सात सालो से खराब है सरकारी नलकूप, किसान परेशान
प्रखंड क्षेत्र के सोवा गांव के पश्चिम टोला तथा गांव के उत्तर में स्थित दो सरकारी नलकूप पिछले सात साल से बंद होने से किसानों को खेतों की पटवन की समस्या एक गंभीर समस्या बन गया है
डुमरांव (बक्सर). प्रखंड क्षेत्र के सोवा गांव के पश्चिम टोला तथा गांव के उत्तर में स्थित दो सरकारी नलकूप पिछले सात साल से बंद होने से किसानों को खेतों की पटवन की समस्या एक गंभीर समस्या बन गया है. निजी नलकूप के सहारे किसान कर रहे हैं खेतो की सिंचाई. बारिश नहीं होने पर किसानों के लिए वरदान साबित होने वाले ये सरकारी नलकूप पिछले सात सालो से किसानों के लिए बस दिखावे के लिए रह गए हैं. सोवा गांव में एक समय था कि सरकारी नलकूप होने से लोग अपने खेती का सिचाई समय समय पर कर लेते थे. लेकिन वही अब इस महंगाई के दौर में किसान अपने खेतों के सिचाई करने में असमर्थ है जिन लोगो के पास निजी नलकूप है वे लोग तो अपना खेती कर लेते है लेकिन जिनके पास पटवन का कोई उचित सुबिधा नही है. उन लोगों के खेतों की सिचाई नही हो पाता है एक तरफ सरकार का कहना है कि किसानो को लाभ पहुचाये बिना देश का विकास संभव नही है वहीं दूसरी तरफ सरकार की अनदेखी के कारण असमर्थ किसानो की आर्थिक स्थिति कमजोर होने कारण कर्जो के बोझे तल्ले दबते दिखाई दे रहे हैं गांव में लगे नलकूप सात साल बाद भी चालू नहीं हो पाई है. जिससे क्षेत्र के किसानों को सरकारी स्तर पर लगाए गए नलकूप से सिंचाई का लाभ नहीं मिल पा रहा है. नलकूप बंद होने के कारण किसानों को फसलों की पटवन करने में भारी परेशानिया हो रहा है. जिनके पास निजी नलकूप है वो अपने फसलों की सिंचाई कर लेते है लेकिन जो किसान आर्थिक रूप से कमजोर है. उनको खेतों की सिचाई करने में जेब ढीली हो जाती है ऐसे में सिचाई उनके सामने एक बड़ी समस्या बनी हुई है. किसानों की खेती में घाटा हो जाने से कर्ज में डूब जाते है उन्हें दूसरों के नलकूप से प्रति बीघा 400 सौ रुपये की दर से खेत मे पानी पटवन करनी पड़ती है किसान पैसे की तंगी कारण पटवन नहीं कर पाते है. जिससे खेतों में लगे फसल सुख जाती है
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