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माॅनसून नहीं आने से खेती होगी प्रभावित, किसानों ने जतायी चिंता

मानसून नहीं आने से खेती होगा प्रभावित किसानों ने जताई चिंता

फोटो-8- खेत में लगा धान का बिचड़ा राजपुर. धान का कटोरा कहा जाने वाला क्षेत्र इन दिनों मौसम परिवर्तन की मार झेल रहा है. क्षेत्र में हर साल लगभग 21292 हेक्टेयर भूमि पर खरीफ फसल उत्पादन के लिए लक्ष्य तय किया जाता है. इस बार भी लक्ष्य तय कर दिया गया है, जिसको लेकर कृषि वैज्ञानिकों की तरफ से किसानों को वैज्ञानिक तरीके से खेती करने की जानकारी दी गयी. साथ ही किसानों को प्रेरित किया गया कि जलवायु परिवर्तन को देखते हुए इसके अनुकूल भी खेती करने की जरूरत है. बेहतर उत्पादन के लिए किसान अपने खेत में धान का बिचड़ा तैयार कर सकते हैं. सब कुछ होने के बावजूद मानसून नहीं आने से किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीरें खींच गयी हैं. कुछ वैसे किसान जिनके पास सिंचाई के साधन है. वह धान का बिचड़ा डाल दिये हैं. फिर भी अधिकतर किसानों ने अभी धान का बिचड़ा नहीं डाला है. किसान मॉनसून का इंतजार कर रहे हैं. आसमान से बरस रही आग एवं अधिक तापमान से लोगों का घर से निकलना मुश्किल हो गया है. वैसे में किसान प्रतिदिन धान के बिचड़े को बचाने में लगे हुए हैं. किसान अभी से आशंकित हैं कि अगर समय पर मानसून नहीं आया तो खेती पूरी तरह से प्रभावित हो सकती है. यह क्षेत्र मूल रूप से कृषि पर आधारित है. यहां एक भी कोई घरेलू उद्योग धंधा भी नहीं है. क्षेत्र के किसान खेती बाड़ी कर अपने आर्थिक आमदनी करते हैं. अधिकतर मजदूर रोजी रोटी के लिए दूसरे राज्यों में पलायन कर जाते हैं.किसान अमित राय, विमल राय ,जीबोधन राय, विनय पांडेय, अकोढ़ी के किसान श्रीराम मौर्य, महेंद्र सिंह ,केदार सिंह के अलावा अन्य लोगों ने बताया कि बहुत दिनों बाद मानसून के समय तापमान अधिक हो गया है. जिससे लोगों को डर सताने लगा है. नहर में पानी नहीं आने से खेती पर इसका बुरा असर पड़ सकता है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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