले की किसी तालाब का नहीं बल्कि लाखों का राजस्व देने वाला नगर का एकमात्र थोक व खुदरा बाजार महात्मा गांधी बड़ा बाजार का नजारा है. जहां बाजार के भूभाग पर जल जमाव की स्थिति मॉनसून के दस्तक देने के साथ ही कायम हो गई है. बाजार जाने वाली तथा बाजार की सड़कें गहरे कीचड़ मे सन गये है. जहां थोक विक्रेता दुकानदारों की दुकानें सजती है. इसी कीचड़ व गंदगी से निकली सब्जियां आम से खास लोग खाते है. इसी बाजार की सब्जियों को नगरवासी स्वाद प्रतिदिन चखते है. ऐसे में इन सब्जियों के प्रदूषित होने की संभावना बढ़ी हुई है. जो कभी भी नगर वासियों के लिए महामारी पैदा कर सकता है. जहां इंसान की दुकानों की बजाए लावारिस जानवरों का बसेरा कायम है. जहां दुकाने हैं लेकिन दुकान सड़क व नाली के स्लैब पर लगती हैं. नगर परिषद बक्सर को लाखों में प्रतिवर्ष आय महात्मा गांधी बाजार से प्राप्त होती है लेकिन सुविधा के नाम पर नगर परिषद द्वारा एक रुपये भी खर्च नहीं किया जाता है. जिसके कारण वर्षात में महात्मा गांधी बड़ा बाजार आजर तालाब का रूप ले लिया है. चारों तरफ गंदगी का अंबार लगा हुआ है. जिले का यह वही बाजार है जहां की सब्जी जिले के हर आम से लेकर खास व्यक्ति तक पहुंचता है. जबकि इस बाजार में चारों तरफ कचरा का अंबार लगा हुआ है. चारों तरफ दुर्गंध एवं बदबू फैला रही है. पूरे दिन लावारिस जानवरों का अड्डा बाजार बना हुआ है. दुकान लगाने के लिए बाजार में दुकानदारों के लिए जगह नहीं है. गंदगी की वजह से नगरवासी जिले के सबसे बड़े बाजार में खरीदारी करने के लिए नहीं पहुंच पाते हैं. असुरक्षा व स्वच्छता के अभाव के कारण हमेशा लावारिस जीवों के द्वारा सब्जी के ढेर पर मुंह लगा देने की संभावना बनी हुई है. राजस्व के अनुरूप सब्जी विक्रेताओं ने कम से कम बाजार में नगर परिषद द्वारा सुविधा देने की मांग भी किया है.
जलाशय में तब्दीदल हो गया है बाजार
बाजार में कोई भी विकास कार्य नहीं कराए जाने से बाजार के दुकानदारों को काफी मशक्कत करना पड़ रहा है. बुनियादी सुविधा भी दुकानदारों को नहीं मिल पा रही है. जिसके कारण बाजार में मॉनसून की पहली बारिश के साथ ही बाजार जलाशय का रूप ले लिया है. इसके साथ ही बाजार की सड़कों पर काफी मात्रा में कीचड़ जमा हो गया है. जिसके कारण कीचड़ के बीच ही थोक के साथ ही खुदरा विक्रेताओं को अपनी दुकानें सजाना पड़ रही है. नगर परिषद द्वारा लाखों की आय करने के बावजूद हजारों रुपए भी बाजार के विकास पर खर्च नहीं किया जाता है. इसके साथ ही बाजार की कभी भी साफ सफाई नहीं कराई जाती है. बाजार से जल निकासी की भी कोई व्यवस्था नहीं की गई है. जिसके कारण बाजार के बीचो बीच वर्षात की पानी ने जलाशय का रूप ले लिया है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है