राजपुर. बेमौसम बारिश एवं बढ़ते तापमान के कारण प्याज फसल बर्बाद होने का असर क्षेत्र में दिखने लगा है. ग्रामीण क्षेत्रों में इस बार व्यापक पैमाने पर प्याज का उत्पादन नहीं होने से इसकी कीमतें बढ़ती जा रही है. प्रखंड क्षेत्र के बिजौली, हेठुआ, उत्तमपुर ,सिसराढ़, संगराव, मंगराव, देवढिया, हरपुर, अकोढ़ी, बन्नी, हंकारपुर के अलावा अन्य गांव में किसान व्यापक पैमाने पर पिछले कई वर्षों से प्याज की खेती कर रहे हैं. हालांकि पिछले तीन वर्ष पूर्व प्याज फसल का उत्पादन अच्छा हुआ. जिससे किसानों को उम्मीद जगी थी कि अब आर्थिक हालात सुधर जाएंगे.पिछले वर्ष 2023 में प्याज का फसल तैयार होते ही बेमौसम हुई बारिश से अधिकतर प्याज खेतों में ही सड़कर बर्बाद हो गया. जिसमें किसानों की कमर टूट गई. फिर भी किसानों ने हिम्मत नहीं हारी. अधिकतर किसान बटाई पर खेत लेकर किए थे .जिनको कर्ज चुकाना भी महंगा पड़ गया. खेत की नर्सरी से फसल उत्पादन तक प्रति बीघा लगभग 15-20 हजार रुपये खर्च किया. फिर भी लागत के अनुरूप फसल का उत्पादन नहीं हुआ. इस बार अधिकतर किसानों ने प्याज का खेती बहुत कम किया है. इस बार समय पर खेतों में प्याज की रोपाई की गई थी. बावजूद मौसम की मार झेल रहे किसान इस बार भी इसकी चपेट में आ गए. प्याज की रोपाई होने के कुछ ही दिन बाद बे मौसम हुई बारिश से फसलों की वृद्धि रुक गई. तब तक मौसम में हो रहे लगातार परिवर्तन से इसके फसलों पर बुरा प्रभाव पड़ गया. तापमान में गिरावट एवं हुई अचानक वृद्धि से इसके पौधे पीले होने लगे.खेतों में समय पर प्याज में गांठ नहीं होने से किसान मायूस हो गए. अब एक सप्ताह बाद प्याज की कोड़ाई शुरू हो जाएगी. किसान इस बार भी काफी मायूस हो गए हैं. खेती करने वाले बिजली के किसान संतोष सिंह, अरबिंद सिंह, संगराव के किस मिथिलेश सिंह ,राकेश सिंह क्षेत्र के प्रगतिशील किसान मिथिलेश पासवान, मनोज सिंह के अलावा अन्य किसानों ने बताया कि फसल बर्बाद होने के बाद भी इसका सही आकलन कर किसानों को इसका मुआवजा नहीं मिलता है.
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