Buxar News: राजपुर की सभी 19 पंचायतों में नहीं हो रहा कचरे का उठाव
Buxar News: प्रखंड के सभी 19 पंचायतों में स्वच्छता अभियान का असर नहीं दिख रहा है. स्वच्छता के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है
राजपुर
. प्रखंड के सभी 19 पंचायतों में स्वच्छता अभियान का असर नहीं दिख रहा है. स्वच्छता के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है. सभी के घरों में सूखे व गीले कचरे को रखने के लिए लाखों रुपये खर्च कर डस्टबिन दे दिया गया है. इन कचरों को नियमित नहीं हटाया जा रहा है. डस्टबिन कचरे से भरा हुआ है. जिसका उदाहरण सभी पंचायतों के दलित बस्ती एवं अन्य जगहों पर देखा जा सकता है. विभाग के तरफ से मिली जानकारी के अनुसार पिछले कई महीने से कचरा प्रसंस्करण इकाई का निर्माण किया जा रहा है. जहां सभी ठोस एवं तरल कचरों को अलग-अलग रखना है. पंचायतों में स्वच्छता अभियान का नहीं दिख रहा असरलाखों रुपये की लागत से पंचायत में कचरा प्रसंस्करण इकाई का भी निर्माण कर दिया गया है. फिर भी कचरा प्रबंधन हाउस में कहीं भी कचरा का ढेर नहीं है. आमतौर पर ग्रामीण इलाके में इकट्ठा किए गए कचरे को जहां-तहां ही जलकर समाप्त कर दिया जाता है. सबसे बड़ी बात है कि ग्रामीण इलाके में खरपतवार को इकट्ठा करके जैविक खाद बनाना है. जिसका ढेर कहीं नहीं देखा जा रहा है. शहरों की तर्ज पर गांव की गलियों में कचरा उठाव के लिए ठेला भी संबंधित स्वच्छता कर्मियों को दिया गया है. फिर भी शायद ही कोई पंचायत है. जहां ठेला पहुंचकर कचरे का उठाव करता हो इसमें कई तरह की कमियां सामने आ रही है. सबसे बड़ी बात है कि अभी तक रसेन, खरहना एवं सिकठी पंचायत में सही तरीके से इस अभियान को धरातल पर नहीं लाया गया है. अभियान को गति देने के लिए स्वच्छताग्रही की भी नियुक्ति की गई है.जिन्हें प्रत्येक वार्ड के लिए एक ठेला गाड़ी एवं एक ई रिक्शा भी दिया गया है. गांव के लोग भी अब साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दे रहे हैं. सबसे बड़ी बात है कि अभी तक रसेन, खरहना एवं सिकठी पंचायत में सही तरीके से इस अभियान को धरातल पर नहीं लाया गया है. अभियान को गति देने के लिए स्वच्छताग्रही की भी नियुक्ति की गई है.कुछ कचरा प्रबंधन हाउस से अभी तक पुनः निस्तारण के लिए इन कचरों को दूसरे जगह पर नहीं भेजा गया है. सरकार के तरफ से चयनित पंचायत में कचरा उठाव के लिए प्रति घर से 30 रुपये प्रतिमाह स्वच्छता शुल्क भी लेना था. यह शुल्क महज कुछ ही पंचायत में लिया जा रहा है. अन्य पंचायत में इसकी वसूली का काम बहुत धीमी गति से है. ग्रीन एवं क्लीन पंचायत बनाने के लिए सरकार पूरी तरह से संकल्पित है. फिर भी लाखों खर्च के बाद इसका असर कम दिख रहा है.
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