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30 अवैध निजी अस्पतालों के सील होने के पांच दिन बाद भी प्राथमिकी दर्ज नहीं

अक्टूबर माह के 28 तारीख को जिलाधिकारी अंशुल अग्रवाल के आदेश पर गठित जांच दल के द्वारा जिले में संचालित तकरीबन 30 नर्सिंग होम, क्लीनिक और प्राइवेट अस्पताल की जांच करायी गयी

बक्सर. अक्टूबर माह के 28 तारीख को जिलाधिकारी अंशुल अग्रवाल के आदेश पर गठित जांच दल के द्वारा जिले में संचालित तकरीबन 30 नर्सिंग होम, क्लीनिक और प्राइवेट अस्पताल की जांच करायी गयी. जांच दल में एडीएम, एसडीएम, बीडीओ से लेकर सीओ तक के अधिकारी शामिल रहे. जांच के दौरान बिना निबंधन के व अवैध रूप से संचालित अस्पतालों, नर्सिंग होम और क्लीनिकों को सील करने की कार्रवाई तो पूरी कर ली गयी. मगर उन पर प्राथमिकी दर्ज करने की कार्रवाई आधी-अधूरी छोड़ दी गयी. कारण स्वास्थ्य विभाग का कहना था कि जांच के दौरान प्रशासनिक पदाधिकारी मौजूद थे, इस कारण उनके द्वारा प्राथमिकी दर्ज कराना चाहिए. वही प्रशासनिक पदाधिकारियों का कहना है कि जांच दल में स्वास्थ्य महकमा के चिकित्सक व पदाधिकारी भी शामिल थे. इसलिए प्राथमिकी स्वास्थ्य विभाग की ओर से कराना चाहिए. इसी खींचतान में प्राथमिकी दर्ज करने की कार्रवाई पूरी नहीं की जा सकी. जबकि जिला प्रशासन ने सील किए गए अस्पतालों की जो सूची जारी की है. उसमें साफ-साफ लिखा गया है कि सील किये गये अस्पतालों पर प्राथमिकी भी दर्ज कराया गया है. जबकि स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि सील किए गए अस्पतालों पर प्राथमिकी दर्ज नहीं करना है. ऐसा स्वास्थ्य विभाग कर भी नहीं सकता है. क्योंकि स्वास्थ्य विभाग के एक्ट के अनुसार गैर निबंधित अस्पतालों को पहले नोटिस करना है. नोटिस का जबाव नहीं देने पर उनसे शोकॉज पूछा जाना है. इसके पश्चात नोटिस का जवाब नहीं दिए जाने पर उन पर फाइन करने का प्रावधान है. जबकि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए जिला प्रशासन के जांच दल में शामिल अधिकारियों के पास वीडियो फुटेज भी है. जिनके अनुसार प्रशासनिक अधिकारी प्राथमिकी दर्ज करा सकते थे. मगर जांच के 24 घंटा बीत जाने के बाद अब प्राथमिकी दर्ज नहीं कराया जा सकता है. नहीं तो प्रशासनिक अधिकारी उलझन में पड़ जायेंगे. अब देखना यह है कि पांच दिन बाद भी प्रशासन या स्वास्थ विभाग अवैध निजी अस्पतालों पर प्राथमिकी दर्ज करा रहा है कि नहीं.

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