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किराये के भवन में रहते हैं सदर एसडीपीओ, 2002 से आवास का किराया है बकाया

बक्सर को जिला का दर्जा 1991 में मिल गया. लेकिन बक्सर सदर एसडीपीओ को आज तक सरकारी आवास सह कार्यालय नसीब नहीं हुआ है. जिसके कारण किराया के भवन में सदर एसडीपीओ का आवास व कार्यालय संचालित होता है. वहीं एसडीपीओ के आवास व कार्यालय का पिछले 2002 से किराया भी भुगतान नहीं किया गया है.

बक्सर.

बक्सर को जिला का दर्जा 1991 में मिल गया. लेकिन बक्सर सदर एसडीपीओ को आज तक सरकारी आवास सह कार्यालय नसीब नहीं हुआ है. जिसके कारण किराया के भवन में सदर एसडीपीओ का आवास व कार्यालय संचालित होता है. वहीं एसडीपीओ के आवास व कार्यालय का पिछले 2002 से किराया भी भुगतान नहीं किया गया है. जिसको लेकर मकान का स्वामी विभाग जल संसाधन विभाग के अधिकारी ने भवन का किराया जमा करने को लेकर एसडीपीओ को पत्र लिखा है. पत्र अवर प्रमंडल पदाधिकारी के कार्यालय सोन नहर अवर प्रमंडल बक्सर से जारी किया गया है. ज्ञात हो जिला बनने के 30 वर्षों बाद भी जिला मुख्यालय अंतर्गत सदर एसडीपीओ को आवास अब तक नसीब नहीं हो सका है. जिसके कारण सोन नहर बक्सर के जल संसाधन विभाग के निरीक्षण भवन पर ही किरायेदार के रूप में रह रहे है. वहीं पिछले 2002 से उक्त आवास का किराया सोन प्रमंडल को प्राप्त नहीं हो सका है. लगभग प्रति दिन पांच रुपये के हिसाब से भवन का मार्च 2024 तक का किराया 5 लाख 81 हजार 676 रुपये बकाया है. आश्चर्य व चौकाने वाला तथ्य यह है. इस बात की पुष्टि प्रभात खबर नहीं कर रहा हैं, बल्कि सोन नहर विभाग के द्वारा सदर एसडीपीओ को लिखा गया पत्र पुष्टि करता है.

एसडीपीओ आवास का पांच लाख 81 हजार 676 रुपये बकाया है किराया : जिले में सदर एसडीपीओ को अबतक अपना आवास व कार्यालय नसीब नहीं हो पाया है. जिसके कारण सोन नहर प्रमंडल जल संसाधन विभाग के निरीक्षण भवन पर ही किरायेदार के रूप में रह रहे हैं. सदर एसडीपीओ आवास सह कार्यालय का किराया पुलिस विभाग ने 2002 से जमा नहीं करा पाया है. सोन नहर का करीब पांच लाख 81 हजार 676 रुपये किराया के रूप में बकाया है. सोन नहर विभाग के द्वारा बार-बार नोटिस देने के बाद भी सदर एसडीपीओ द्वारा किराया जमा नहीं करा रहे है. इस अनदेखी से परेशान सोन नहर के अधिकारियों ने उच्च अधिकारियों को अवगत कराने की प्रक्रिया शुरू किया है. पुलिस विभाग के सदर एसडीपीओ का आवास अस्थायी तौर पर सोन नहर बक्सर के स्थित जल संसाधन विभाग के निरीक्षण भवन में ही संचालित होता है. सोन नहर के अधिकारियों ने शर्तों के अनुसार किराया तय करने के बाद ही भवन सौंपा था. शर्त के अनुसार सदर एसडीपीओ को प्रतिदिन पांच रुपये किराया चुकाना था. जिले में गत वर्षों से कई पुलिस अधीक्षक आये और चले गये, लेकिन किसी ने भी सदर एसडीपीओ आवास का किराया जमा कराने की जहमत नहीं उठायी.

20 मार्च विभाग ने सदर एसडीपीओ को दिया है पत्र :

लगातार 2002 से सदर एसडीपीओ के बकाया किराया को लेकर विभाग ने भी पुलिस अधिकारी को भारी भरकम भवन किराया को जमा करने के लिए पत्र जारी किया है. जारी पत्र के अनुसार मार्च 2024 तक सदर एसडीपीओ पर पांच लाख 81 हजार 676 रुपये का पत्र भेजा है.

नगर की एक हजार 19 जगहों पर सरकारी तंत्र और भू-माफिया ने किया है अवैध कब्जा :

नगर में सोन नहर की जमीन पर अवैध कब्जा करने के मामले में केवल भूमाफिया ही नहीं सरकारी तंत्र भी शामिल हैं. बिना एनओसी लिए नगर परिषद ने शहर के ज्योति चौक पर नियमों की अवहेलना कर बना दिया है. ज्योति प्रकाश चौक नगर परिषद ने बिना एनओसी के ही 50 से अधिक कटरा का निर्माण करा लिया है. सोन नहर विभाग की मानें तो शहर के कुल एक हजार 19 जगहों पर सरकारी तंत्र और भूमाफियाओं ने जल संसाधन विकास विभाग की जमीन बिना एनओसी के अवैध तरीके से कब्जा कर लिया है. वहीं दूसरी ओर विभाग की जमीन पर सरकारी अधिकारी का आवास तो कहीं सरकारी कार्यालय भी बना लिये जाने का मामला शामिल है. इसके अलावा कई जगहों पर भूमाफियाओं ने कब्जा कर ईंट, बालू, गिट्टी का कारोबार शुरू कर दिया हैं. इसमें नगर परिषद विशेष तौर पर सहायक बना हुआ है. अपने कचरे का निस्तारण नहर में ही कर देता है. जिस पर अवैध कब्जा कर लिया जाता है. सोन नहर विभाग ने सदर सीओ को जून 2023 में भी पत्र लिखा है. जिसमें जिक्र किया गया है कि विभाग से बिना एनओसी लिए ही कहीं सरकारी अधिकारी का आवास तो कहीं कार्यालय तक बना लिया गया है. नाम नहीं छापने की शर्त पर सोन नहर विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जब प्रशासनिक अधिकारी ही सरकारी आवास बिना एनओसी लिए बनवा लिये हैं तो बाकी लोगों का क्या कहना. जबकि सोन नहर प्रमंडल विभाग से बार-बार अतिक्रमण हटाने की मांग की गयी है. लेकिन सदर सीओ और अन्य प्रशासनिक पदाधिकारी के इसके प्रति उदासीन बने हुए हैं.

क्या कहते हैं अंचल अधिकारी

मुझे जानकारी नहीं है. कुछ समय पहले ही प्रभार मिला है. यदि विभागीय स्तर पर कार्रवाई को लेकर पत्र उनके पास दिया गया है, तो वे फाइल का अवलोकन करेंगे. उसके बाद आवश्यक नियमानुकूल कार्रवाई करेंगे.

प्रशांत शांडिल्य, अंचलाधिकारी, बक्सर

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