सामुदायिक शौचालयों में पसरी गंदगी लोगों की बढ़ी परेशानी
स्वच्छ भारत मिशन की हकीकत देखना हो तो चले आइये बक्सर प्रखंड के विभिन्न पंचायतों में बने सामुदायिक शौचालय की. हकीकत यह है कि साफ-सफाई के अभाव में सदर प्रखंड के अलग-अलग पंचायतों में बने सार्वजनिक शौचालय बदहाल है
बक्सर. स्वच्छ भारत मिशन की हकीकत देखना हो तो चले आइये बक्सर प्रखंड के विभिन्न पंचायतों में बने सामुदायिक शौचालय की. हकीकत यह है कि साफ-सफाई के अभाव में सदर प्रखंड के अलग-अलग पंचायतों में बने सार्वजनिक शौचालय बदहाल है. कहीं शौचालयों के अंदर गंदगी फैला है तो कहीं शौचालय बदहाल है. जिससे बदबू आ रही है. यहीं नहीं सामुदायिक शौचालयों के परिसर में लगाये गये चापाकल भी कई जगहों पर खराब है. शौचालयों के अंदर व दीवारों पर गंदगी पटा है. विभिन्न पंचायतों में सार्वजनिक स्थानों पर बने शौचालयों के बाहर तो रंगाई-पुताई दिखेगी लेकिन, खिड़की और दरवाजा गायब हैं.शौचालयों में अंदर पानी तक की व्यवस्था नहीं है. वहीं इसमें चौकाने वाली बात यह है कि, अभी दो साल पहले जिला प्रशासन ने लाखों रुपये खर्च कर विभिन्न पंचायतों में एक दर्जन से अधिक शौचालय बनवाए हैं. लेकिन इन शौचालयों की भी यही स्थिति है. शौचालय में सफाई के नाम पर महज खानापूर्ति की जा रही है. इन सार्वजनिक शौचालयों की नियमित साफ-सफाई नहीं होने से शौचालयों की दीवारें पान-गुटखा की पीत से रंगी पड़ी है. लोगों का कहना है कि, स्वच्छता अभियान का पाठ पढ़ाने वाले जिला प्रशासन स्वयं साफ-सफाई पर ध्यान नहीं दे रहा है. सरकारी दफ्तरों के शौचालयों का भी यही हाल स्वच्छ भारत अभियान के तहत ग्रामीणों के घर में शौचालय निर्माण करने के लिए प्रेरित करने वाले सरकारी अधिकारी व कर्मचारी अपने कार्यालयों में बने टॉयलेट की स्थिति सुधारने में नाकामयाब हैं. स्थिति यह है कि, ज्यादातर सरकारी दफ्तरों में बने टॉयलेट की हालत खराब है. कहीं गंदगी पड़ी हुई तो किसी की सीट उखड़ी है. इन शौचालयों की निर्माण के बाद से साफ-सफाई व देख-रेख नहीं होने से इनमें गंदगी का अंबार लगा हुआ है. शौचालयों की सफाई नहीं होने से लोग टोयलेट करने के लिए इधर-उधर जाकर भटकते नजर आते हैं. इस स्थिति में सबसे ज्यादा परेशानी महिलाओं को होती है. क्या कहते हैं सदर प्रखंड विकास पदाधिकारी सदर प्रखंड में जितने भी शौचालय प्रशासन के द्वारा बनाए गए हैं सभी सार्वजनिक शौचालय को निर्माण कराने के बाद स्थानीय स्तर पर वहां के समुदाय को सौंप दिया जाता है. पंचायत के सामुदायिक शौचालय का समय-समय पर कीटनाशक एवं सैनिटाइज करने का काम भी किया जाता है. जिस पंचायत का समुदायिक शौचालय की स्थिति स्थिति ठीक नहीं है उसे मरम्मत कराया जायेगा. सभी सार्वजनिक शौचालय का निरीक्षण करने का जिम्मेदारी ग्राम पंचायत सचिव को दी गयी है.
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