बक्सर. सावन में बक्सर के उतरायणी गंगा घाट केसरिया रंग में रंग गए हैं. श्रावण के हर रविवार की तरह कांवरियों का सैलाब गंगा घाटों पर उमड़ गया. हजारों की तादाद में आए कांवरिए स्नान के उपरांत पूरी पवित्रता के साथ गंगा से जल ग्रहण किए और बोल बम के जयघोष के साथ ब्रह्मपुर स्थित बाबा ब्रह्मेश्वरनाथ के अलावा अन्य शिव मंदिरों के लिए रवाना हुए. वे गंगा के पावन जल से सावन की तीसरी सोमवारी को भगवान शिव का जलाभिषेक करेंगे.
कंधे पर कांवर के साथ केसरिया वस्त्र में लिपटे कांवरिया बोल बम का उद्घोष करते शिव मंदिरों के लिए निकले. जिससे पूरा महौल शिवमय हो गया. जल के लिए कांवरियों के आने-जाने का सिलसिला दोपहर से शुरू हुआ तो यह सिलसिला देर रात तक जारी रहा. दोपहर होते ही कांवरियों की भीड़ से शहर का रामरेखाघाट, नाथबाबा घाट समेत अन्य घाट पट गए थे. यहां पहुंचने के साथ श्रद्धालु गंगा में डुबकी लगाए. इसके बाद विधि-विधान के साथ कांवर का पूजन-अर्चन कर पात्र में जल ग्रहण किए और कंधे पर कांवर उठाकर भगवान शंकर का नाम जपते हुए रवाना हो गए. कांवरियों की आवाजाही से जिला मुख्यालय से जाने वाली सभी प्रमुख सड़के रात भर गुलजार रहीं. पूजा-पाठ, कांवर व कपड़े की खरीदारी बढ़ने से व्यवसायी भी बम-बम रहे.
ट्रेनों से कांवरियों के आवागमन के चलते स्थानीय रेलवे भी गुलजार रहा. यहां के प्लेटफार्म पर ठहरने वाली हर ट्रेनों से श्रद्धालुओं का जत्था उतर रहा था. जिससे पूरा स्टेशन परिसर कांवरियों से पट गया था. इसी तरह दूर दराज के कांवरिए चार पहिया व बसों के अलावा पैदल भी पहुंच रहे थे. ब्रह्मपुर जाने वाले बक्सर-आरा हाइवे से लेकर बक्सर-कोचस, बक्सर शाखा नहर व बक्सर-इटाढ़ी-धनसोई समेत सभी छोटी बड़ी सड़कों पर कांवरियों की कतार लग गई थी. हाइवे समेत अन्य रास्तों में सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा कैंप भी लगाए गए थे. जहां गर्म पानी, चाय व प्राथमिकी उपचार की व्यवस्था की गई थी. जाहिर है कि बक्सर में उतरायणी गंगा होने के कारण इस पावान जल के लिए श्रावण में बिहार के अन्य जिलों के अलावा उतर प्रदेश से शिव भक्तों का जत्था पहुंचता है.
सुरक्षा को चौकस रही पुलिस
कांवरियों की बढ़ी भीड़ के मद्देनजर उनकी सुरक्षा व विधि-व्यवस्था को लेकर प्रशासन अलर्ट रहा. गंगा घाटों पर दंडाधिकारी के साथ पुलिस बल के जवान मुस्तैद किए गए थे. भीड़ के नियंत्रण हेतु चौक-चौराहों पर ट्रैफिक पुलिस हांफ रही थी. रामरेखाघाट पर नावों के साथ नाविक व गोताखोर तैनात किए गए थे, ताकि किसी अनहोनी की घटना से निबटा जा सके.
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