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Buxar News: डीएम के आदेश के बाद भी अंजनी सरोवर से नहीं हटा अवैध कब्जा

Buxar News: पंचकोसी मेला से जुड़े अंजनी सरोवर से अतिक्रमण हटाने का निर्देश दिये जिलाधिकारी अंशुल अग्रवाल को एक माह दस दिन का तकरीबन समय बीत गया

बक्सर

. पंचकोसी मेला से जुड़े अंजनी सरोवर से अतिक्रमण हटाने का निर्देश दिये जिलाधिकारी अंशुल अग्रवाल को एक माह दस दिन का तकरीबन समय बीत गया. लेकिन स्थिति यथावत है. शहरवासियों का कहना है कि जिलाधिकारी का आदेश भी नप के इओ के लिए कोई मायने नहीं रखता है.

आदेश के एक माह बाद भी नहीं हुई कार्रवाई

शहरवासियों की यह भी मानना है कि जिलाधिकारी भी अतिक्रमण हटाने का निर्देश देकर यह पूछने के लिए शायद भूल गए हैं कि उनके आदेश का अनुपालन किया गया है या नहीं. यही वजह है कि 16 नवंबर को पंचकोसी मेला के मद्देनजर जिलाधिकारी अंशुल अग्रवाल जब अंजनी सरोवर का निरीक्षण करने गये थे. तब उस समय अंजनी सरोवर और मंदिर के आस-पास अवैध कब्जा पाया गया था. वह अवैध कब्जा उसी तरह बरकरार है. हां यह अलग बात है कि पंचकोसी मेला अब एक साल बाद फिर आयेगा, तब जाकर प्रशासन को उसकी सुधि होगी. तब तक के लिए अंजनी सरोवर से अवैध कब्जा हटाने का डीएम का निर्देश ठंडे बस्ते में चला गया है.

सीओ बोले, नहीं मिला है मुझे कोई आदेश

जबकि 16 नवंबर जब जिलाधिकारी अंशुल अग्रवाल मौके पर पहुंचे, तो उन्होंने नप के इओ के निर्देश दिया था कि बक्सर सीओ से समन्वय स्थापित कर अवैध कब्जा हटवाया जाये. मगर उस डीएम साहब के आदेश का पालन अभी तक नहीं हुआ. वही बक्सर सीओ प्रशांत शांडिल्य ने कहा कि अंजनी सरोवर से अवैध कब्जा हटवाने संबंधित कोई भी कागजात नगर परिषद द्वारा मुझे उपलब्ध नहीं कराया गया है. जबकि जानकारों का कहना है कि बिहार सरकार का निर्देश है कि जल जीवन हरियाली के तहत जल स्रोतों से अतिक्रमण हटवाया जाये. हालांकि पंचकोसी परिक्रमा समिति के अध्यक्ष अच्युत प्रपन्नाचार्य जी महाराज ने कहा कि अंजनी सरोवर से संबंधित केस में निर्णय मेरे पक्ष में आया है. मगर प्रशासनिक अधिकारी अतिक्रमण क्यों नहीं हटवा रहे हैं. यह समझ से परे हैं. जबकि नवंबर माह में जब डीएम मौके पर गये थे तो उन्होंने नप के इओ को निर्देश दिया था कि अंचल अधिकारी से समन्वय स्थापित कर सरोवर एवं मेला स्थल की भूमि का सीमांकन करते हुए अतिक्रमण हटाना सुनिश्चित किया जाये. वर्तमान में अंजनी सरोवर के चारो तरफ खाली जमीन पर लोग ईंट का मकान बनाकर उसमें मवेशी रखकर कारोबार कर रहे हैं. जबकि कई लोग जानवरों के गोबर से मोइठा भी पाथकर रखे हुए हैं. सरोवर के चारों तरक एक आबादी बास गयी है. जिसे हटाना प्रशासनिक अधिकारियों के लिए परेशानी का सबब है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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