कंजिया ठाकुर जी का धूमधाम से मनाया गया वार्षिकोत्सव- कंजिया धाम पहुंचने के सभी रास्तों पर दिखा पैदल पहुंचने वाले श्रद्धालुओं का जन सैलाब- धाम से तीन किलोमीटर पूर्व ही मठिला पोखरा पर वाहनों का बनाया गया था पार्किंग स्थलफ़ोटो-2- ठाकुर जी का पूजा अर्चन करते श्रद्धालुफोटो-3- नये मंदिर में स्थापित भगवान लक्ष्मी नारायण की प्रतिमाफोटो-4- पूजा अर्चन को लेकर उमड़ी भीड़फोटो-5- कंजिया धाम में बना नया मंदिरफोटो-6- कंजिया धाम में श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरण करते युवाफोटो-7- कंजिया धाम परिसर में लगी श्रद्धालुओं की भीड़नावानगर. अस्था व विश्वास का केंद्र बने कंजिया धाम में शुक्रवार को ठाकुर जी का वार्षिक धूमधाम से मनाया गया. जहां आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा. सुदुरवर्ती इलाका होने के बावजूद धाम में पहुंचने वाले हर मार्ग श्रद्धालुओं व स्थावानों से भरा रहा. सुबह होने के साथ ही लोग अपने घरों से दूध व अन्य सामग्री लेकर पहुंचने लगे. कंजिया धाम में न केवल स्थानीय लोग पहुंचे बल्कि दूर दराज के साथ ही अन्य प्रदेशों से काफी संख्या में लोग व आस्थावान पहुंचे. जहा पहुंच ठाकुर जी की वार्षिकोत्सव पूजा में शामिल हुए. लोगों ने ठाकुर जी का पूजा अर्चन पूरे दिन पहुंचकर करते रहे. इस क्रम में देर रात तक पूजा अर्चन व प्रसाद वितरण का कार्य चलता रहा. दोपहर बाद पुड़ी खीर का प्रसाद ग्रहण कर श्रद्धालु अपने गंतव्य की ओर रवाना होते रहे. वहीं आने का क्रम भी लगातार जारी रहा. ज्ञात हो कि कंजिया धाम में हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन काफी धूमधाम से वार्षिकोत्सव मनाया जाता है. कार्तिक पूर्णिमा के दिन ठाकुर जी का दर्शन करने के लिए आम से खास पहुंचते है. यहां श्रद्धालुओं का जमावड़ा देर शाम तक लगा रहा. कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर ठाकुरजी के आयोजित पूजनोत्सव के मौके पर पूजा-अर्चना को भीड़ का आलम इस कदर रहा की मठिला से कंजिया तक लगभग 4 किलोमीटर की दूरी श्रद्धालुओं की लंबी कतार लगी रही. अहले सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ ठाकुर जी के दर्शन को उमड़ पड़ा. हजारों की संख्या में कंजिया धाम पहुंच श्रद्धालुओं ने ठाकुरजी दरबार में माथा टेक मन्नते मांगी. स्थिति यह रही की श्रद्धालुओं की आगमन से कोरान सराय-मठिला व नारायणपुर मठिला मार्ग में पैदल चलने वाले श्रद्धालुओं के साथ वाहनों की जाम लगी रही. वहीं पगडंडी, कच्चे रास्ते, खेत खलिहान व पक्की मार्ग के सहारे काफी संख्या में श्रद्धालु ठाकुरजी दरबार में पहुंचे. एक अनुमान के अनुसार शुक्रवार की देर शाम तक लगभग छह लाख श्रद्धालुओं ने ठाकुर जी का दर्शन पूजन के लिए कंजिया धाम पहुंचे थे. श्रद्धालुओं की जनसैलाब से कंजिया धाम एक विशाल मेला का रूप ले लिया था. मंदिर पुजारी राजेन्द्र उपाध्याय के अलावे बिनोद उपाध्याय और धीरज उपाध्याय, कृष्ण बिहारी राय, सुरेंद्र उपाध्याय ने बताया कि ठाकुर जी का वार्षिकोत्सव धूमधाम से मनाया गया. उन्होंने बताया कि छह लाख से ज्यादा लोगों को प्रसाद में बनी पूड़ी खीर दिया गया. ऐसा मानना है कि ठाकुर जी धाम से कोई खाली हाथ नहीं लौटता. इस पवित्र भूमि पर पांव रखते ही लोगों में धर्म व ईश्वर के प्रति आस्था जागृत हो जाती है. यहां आने वाले हर किसी की मनोकामना पूरी होती है. श्रद्धालुओं का मानना है कि यहां असाध्य रोग व विषैले जन्तुओं के डसने से पीड़ित लोगों को पहुचते ही वे पीड़ा मुक्त हो जाते हैं.ठाकुर जी के मंदिर में अनवरत जलते हैं पंचदीपठाकुर जी की दरबार में अनवरत जलते पंचदीप की महिमा का बखान लोगों की जुबान पर बनी रही. यहां लगातार 20 वर्षो से दीप अनवरत जलते रहते है. कंजिया धाम को लेकर मान्यता है कि विषैले जन्तु से पीड़ित लोग ठाकुर जी के दरबार में पहुंचते ही उठकर बैठ जाते है. इसी को लेकर कंजिया धाम में लोगों का आस्था व विश्वास बढ़ता गया. इसका लाभ लेने वाले स्थानीय लोगों में काफी आस्था है. इसके साथ ही कंजिया धाम में उगने वाले फसलों पर भी किसी प्रकार के किट व्याधि का प्रकोप नहीं होता है. फसल लोग रोग मुक्त उपजाते है. जो लोगों में विशेष प्रकार की आस्था है.कंजिया धाम की अलग है मान्यताकंजिया धाम का मान्यता है कि यहां विषैले जीव जन्तु के काटने के बाद पहुंंचने पर ठाकुर जी की कृपा से रोगी का पीड़ा स्वत: समाप्त हो जाता है. यहां पहुंचते ही रोगी ठीक हो जाता है. सर्प का काटा हुआ मरीज लाद कर व दूसरों के कंधे पर तो पहुंचता है लेकिन कंजिया धाम पहुंचने के बाद अपने पैरों से ही चलकर वह अपने घर जाता है. यहां किसी प्रकार की झाड़-फूंक भी नहीं किया जाता है. दरबार की कृपा से सबकुछ होता है. धाम के आस-पास फसलों में भी किसी प्रकार की कीट ब्याधि का प्रभाव नहीं होता है.वर्ष 2010 में बना है नया मंदिरकजियां वाले बाबा ने यहां कभी ठाकुर बारी की स्थापना की थी
अस्था व विश्वास का केंद्र बने कंजिया धाम में शुक्रवार को ठाकुर जी का वार्षिक धूमधाम से मनाया गया
नावानगर. अस्था व विश्वास का केंद्र बने कंजिया धाम में शुक्रवार को ठाकुर जी का वार्षिक धूमधाम से मनाया गया. जहां आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा. सुदुरवर्ती इलाका होने के बावजूद धाम में पहुंचने वाले हर मार्ग श्रद्धालुओं व स्थावानों से भरा रहा. सुबह होने के साथ ही लोग अपने घरों से दूध व अन्य सामग्री लेकर पहुंचने लगे. कंजिया धाम में न केवल स्थानीय लोग पहुंचे बल्कि दूर दराज के साथ ही अन्य प्रदेशों से काफी संख्या में लोग व आस्थावान पहुंचे. जहा पहुंच ठाकुर जी की वार्षिकोत्सव पूजा में शामिल हुए. लोगों ने ठाकुर जी का पूजा अर्चन पूरे दिन पहुंचकर करते रहे. इस क्रम में देर रात तक पूजा अर्चन व प्रसाद वितरण का कार्य चलता रहा. दोपहर बाद पुड़ी खीर का प्रसाद ग्रहण कर श्रद्धालु अपने गंतव्य की ओर रवाना होते रहे. वहीं आने का क्रम भी लगातार जारी रहा. ज्ञात हो कि कंजिया धाम में हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन काफी धूमधाम से वार्षिकोत्सव मनाया जाता है. कार्तिक पूर्णिमा के दिन ठाकुर जी का दर्शन करने के लिए आम से खास पहुंचते है. यहां श्रद्धालुओं का जमावड़ा देर शाम तक लगा रहा. कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर ठाकुरजी के आयोजित पूजनोत्सव के मौके पर पूजा-अर्चना को भीड़ का आलम इस कदर रहा की मठिला से कंजिया तक लगभग 4 किलोमीटर की दूरी श्रद्धालुओं की लंबी कतार लगी रही. अहले सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ ठाकुर जी के दर्शन को उमड़ पड़ा. हजारों की संख्या में कंजिया धाम पहुंच श्रद्धालुओं ने ठाकुरजी दरबार में माथा टेक मन्नते मांगी. स्थिति यह रही की श्रद्धालुओं की आगमन से कोरान सराय-मठिला व नारायणपुर मठिला मार्ग में पैदल चलने वाले श्रद्धालुओं के साथ वाहनों की जाम लगी रही. वहीं पगडंडी, कच्चे रास्ते, खेत खलिहान व पक्की मार्ग के सहारे काफी संख्या में श्रद्धालु ठाकुरजी दरबार में पहुंचे. एक अनुमान के अनुसार शुक्रवार की देर शाम तक लगभग छह लाख श्रद्धालुओं ने ठाकुर जी का दर्शन पूजन के लिए कंजिया धाम पहुंचे थे. श्रद्धालुओं की जनसैलाब से कंजिया धाम एक विशाल मेला का रूप ले लिया था. मंदिर पुजारी राजेन्द्र उपाध्याय के अलावे बिनोद उपाध्याय और धीरज उपाध्याय, कृष्ण बिहारी राय, सुरेंद्र उपाध्याय ने बताया कि ठाकुर जी का वार्षिकोत्सव धूमधाम से मनाया गया. उन्होंने बताया कि छह लाख से ज्यादा लोगों को प्रसाद में बनी पूड़ी खीर दिया गया. ऐसा मानना है कि ठाकुर जी धाम से कोई खाली हाथ नहीं लौटता. इस पवित्र भूमि पर पांव रखते ही लोगों में धर्म व ईश्वर के प्रति आस्था जागृत हो जाती है. यहां आने वाले हर किसी की मनोकामना पूरी होती है. श्रद्धालुओं का मानना है कि यहां असाध्य रोग व विषैले जन्तुओं के डसने से पीड़ित लोगों को पहुचते ही वे पीड़ा मुक्त हो जाते हैं.
ठाकुर जी के मंदिर में अनवरत जलते हैं पंचदीप
ठाकुर जी की दरबार में अनवरत जलते पंचदीप की महिमा का बखान लोगों की जुबान पर बनी रही. यहां लगातार 20 वर्षो से दीप अनवरत जलते रहते है. कंजिया धाम को लेकर मान्यता है कि विषैले जन्तु से पीड़ित लोग ठाकुर जी के दरबार में पहुंचते ही उठकर बैठ जाते है. इसी को लेकर कंजिया धाम में लोगों का आस्था व विश्वास बढ़ता गया. इसका लाभ लेने वाले स्थानीय लोगों में काफी आस्था है. इसके साथ ही कंजिया धाम में उगने वाले फसलों पर भी किसी प्रकार के किट व्याधि का प्रकोप नहीं होता है. फसल लोग रोग मुक्त उपजाते है. जो लोगों में विशेष प्रकार की आस्था है.कंजिया धाम की अलग है मान्यता
कंजिया धाम का मान्यता है कि यहां विषैले जीव जन्तु के काटने के बाद पहुंंचने पर ठाकुर जी की कृपा से रोगी का पीड़ा स्वत: समाप्त हो जाता है. यहां पहुंचते ही रोगी ठीक हो जाता है. सर्प का काटा हुआ मरीज लाद कर व दूसरों के कंधे पर तो पहुंचता है लेकिन कंजिया धाम पहुंचने के बाद अपने पैरों से ही चलकर वह अपने घर जाता है. यहां किसी प्रकार की झाड़-फूंक भी नहीं किया जाता है. दरबार की कृपा से सबकुछ होता है. धाम के आस-पास फसलों में भी किसी प्रकार की कीट ब्याधि का प्रभाव नहीं होता है.
अन्य राज्यों से पहुंचते है श्रद्धालु
कंजिया धाम में ठाकुर जी के दर्शन के लिए बिहार के अलावे उतर प्रदेश, झारखण्ड, बंगाल, ओडिशा, छतीसगढ़ समेत कई राज्यों से भक्त यहां पहुंच कर प्रसाद ग्रहण करते है. यह धाम न केवल श्रद्धालुओं के लिए कार्तिक पुर्णिमा ही महत्वपूर्ण है, बल्कि कंजिया धाम में प्रतिदिन दूर दराज से काफी संख्या में श्रद्धालु निर्मित नयी आकर्षक मंदिर के साथ ही ठाकुर जी का दर्शन एवं पूजन के लिए पहुंचते है. ठाकुर जी के मंदिर में बना गुंबज को जिला के सबसे ऊंचे गुंबज होने का भी दर्ज प्राप्त है. जिले में जितने भी मंदिर है किसी भी मंदिर का गुंबज इतना ऊंचा नही है. जो कोसों दूर से ही कंजिया धाम का परिचय कराता है.
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