जनप्रतिनिधि व प्रशासनिक उदासीनता का शिकार बना नया भोजपुर का नवरत्न गढ़ किला

लोकसभा, विधानसभा में ऐतिहासिक धरोहरों को संजोने के लिए किसी भी जनप्रतिनिधि ने कोई ठोस पहल नहीं की. जिससे जिले के नया भोजपुर स्थित राजाभोज का नवरत्न गढ़ किला आज बदहाली में है.

By Prabhat Khabar News Desk | April 29, 2024 10:04 PM

डुमरांव.

लोकसभा, विधानसभा में ऐतिहासिक धरोहरों को संजोने के लिए किसी भी जनप्रतिनिधि ने कोई ठोस पहल नहीं की. जिससे जिले के नया भोजपुर स्थित राजाभोज का नवरत्न गढ़ किला आज बदहाली में है. भले इस किले के बारे में लोग किताबों में पढते हो, लेकिन धरातल पर पहुंचने पर ऐतिहासिक धरोहरों को मिटाने के तहत काम हो रहा है. विधानसभा चुनाव के कुछ दिन बाद स्थानीय विधायक किले पर पहुंचे थे. लेकिन उसके बाद जाना मुनासिब नहीं समझे. जनप्रतिनिधि व प्रशासनिक अधिकारियों की उदासीनता से नवरत्न गढ़ किला बदहाल पड़ा है. जनप्रतिनिधि व अधिकारी किला को देखने जरूर पहुंचते हैं, लेकिन आज तक ऐतिहासिक किले को संजोने को लेकर बेहतर प्रयास करने का किसी ने प्रयास नहीं किया. जिससे किला बदहाल पड़ा है. खंडहरनुमा गढ़ में आज गंदगी से भरा पड़ा है. राजभोज का नवरत्न गढ़ किला को पर्यटन स्थल तो नहीं, इसे संरक्षित करने में स्थानीय अधिकारी, पदाधिकारी व जनप्रतिनिधि उदासीन बने हुए हैं. तभी तो आज तक नवरत्न गढ़ किला लगातार खंडहर था और भी खंडहर में तब्दील होते जा रहा है. कुछ साल पहले किले के समीप एक स्कूल में गुफा मिला तो, यह जगह चर्चा में आया. इसको देखने के लिए जनप्रतिनिधि से लेकर अधिकारी व पदाधिकारी तक पहुंचे. लेकिन आज फिर हालात ज्यों का त्यों बना हुआ है. एक लोकोक्ति 52 गली 53 बाजार, दीया जले 56 हजार आज भी इतिहास के पन्नों से लेकर जिले के लोगों के जुबान पर हमेशा रहती है.

बदहाली पर आंसू बहाता मलबे में तब्दील किला :

डुमरांव रेलवे स्टेशन से लगभग दो किलोमीटर उत्तर दिशा में भोजपुर के नाम से विख्यात राजा भोजदेव की राजधानी भोजपुर है. आज उनके द्वारा निर्मित नवरत्न गढ़ किला ध्वस्तता की ओट से अपनी बदहाली पर आंसू बहाता मलबे में तब्दील नजर आता है. किदवंती की मानें तो इसकी आबादी 56 हजार परिवारों की थी. प्राचीन भवन, नदी, तालाब, मंदिर, मस्जिद तथा अनेक अवशेष इस नगर के पौराणिकता के दस्तावेज है. सन 1685 में निर्मित शाहाबाद जिला, जो 1972 में रोहित के प्रसिद्ध रोहतास गढ़ के नाम पर रोहतास एवं राजा भोजदेव के नाम पर भोजपुर जिले को अलग किया गया तथा 17 मार्च 1991 को बक्सर जिले का सृजन किया गया.

ऐतिहासिक धरोहर है नवरत्न गढ़ किला :

नया भोजपुर के संतोष मिश्र, आशुतोष पांडेय, वार्ड पार्षद धनंजय पांडेय, मो फरीद, मो कमरान अहमद, राजू कुशवाहा, वचन सिंह यादव कहते हैं कि राजभोज का नवरत्न गढ़ किला को जिला प्रशासन पर्यटन स्थल बना देना चाहिए. ताकि देश-विदेशों से लोगों का आवागमन होता, क्योंकि नवरत्न गढ़ किले की चर्चा किताबों में पढ़ने व देखने को मिलती है. प्रियंका पांडेय, दीप्ति पांडेय, जूही पांडेय, अंजलि पांडेय ने कहा कि नवरत्न गढ़ किला जिले का ऐतिहासिक धरोहर है.

किला को संरक्षित करने को नहीं हुई पहल :

बिहार सरकार व जिला प्रशासन इसको संरक्षित करना चाहिए. ताकि युवा इससे रूबरू हो सके. किले के समीप एक स्कूल की निर्माण के दौरान नींव खुदाई में किले का अवशेष देखने को मिल चुका है. इसको देखने के लिए स्व महाराजा बहादुर कमल सिंह, युवराज चंद्रविजय सिंह, स्थानीय सांसद व विधायक सहित हजारों लोग देखने के लिए पहुंचे थे. कुछ दिनों तक यह मेला जैसा नजारा देखने के मिला. सुरक्षा को देखते हुए पुलिस बल की तैनाती भी की गयी थी. लेकिन दिन गुजरते गए, लेकिन इसके संरक्षित पर अभी तक पहल नहीं हुई.

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