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सुहागिन महिलाओं ने पति की लंबी आयु के लिए किया वट सावित्री की पूजा

वट सावित्री पूजा के दिन अर्थात अमस्वया के एक दिन पहले ही यहां के महिलाएं सदियों से चली आ रही परंपरा को निभा रही है

डुमरांव. वट सावित्री पूजा के दिन अर्थात अमस्वया के एक दिन पहले ही यहां के महिलाएं सदियों से चली आ रही परंपरा को निभा रही है. इस कड़ी में नगर परिषद क्षेत्र की महिलाओं ने अपने घर के नजदीक वट वृक्ष के नीचे बैठ कर पूजा अर्चना की और अपने पति की लंबी आयु की कामना की. अंजू शर्मा ने बताया कि यह पर्व महिलाओं के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है. इस दिन पत्नी अपने पति की लंबी उम्र और सुखद वैवाहिक जीवन के लिए ये व्रत रखती है. जबकि यह पर्व ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या के दिन वट सावित्री व्रत को मनाया जाता है. व्रती ओम ज्योति भगत ने कहां कि परम्परा है कि इस पर्व को एक दिन पहले मनाया जाता है. वट सावित्री पूजा में पहले सावित्री, सत्यवान और यमराज की मूर्ति वट वृक्ष के नीचे बनाई जाती है. उसके बाद वट वृक्ष की जड़ में जल, फूल-धूप और मिठाई से पूजा की जाती है. इसके बाद कच्चा सूत लेकर वट वृक्ष की परिक्रमा की जाती है. भीगा चना लेकर सावित्री सत्यवान की कथा सुनते है. उसके बाद पत्नियां अपने पति को पंखे से हांक कर अर्शीवाद लेती है. पति के द्वारा पत्नी को अन्न-जल ग्रहण करवाकर व्रत उपवास तोड़वाते है. मान्यता है कि इसी दिन सावित्री ने यमराज के चंगुल से अपने पति सत्यवान के प्राणों की रक्षा की थी. शहीद पार्क, छठिया पोखरा, स्टेशन रोड नया थाना परिसर सहित मंदिर परिसर में लगे वटवृक्ष की परिक्रमा कर रक्षासुत्र बांधा. साथ ही घर जाकर अपने पति के पैर छूकर आर्शिवाद लिए. महिलाओं के पति बाहर रह कर कमाते है, उनको मोबाईल पर वीडियों काल कर आर्शिवाद प्राप्त किया. वहीं चक्की में प्रखंड क्षेत्र की पंचायतों के गांवों में गुरुवार को महिलाओं ने पति की लंबी आयु के लिए वट सावित्री का व्रत रखीं. मंदिरों में अहले सुबह से ही भीड़ लगी थी. हिंदू धर्म के अनुसार वट सावित्री व्रत का बहुत ही विशेष महत्व है. इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और परिवार के सुख व समृद्धि के लिए उपवास रखती हैं. और बरगद के पेड़ की विधि विधान से पूजा संपन्न करती हैं. वट सावित्री का व्रत प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ माह में कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है. अरक, भरियार, परसिया, हेमदापुर, डुमरी, बड़का सिहंनपुरा, छोटका सिंहनपुरा आदि गांवों में आज विधि-विधान से पूजा हुई. व्रत करने वाली महिलाएं सरिता देवी, सुशीला देवी, किरण देवी, नीलम देवी, अकांक्षा देवी ने कहा कि इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और अपने परिवार की सुख समृद्धि की कामना के लिए व्रत रखती है. मान्यता है कि वट सावित्री व्रत के दौरान वट (बरगद) वृक्ष की पूजा करके दान पुण्य करने एवं विधि विधान से पूजा पाठ करने से व्रत का पूरा फल मिलता है. सुबह स्नान ध्यान करके नये वस्त्र धारण कर पति की लंबी आयु के लिए सबसे पहले वट वृक्ष की पूजा की जाती है. उसके बाद विद्वान पंडितों द्वारा वृक्ष के नीचे कथा सुनाया जाता है. फिर वट वृक्ष को धागे से मान्यता के अनुसार 51 बार या 108 बार फेरी की जाती है. इसके बाद पंडितों को दान्य पुण्य में वस्त्र , श्रृंगार का सामान एवं खासकर हाथपंखा दान करने का महत्व है. इस मौके पर मुख्य प्रसाद गुड़ का रस चढ़ाया जाता है. वहीं गुड़ का रस महिलाएं लाकर अपने पति को प्रसाद के रूप में पिलाती हैं. इसके बाद उन्होंने बताया कि मंदिर में जाकर आस्था के साथ पूजा अर्चन किया जाता हैं. इसके बाद महिलाएं दिनभर व्रत रखने के बाद शाम के समय खीर का भोग लगाती हैं . वही खीर महिलाएं प्रसाद के रूप में ग्रहण करती हैं.

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