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वज्रगृह में इवीएम व वीवीपैट जमा करने को लेकर रात 11 बजे तक शहर के चौक-चौराहे रहा जाम

लोकसभा के सातवें चरण का चुनाव संपन्न होने के बाद रविवार को मतदान केंद्रों से इवीएम व वीवीपैट लेकर बाजार समिति स्थित वज्रगृह में जमा करने के लिए आ रहे

बक्सर. लोकसभा के सातवें चरण का चुनाव संपन्न होने के बाद रविवार को मतदान केंद्रों से इवीएम व वीवीपैट लेकर बाजार समिति स्थित वज्रगृह में जमा करने के लिए आ रहे मतदान कर्मियों व पुलिस के वाहनों के कारण रात 11 बजे तक शहर के चौक-चौराहे जाम रहा. विभिन्न वाहनों में इवीएम लेकर आ रहे मतदान कर्मियों के कारण बाजार समिति से स्टेशन जाने वाली रोड, अंबेडकर चौक से इटाढ़ी जाने वाली रोड, आंबेडकर चौक से ज्योति प्रकाश होते हुए गोलंबर जाने वाली सड़क, चौसा से बाजार समिति आने वाली रोड पर वाहनों की लंबी लाइन लग गयी. कई घंटे जाम के कारण यातायात व्यवस्था पूरी तरह घ्वस्त रहा. जिस कारण शहरवासियों को दिक्कतों को सामना करना पड़ा. जाम में फंसने के कारण कई मतदान कर्मियों को पैदल ही इवीएम जमा करने के लिए जाना पड़ा. रविवार शाम सात बजे से लेकर रात 11 बजे तक शहर की चौक-चौराहा पूरी तरह जाम रहा. शांतिपूर्ण चुनाव कराकर लोट रहे मतदान कर्मियों व पुलिस कर्मियों से शहर पटा रहा. गौरतलब है कि बक्सर लोकसभा चुनाव के लिये वज्र्गृह बाजार समिति परिसर में बनाया गया है. जहां इवीएम को सुरक्षित जमा करने के लिये मतदान कर्मी पुलिस कर्मियों के साथ पहुंचे रहे थे. वही दूसरी ओर वज्रगृह के स्ट्रांग रूम से लेकर मुख्य गेट तक दंडाधिकारी, पुलिस बल व पुलिस पदाधिकारी नियुक्त थे. अपनी दलीलों से चुनावी गणित में मशगूल है समर्थक केसठ. लोकसभा चुनाव का मतदान समाप्त हो गया है. लिहाजा लोग अब इस चर्चा में मशगूल हो गए हैं, कि बक्सर लोकसभा क्षेत्र से सांसद कौन बनेगा. इस दौरान सभी लोग अपनी बातें मनवाने के लिए अपने हिसाब से तरह-तरह की दलीलें भी पेश कर रहे हैं. यही नहीं बात बढ़ती है तो दूर तक जाती है. चौक चौराहों व चाय पान की दुकानों पर ही केंद्र की सरकार बनने लगती है . इस दौरान देश का भविष्य तक तय होने लगता है. क्षेत्र का शायद ही कोई गांव या बाजार ऐसा हो जहां चुनावी जोड़ घटाव न हो रहा हो. मजे की बात यह है कि इस चर्चा में हर वर्ग के लोग को दिलचस्पी लेते देखा जा रहा है. यह सही है कि कुछ लोग इस चर्चा पर अपना कम समय जाया करते हैं , और यह कहकर पल्ला झाड़ लेते हैं कि इसमें कोई फायदा नहीं है. लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनका अच्छा खासा समय इसी में बीत रहा है.कहते हैं कि इस बार फलां के सिर ताज होगा. इतना कहते ही शुरू हो जाता है दो अपरिचितों के बीच वाद विवाद का दौर . कुछ देर तक चलने वाली इस चर्चा में बहुत कुछ सुनने को मिलता है. स्थानीय स्तर से उठते हुए यह चर्चा केंद्र की सरकार बनने तक चली जाती है. विदित हो कि आगामी चार जून को लोकसभा चुनाव का मतगणना होने वाला है. इस मतगणना के बाद ही पता चलेगा कि बक्सर लोकसभा सांसद का ताज किसके सिर पर होगा.

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