स्वच्छता रहेगी, तो मलेरिया जैसी बीमारी भी रहेगी दूर : सिविल सर्जन

एक ओर जिले में जहां 40 डिग्री के ऊपर तापमान पहुंचने से जहां जनजीवन झुलस रहा है, वहीं हर रोज मच्छरों की नई फौज तैयार हो रही है, जिसने लोगों की नींद उड़ा दी है.

By Prabhat Khabar News Desk | April 24, 2024 10:24 PM

बक्सर.

एक ओर जिले में जहां 40 डिग्री के ऊपर तापमान पहुंचने से जहां जनजीवन झुलस रहा है, वहीं हर रोज मच्छरों की नई फौज तैयार हो रही है, जिसने लोगों की नींद उड़ा दी है. मच्छरों से बचाव के लिए लोग क्वाइल, लोशन, लिक्विड आदि का प्रयोग भी कर रहे है, फिर भी मच्छरों का आतंक कम नहीं होता. विशेषज्ञों के अनुसार मच्छर पहले से अधिक शक्तिशाली हुए हैं, उनमें दवा के विरुद्ध प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो गई है. इसलिए और सावधानी की आवश्यकता है. हां, समय पर मलेरिया की जांच हो जाए तो जीवन पर आंच नहीं आयेगी. ऐसे में लोगों को अपने घरों के आसपास साफ-सफाई रखनी होगी, जिससे मलेरिया जैसी बीमारी दूर रहे. सिविल सर्जन डॉ सुरेश चंद्र सिन्हा ने बताया कि लोगों को मच्छरों और इससे होने वाली बीमारी मलेरिया के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस मनाया जाता है. जिसमें विभिन्न गतिविधियों का आयोजन कर लोगों तक मच्छर जनित बीमारी मलेरिया के लक्षणों की पहचान, इलाज और बचाव को लेकर जानकारी पहुंचाई जाती है. साथ ही, फ्रंटलाइन वर्कर्स के माध्यम से प्रभातफेरी समेत कई गतिविधियों का भी आयोजन किया जाता है. जिससे लोगों में जागरूकता फैलायी जा सके.

मलेरिया में समय पर इलाज होना बहुत जरूरी :

अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ शैलेंद्र कुमार ने बताया कि मलेरिया में समय पर इलाज होना बहुत जरूरी होता है. इसमें मादा एनाफिलीज मच्छर के परजीवी संक्रमण और लाल रक्त कोशिकाओं के नष्ट होने से थकान, एनीमिया, दौरा या चेतना की नुकसान हो सकता है. सेरेब्रल मलेरिया में परजीवी रक्त के जरिए मस्तिष्क व शरीर के अन्य अंगों में पहुंच कर नुकसान करते हैं. गर्भावस्था में मलेरिया से गर्भवती व उसके गर्भस्थ शिशु को खतरा हो सकता है. यह रोग मादा एनाफिलीज मच्छर के काटने पर 10 से 14 दिन बाद विकसित होता है. उन्होंने बताया कि मलेरिया का पता माइक्रोस्कोपी द्वारा रक्त की जांच से लगाया जा सकता है. अगर उसमें परजीवी दिखाई देते हैं, तो बीमारी को पॉजिटिव मानते हैं. इसके अलावा, रैपिड डिटेक्शन टेस्ट (आरडीटी) में रक्त के नमूने को लेकर जांच की जाती है.

लोगों को दी जा रही है मलेरिया की जानकारी :

नावानगर एमओआईसी डॉ कमलेश कुमार ने बताया कि प्रखंड के विभिन्न गांवों में आशा कार्यकर्ताओं के माध्यम से हैंड बिल का वितरण किया जा रहा है. ताकि, लोग मच्छर जनित इस बीमारी और इसके दुष्प्रभावों को जान सकें. साथ ही, मलेरिया से बचाव के लिए वो सर्वप्रथम अपने स्तर पर प्रयास करें. जिससे वो स्वयं के साथ अपने परिजनों को मच्छरों के आतंक से बचा सकें. उन्होंने बताया कि मलेरिया या डेंगू का लार्वा पनपने के लिए गर्मी-बारिश का मौसम सबसे अनुकूल होता है, क्योंकि जगह-जगह जलभराव व गंदगी फैली होती है. लेकिन, अब तो वर्षभर भर मलेरिया के रोगी निकल रहे हैं. वजह कृत्रिम जलभराव व गंदगी है. गांव ही नहीं, शहर में सफाई व्यवस्था को लेकर सजगता का अभाव दिखता है.

मलेरिया के प्रारंभिक लक्षण

सर्दी लगकर बुखार आना इसका सबसे सामान्य लक्षण हैसिरदर्द, चक्कर आ रहा है, तो वह मस्तिष्क मलेरिया का लक्षण हो सकता हैइसमें एक दिन छोड़कर ठंड लगने के साथ बुखार आता हैअगर आसपास के इलाके में पहले से ही मलेरिया रहा है, तो इसकी प्रबल संभावना रहती है

बचाव के लिए करें ये उपाय

हमेशा ध्यान रखें कि मच्छर ना काटने पाएंअगर मलेरिया हो गया है, तो पूरी दवा लेंदो तरह की दवाएं दी जाती हैं। पीवी और पीएफ के लिए उपचार अलग-अलग होता हैयदि 14 दिनों की दवा दी जाती है, तो उसे पूरा करें, बीच में ना छोड़ें

सोते समय ध्यान रखें कि मच्छर ना काटे

आसपास सफाई का विशेष ध्यान रखें, कहीं पानी न जमा होने पाये

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