फाइल-1- भगवान के भजन से होगी सुख समृद्धि : स्वामी बैंकुठनाथ

भगवान के भजन से होगी सुख समृद्धि : स्वामी बैंकुठनाथ

By Prabhat Khabar News Desk | November 8, 2024 6:07 PM

8 नवंबर- फोटो-1- कथावाचन करते स्वामी जी. राजपुर. प्रखंड के नागपुर पंचायत के कठजा गांव में अशोक उपाध्याय के नेतृत्व में शिव मंदिर परिसर में संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का आयोजन किया गया. जिसमें हरिद्वार के पावन भूमि से आये माया मधुसूदन धाम पीठाधीश्वर बैंकुठनाथ स्वामी ने कथा वाचन करते हुए कहा कि कथा विक्रय के लिए नहीं बांटने के लिए है. मनुष्य अपने बल पर कभी भव सागर को प्राप्त नहीं कर सकता है. इसके लिए भगवान की शरण में जाना होगा. जिस तरह से एक चींटी अपने इच्छा के बाद भी विदेश नहीं जा सकती है.उसी प्रकार हमें भी भगवान की आराधना जरूरी है. सुख समृद्धि हो तो किसी प्रकार का विरह नहीं है. ब्रितासुर भगवान इंद्र के युद्ध कथा का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि बित्रासुर अपने भाई का बदला लेने के लिए भगवान इंद्र के पास गया. इंद्र के पास जो बज्र था उसे देखकर नारायण दिख गए. जिससे बित्रासुर का मनोभाव बदल गया. असुर प्रवृति ने इंद्र से कहा कि तुम युद्ध करो. जब युद्ध के लिए तैयार हुए तो इसने ऐसा मुक्का मारा की हाथी, बज्र एवं अन्य अस्त्र अलग-अलग हो गए. उसने कहा अपना बज्र उठाओ इसी से मेरा वध होगा. तब इंद्र ने इसके दोनों भुजाओं को काट दिया. जिसके बाद वह दहाड़ मारकर इंद्र को निगल लिया. जो एक वर्षो तक उनके पेट में रहे. धीरे-धीरे बज्र से बित्रासुर का पेट फाड़कर बाहर निकले. बित्रासुर परम धाम को प्राप्त हुआ. यहीं से उनका उद्धार हुआ. कथा सुनाते हुए स्वामी जी ने कहा कि राजा परीक्षित ने सुखदेव महाराज से उत्सुकता से पूछा बताइए यह बित्रासुर कौन है? तो कथा के दौरान बताया कि बित्रासुर की पूर्व जन्म की कथा बताते हुए कहा चित्रकेतु नामक महाराज थे जिनकी कई रानियां थी. लेकिन इन्हें पुत्र की प्राप्ति नहीं हुई थी. पुत्र प्राप्त हुआ तो सवत डाह में अन्य रानियों ने इसे जहर देकर मार दिया. ऐसे ही वियोग में यह इस जन्म में बित्रासुर हो गया. इसी तरह से हम सभी को भी दुष्टता छोड़कर भगवान का भजन करना चाहिए. इस कथा को सुन दर्शक भी भाव विभोर हो गए.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Next Article

Exit mobile version