Buxar News: बड़कासिंहनपुरा में बंदरों का आतंक, महिला को किया घायल

Buxar News: बड़कासिंहनपुरा गांव में बंदरों का आतंक ऐसा कि उनकी झुंड आते ही महिलाएं व बच्चे घरों में दुबक जाने को मजबूर हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | December 17, 2024 10:25 PM

चक्की

. बड़कासिंहनपुरा गांव में बंदरों का आतंक ऐसा कि उनकी झुंड आते ही महिलाएं व बच्चे घरों में दुबक जाने को मजबूर हैं. शनिवार को गांव की कलावती देवी को बंदर ने घायल भी कर दिया. इससे पूर्व भी तीन महिलाओं को बंदरों ने काट कर घायल कर दिया था. इस संबंध में कलावती देवी के पति सुधाकर ओझा उर्फ चांदो ओझा ने बताया कि बंदर सीढ़ी से उतर कर नीचे आ गया और हमला कर दिया. उसके पंजे से पत्नी की पीठ पर खरोंच आ गयी, सिमरी ले जाकर इलाज कराना पड़ा. गांव की हालत यह कि बंदर झुंड में छतों पर पहुंच जाते हैं और महिलायें बच्चों को लेकर भागने को मजबूर हो जाती हैं.

सब्जी भी नहीं उगा पा रहे लोग

गांव के हर घर में कद्दू, नेनुआ, करेला, कोहड़ा, सीम, सतपुतिया सहित अन्य लतानुमा सब्जियां उगती थीं. अब इन सब्जियों को लोग खरीदने के लिए मजबूर हैं क्योंकि बंदर गांव में घुसकर सब बर्बाद कर दे रहे हैं. नतीजा यह कि लोग बोना ही छोड़ दिये हैं. इससे हर माह लाखों रुपए का नुकसान हो रहा है. बात यहीं खत्म नहीं होती, बंदर आंगन में उतर जा रहे हैं और महिलाएं बच्चों को लेकर घरों में कैद रहने को विवश हो गयीं हैं. उनका खाना बनाना मुश्किल हो गया है. खाना बनाने का सामाग्री बंदर सब तहस नहस कर देते हैं. विकास परिषद- बड़कासिंहनपुरा के अध्यक्ष हेमचंद्र ओझा ने कहा बक्सर के जिलाधिकारी से आग्रह किया है कि वन विभाग को बंदरों को पकड़ने का वे यथाशीघ्र निर्देश दें. उन्होंने एक बयान जारी कर कहा है कि गांव में अधिकांश लोग अब सब्जियां उगाना बंद कर चुके हैं. इससे उन्हें हर माह लाखों का नुकसान हो रहा है. महिलाएं हमेशा डरी रहतीं हैं और वे घर का कामकाज समय से नहीं कर पा रहीं हैं. अनेक लोग अपने आंगन पर लोहे का पाटन डाल कर घर को सुरक्षित किये हैं. समाजसेवी प्रमिला ओझा ने अपने बयान में कहा है कि आर्थिक रूप से संपन्न लोग तो 15-20 हजार रुपए खर्च कर राहत पा ले रहे हैं लेकिन सभी की स्थिति एक जैसी नहीं है.

खेती को भी नुकसान

बंदर खेतों में उगी फसलों को भी बर्बाद कर रहे हैं. दिलीप ओझा ने कहा है कि हर साल लाखों रुपए का नुकसान किसान उठा रहे हैं. किसानों की पीड़ा अलग ही है. खेती पर वे मोटी रकम खर्च करते हैं. साथ ही मेहनत भी करते हैं लेकिन फसल में जब दाना लगने लगता है तो बंदर पहुंच जाते हैं. कई किसान अपनी आय बढ़ाने के लिए केले और पपीता की फसल लगाये थे लेकिन सभी फसल को बंदर नष्ट कर दिये. उन्होंने जिलाधिकारी से आग्रह किया है कि बंदरों को पकड़ने के लिए यथाशीघ्र वन विभाग की टीम गांव में भेजी जाय जिससे लोगों को राहत मिल सके.

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