फाइल-1- राजपुर में सूखे खेत की जुताई में लगे किसान 22 फुट नीचे हुआ भूमिगत जलस्तर पेयजल की बढ़ी समस्या

Farmers busy ploughing dry fields in RajpurUnderground water level dropped by 22 feetDrinking water problem increased

By Prabhat Khabar News Desk | July 17, 2024 5:28 PM

फ़ोटो-1- खेत की सिंचाई के लिए चल रहा डीजल पंप सेट राजपुर. प्रखंड के सभी गांव में समय पर मॉनसूनी वर्षा नहीं होने से सूखे जैसी स्थिति उत्पन्न हो गयी है. मौसम विभाग के तरफ से निर्देश दिया गया था कि इस बार मानसून समय पर आयेगा. बादलों के लुकाछिपी के बाद भी समय पर वर्षा नहीं होने से किसानों ने बोरिंग चलाकर रोहिणी नक्षत्र में ही धान का बिचड़ा डाल दिया था. डीजल पंपसेट एवं इलेक्ट्रिक मोटर के सहारे किसानों ने बीचड़ों को बचाने के साथ धान रोपनी का काम शुरू कर दिया है. नहर में पानी नहीं होने से खेती करना मुश्किल हो रहा है. बढ़ते तापमान व तेज धूप से खेतों में जमा पानी भी सुख गया है. खेती करने में भूमिगत जल स्तर का लगातार दोहन हो रहा है. पिछले एक सप्ताह से पांच फुट नीचे जलस्तर चले जाने से अब तक लगभग 22 फुट नीचे पानी का जलस्तर चला गया है. 20 फुट गहरे चेंबर में लगे बोरिंग भी पानी की रफ्तार कम कर दिया है. खेतों की सिंचाई के लिए लगातार चल रहे बोरिंग से गांव के आसपास के चापाकल ने भी जवाब देना शुरू कर दिया है. कुछ घरों का चापाकल भी पूरी तरह से बंद हो गया है. ऐसे में अब नल जल ही लोगों का सहारा बना हुआ है. नल जल योजना के तहत हो रही पानी की सप्लाई से ही लोगों को राहत मिल रही है. किसी गांव में लगे थ्री इंडिया मार्क चापाकल काम कर रहा है. इसके अलावा सभी चापाकल पूरी तरह से बंद हो गये हैं. क्षेत्र के किसान विमल राय, विनय पांडेय, रिंकू सिंह, हरिहर सिंह, महेंद्र मौर्य ,शंकर पांडेय के अलावा अन्य किसानों ने बताया कि इस बार कृषि विभाग के सलाह पर धान का बिचड़ा तो समय पर डाल दिया है. फिलहाल नहर में भी पानी नहीं आने से खेती प्रभावित हो रही है. विगत दिनों मॉनसून की सक्रियता से उम्मीद जगी थी की वर्षा होने पर समय पर धान रोपनी होगा. एक बार फिर मॉनसून के ब्रेक लग जाने से किसानों के लिए चिंता बढ़ गयी है. अब तक तापमान में सिर्फ मामूली गिरावट आयी है. उमस भरी गर्मी व तेज धूप से जनजीवन पूरी तरह से प्रभावित है. इसके प्रभाव से धान का बिचड़ा भी झुलस कर बर्बाद हो रहा है. अगर नहर में पर्याप्त पानी मिले तो धीरे-धीरे खेतों की सिंचाई कर रोपनी का काम किया जा सकता है.

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