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ब्रह्मपुर में अगस्त की भीषण गर्मी में स्वेटर-जैकेट पहनकर काम करते हैं मनरेगा मजदूर

अगस्त महीना में संपूर्ण उतर भारतीय उमस भरी भीषण गर्मी से लथपथ रहते हैं

ब्रह्मपुर . अगस्त महीना में संपूर्ण उतर भारतीय उमस भरी भीषण गर्मी से लथपथ रहते हैं, वही बक्सर जिला का एक ऐसा प्रखंड है जहां कड़ाके की ठंड पड़ रही है. यह कोई अचरज नहीं, बल्कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना कार्यालय द्वारा पूरी तरह प्रमाणित है. बावजूद विश्वास नहीं है, तो मनरेगा के अधिकृत वेबसाइट पर माउस क्लिक किजीए, खुलते ही उस पर अपलोड सारा माजरा समझ में आ जायेगा. जी हां यह कारनामा ब्रह्मपुर प्रखंड अंतर्गत बगेन पंचायत में मनरेगा से होने वाले कार्यों से स्पष्ट हो रहा है. जहां के मजदूर स्टेटर, जैकेट व अन्य तरह के गर्म कपड़े पहनकर मजदूरी कर रहे हैं. जिसे मौसम विभाग के वैज्ञानिक देखेंगे तो वे शोध करने से खुद को नहीं रोक सकेंगे. हालांकि इस बाबत ब्रह्मपुर के मनरेगा पदाधिकारी रोहत कुमार ने कहा कि ऑफिस आइए न. जब उनसे ऑफिस नहीं पहुंचने की असमर्थता प्रकट की गयी, तो उन्होंने कहा कि यदि इस तरह का मामला है तो गंभीर बात है. संबंधित पदाधिकारियों से शो-कॉज किया जायेगा. उमस भरी भीषण गर्मी से जहां आमजन काफी व्याकुल हैं तो वही ब्रह्मपुर प्रखंड के पंचायत में मनरेगा मजदूर स्वेटर जैकेट और गर्म कपड़ा से शरीर को ढककर काम करते नजर आ रहे हैं. यह बात हम नहीं कह रहे हैं. मनरेगा के पोर्टल पर अटेंडेंस के समय अपलोड की गयी फोटो में यह दृश्य दिख रहा हैं. सरकार की महत्वाकांक्षी योजना महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना में जमकर भ्रष्टाचार किया जा रहा है. इसका एक जीता जागता उदाहरण ब्रह्मपुर प्रखंड के बगेन पंचायत में देखने को मिला. इस ग्राम पंचायत में मनरेगा योजना के तहत अगस्त माह में जवाहर यादव के खेत से शिवजी पांडेय के खेत तक नारा सफाई कार्य कराया गया है. जिसमें 28 अगस्त को मस्टर रोल संख्या 5504 पर मजदूरों के कार्य करने की फोटो अपलोड की गयी. इस फोटो में पुरुष मजदूर हाॅफ स्वेटर, जैकेट और महिला मजदूर गर्म कपड़ा ओड़ कर कार्य कर रही हैं. इस मस्टर रोल पर फूलवतिया देवी, रिंकू देवी, पुष्पा देवी, संजू देवी, सरली देवी, सोनू खातून, लक्षमीना देवी, प्रियंका देवी, विरेन्द्र कुमार, दिलीप कुमार की हाजिरी दर्ज की गयी है. जहां इतनी गर्मी में आम आदमी व्याकुल दिखायी दे रहा है. वहीं मनरेगा योजना के तहत मजदूर गर्म कपड़ों में काम कर रहे हैं. यह भ्रष्टाचार का जीता जागता उदाहरण है. मजदूरों की पुरानी फोटो अपलोड कर फर्जीवाड़ा किया जा रहा है. बारिश के मौसम में उक्त नारा में पानी होना लाजमी है और पानी होने की दशा में मनरेगा से मजदूरों द्वारा नारा की सफाई कैसे की जा सकती है. जबकि उसी योजना के मास्टर रौल संख्या 5505 फोटो में नारा सूखी दिख रही है. मैनेजिंग सिस्टम के आगे सरकार की नेशनल मोबाइल मोनिटरिंग सिस्टम फेल भ्रष्टाचार रोकने के लिए सरकार की ओर से नेशनल मोबाइल मॉनिटरिंग सिस्टम की व्यवस्था की गयी है, ताकि योजना में मची लूट खसोट को रोका जा सके, लेकिन हमाम में सभी नंगे हैं की कहावत सही साबित करते हुए इस व्यवस्था को भी रोजगार सेवक व मनरेगा कार्यक्रम पदाधिकारी आसानी से हजम कर जा रहे हैं. एक ही फोटो को अलग-अलग दिन निर्धारित सिस्टम में अपलोड कर कार्य की खानापूर्ति कर मजदूरों की संख्या में अधिक दिखा कर पैसों की निकासी कर ली जा रही है. मनरेगा के लूट खसोट में प्रखंड स्तर के अधिकारी लिप्त इस तरह की लूट खसोट की जानकारी होने के बावजूद भी जमीनी हकीकत जानने तक का प्रयास करना मुनासिब नहीं मानते हैं इतना तो साफ है कि मनरेगा में मजदूरों के नाम पर हो रही लूट का समूचे खेल में पंचायत प्रतिनिधियों से लेकर प्रखंड स्तर के अधिकारी पूरी तरह लिप्त हैं. इस योजना की जांच करा कर दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी कार्यक्रम पदाधिकारी ब्रह्मपुर

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