राजपुर. प्रखंड क्षेत्र में इस बार पिछले तीन सप्ताह से लगातार इलेक्ट्रिक मोटर व डीजल पंप सेट चलने से पेयजल संकट गहरा गया है. नहर में पानी नहीं होने से पहले ही तालाब पोखरों का पानी सूख गया था. ऐसे में भूमिगत जलस्तर नीचे हो जाने से लोगों को कम पानी मिल रहा था. खेती बाड़ी का समय आने पर किसानों ने खेतों की सिंचाई कर धान रोपनी शुरू कर दिया. किसानों को उम्मीद थी की धान रोपनी के बाद मानसून की सक्रियता हो जाने से धीरे-धीरे खेती संपन्न हो जायेगी जो फिलहाल उनके उम्मीदों पर पानी फिर गया है. तेज धूप एवं जलवायु परिवर्तन से किसानों की चिंता काफी बढ़ गई है. पानी का लगातार दोहन होने से पेयजल संकट काफी गहरा गया है. देवढिया, कजरिया, नागपुर ,हंकारपुर,मंगराव, संगरॉव, खीरी, कोनौली, कठजा के अलावा अन्य गांव में लगे थ्री इंडिया मार्क्स का चापाकल भी पूरी तरह से बंद हो गया है.किसी-किसी गांव में यह पानी दे रहा है. अन्य सभी जगह पर चापाकल पूरी तरह से जवाब दे दिया है. पिछले वर्ष कुंआ के जीर्णोद्धार पर सरकार ने लाखों रुपए खर्च कर जल जीवन हरियाली योजना को गति देने की योजना बनाई थी. वह भी फेल साबित हो गया. इन कुओं को बचाने के नाम पर राशि की लूट हो गई और कुओं की साफ सफाई नहीं की गई. बाहर से जैसे तैसे मरम्मत कर रंग रोगन कर उस पर सिर्फ नाम लिख दिया गया. ऐसे में पेयजल के लिए लोगों को नल जल पर ही निर्भर रहना पड़ रहा है.वह भी इसके पाइप टूट फुट हो जाने से सभी के घरों तक पानी नहीं पहुंच रहा है. ऐसे में लोग सुबह-शाम बोरवेल के पास पहुंचकर कतार में खड़े होकर पानी लेने के लिए इंतजार करते हैं.देवढिया महादलित बस्ती के ग्रामीण सुरेंद्र पांडेय,श्रीभगवान साह,रामदेव साह,सुरेंद्र शर्मा,मुन्ना शर्मा ,काशी राम,केशो शर्मा,काशी राम ने बताया कि वार्ड छह में पानी की गम्भीर समस्या है. सूर्य मंदिर परिसर में लगा चापाकल खराब है. इसकी मरम्मत के लिए कई बार लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग को सूचित किया गया. फिर भी इसका मरम्मत नहीं किया गया है. इस विभाग के कर्मी कभी भी समय पर नहीं आते हैं. नल जल का पाइप टूटने पर भी आनाकानी करते हैं.वरीय अधिकारियों से भी इनके बीच कोई खौफ नहीं है. ऐसे में आम जनों की समस्या काफी बढ़ गयी है. वहीं मंगराव के वार्ड नंबर छह में लगे नल जल पानी टंकी के पास पाइप की टूट फूट होने से इसकी सूचना ग्रामीणों द्वारा विभाग को दी गई थी. जिसके कर्मी पहुंचकर जैसे तैसे मरम्मत किया. सही तरीके से नहीं हो पाया. ऐसे में ग्रामीणों ने स्वयं पहल करते हुए श्रमदान से पाइप की मरम्मत किया. इधर जिलाधिकारी का फरमान है की सूचना मिलते ही कर्मी गांव में पहुंचकर चापाकल की मरम्मत करेंगे. जबकि जमीनी हकीकत है कि सभी गांव में लगे सरकारी चापाकल बंद पड़े हैं.
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