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पर्यावरण मंत्री ने किया जैव विविधता प्रबंधन समितियों का ऑनलाइन सम्मेलन

मंगलवार को सदर प्रखंड में पर्यावरण मंत्री डाॅ प्रेम कुमार ने ग्राम पंचायत, प्रखंड, पंचायत समिति तथा जिला में गठित “जैव विविधता प्रबंध समितियों को ऑनलाइन के माध्यम से संबोधित किया

बक्सर. मंगलवार को सदर प्रखंड में पर्यावरण मंत्री डाॅ प्रेम कुमार ने ग्राम पंचायत, प्रखंड, पंचायत समिति तथा जिला में गठित “जैव विविधता प्रबंध समितियों को ऑनलाइन के माध्यम से संबोधित किया .इस सम्मेलन को सदर प्रखंड में वन विभाग के रेंजर शिवनंदन चौधरी, वनपाल सारिका कुमारी, वनरझी नितिश कुमार, जनसेवन अनिल कुमार ने संयुक्त रूप से उद्घाटन किया. रेंजर शिवनंदन चौधरी बताया कि यह कार्यक्रम बिहार सरकार के पर्यावरण,वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के मंत्री द्वारा जैव विविधता प्रबंध समितियों का उन्मुखीकरण के उद्देश्य से किया गया है . ताकि वे सक्रियता से अपने क्षेत्र में जैव विविधता संरक्षण के क्रिया-कलापों में सहभागी बन सकें. जैव विविधता की भूमिका प्रकृति तथा पर्यावरण संरक्षण को विकास प्रक्रियाओं के साथ संतुलित करने में महत्वपूर्ण है. क्षेत्रीय स्तर पर जैव विविधता संरक्षण के हितों को धरातल पर सुनिश्चित करने में स्थानीय पंचायती राज शासन की सक्रिय सहभागिता अनिवार्य है. इसी प्रयोजन से जैव विविधता अधिनियम 2002 के अंतर्गत त्रिस्तरीय पंचायत व्यवस्था के तहत अद्यतन जैव विविधता प्रबंध समितियों का गठन कराया गया है. प्रत्येक पंचायत में “जन जैव विविधता पंजी का संधारण किया जाता है, जिनमें पेड़-पौधों, जड़ी-बूटी, घांस, कृषि उत्पाद, बागवानी, पशु एवं अन्य जलीय उत्पादन तथा प्राकृतिक वन क्षेत्रों का ब्यौरा रहता है. सम्मेलन में क्षेत्र में पाए जाने वाले जैव संसाधनों के संरक्षण, संवहनीय उपयोग तथा उनके वाणिज्यिक उपयोग को विनियमित करने संबंधी विषयों पर चर्चा किया गया . साथ ही पंचायत, प्रखंड, जिला स्तर पर गठित समितियों को सुदृढ़ करने और उनकी जैव विविधता संरक्षण में सहभागिता सुनिश्चित करने के संबंध में चर्चा किया गया. शिवनंदन चौधरी ने कहाँ कि विविधता प्रबंधन समितियों में ऐसे लोग शामिल होंगे स्थानीय निकाय द्वारा कम से कम सात मनोनीत सदस्य, जिनमें से कम से कम एक तिहाई महिलाएँ होंगी.बीएमसी के अध्यक्ष का चुनाव उसके सदस्यों द्वारा किया जाएगा.सात स्थानीय जानकार व्यक्ति, जिनमें हर्बलिस्ट, कृषिविद, गैर-लकड़ी वन उपज संग्राहक, सामुदायिक कार्यकर्ता, मछुआरे, उपयोगकर्ता संघों के प्रतिनिधि, सामुदायिक कार्यकर्ता, शिक्षाविद और कोई भी व्यक्ति/संगठन का प्रतिनिधि शामिल हो, जिस पर स्थानीय निकाय को भरोसा हो कि वह जैव विविधता प्रबंधन समिति के अधिदेश में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है.अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति से संबंधित सदस्यों का अनुपात उस जिले की अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या प्रतिशत से कम नहीं होगा, जहां ऐसी समिति गठित की जाती है। उपरोक्त सभी को उक्त स्थानीय निकाय सीमा के भीतर निवासी होना चाहिए और मतदाता सूची में होना चाहिए.सरकारी विभागों अर्थात् वन, मत्स्य पालन, कृषि, बागवानी और शिक्षा का प्रतिनिधित्व करने वाले पांच आमंत्रित सदस्य.सम्मेलन में अरविंद कुमार सिंह, ज्वाला प्रसाद सिंह, सुमित कुमार, चंद्रमा पासवान, सुभाष यादव, कुंदन कुमार, नंदकिशोर कुमार, मिठु सिहं, संतकुमार सिंह शामिल रहे.

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