तालाब पोखरों में नहीं हुआ जल संचय, 70 प्रतिशत हुआ धान रोपनी
प्रखंड के सभी 19 पंचायतों में भूमिगत जलस्तर बनाए रखने के लिए पिछले कई वर्षों से दर्जनों तालाब पोखरो का जीर्णोद्धार किया
राजपुर. प्रखंड के सभी 19 पंचायतों में भूमिगत जलस्तर बनाए रखने के लिए पिछले कई वर्षों से दर्जनों तालाब पोखरो का जीर्णोद्धार किया गया जो इस बार जलवायु परिवर्तन ने इन पोखरों में जल संचय होने से रोक दिया है. समय से पहले ही इन तालाबों में मछली पालक किसानों के द्वारा पोखरों से पानी निकालकर इसे सूखने पर विवश कर दिया.भूमि को रिचार्ज करने के लिए इन पोखरों में वर्ष भर पानी भरे रहने से पेयजल की समस्या नहीं हो रही थी. इस बार पिछले कई वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ते हुए इन तालाब पोखरों से पानी पूरी तरह से सूख जाने से पानी के लिए परेशानी बढ़ गयी है.चापाकल एवं बोरिंग ने भी पानी देना बंद कर दिया है. सरकार ने अभियान चलाया था की खेतों की पैदावार को बढ़ाने के लिए हर खेत जल अभियान होगा. जिस अभियान के तहत सरकार ने किसानों को सामूहिक बोरिंग तो कर दिया जिससे पानी का दोहन होने के बाद इसकी पूर्ति नहीं हो पा रही है. घरों में पर्याप्त पानी नहीं होने से समस्या विकराल हो गई है. जैसे तैसे अब तक किसानों ने धान रोपनी का काम शुरू कर दिया है. जिसमें अब तक महज 70 प्रतिशत हो रोपनी हुआ है.समय पर खेती नहीं होने से किसानों की चिंता लगातार बढ़ती जा रही है.मौसमी बेरोजगारी की मार झेल रहे अधिकतर मजदूर शहर की ओर पलायन कर गए हैं.सरकारी रिपोर्ट के अनुसार कोरोना काल में लगभग 20,000 से अधिक मजदूर अपने गांव की ओर लौटे थे. जिन मजदूरों को रोजी-रोटी देने के लिए सरकार ने कई योजनाओं को चालू किया था.जिसमें से कुछ योजनाओं ने दम तोड़ दिया.समय पर खेती नहीं होने से मायूस मजदूर अब शहर की ओर पलायन कर गए हैं.खेती करने के लिए अब किसानों को महिला मजदूरों पर ही आश्रित होना पड़ रहा है. बदलते मौसम को लेकर सरकार ने किसानों के बीच जागरूकता अभियान चला कर जागरूक करने का प्रयास किया है कि सभी आसपास के तालाब पोखरों को पानी से भरे. वर्षा के जल को संचय करें. जगह-जगह सोख्ता का निर्माण करें .फिर भी अभी तक सरकारी स्तर पर सोख्ता का निर्माण नहीं किया गया जा रहा है. क्या बोले अधिकारी प्रखंड के सभी पंचायत में धान रोपनी का काम शुरू हो गया है. इस बार क्षेत्र में वर्षा बहुत कम हुआ है. नहर में पर्याप्त पानी नहीं है.फिर भी किसानों के प्रयास से अब तक 70 प्रतिशत धान की रोपनी कर दी गई है.जलवायु परिवर्तन एवं मौसम में बदलाव को लेकर धान के पौधों में लगने वाले बीमारियों से बचाव के लिए गांव-गांव में कृषि सलाहकार एवं समन्वयक किसानों को तकनीकी सलाह दे रहे हैं. – शशिरंजन प्रसाद यादव ,प्रखंड कृषि पदाधिकारी राजपुर
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है